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बोले भागलपुर: पंप संचालकों का वर्षों से बकाया मानदेय मिले

ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति करने वाले पंप संचालकों की स्थिति बहुत खराब है। उन्हें कई वर्षों से मानदेय का भुगतान नहीं मिला है, जिससे उनका परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। हाल में 51 दिनों तक...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 22 Feb 2025 08:29 PM
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बोले भागलपुर: पंप संचालकों का वर्षों से बकाया मानदेय मिले

ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी को पेयजल की आपूर्ति करने वाले पंप संचालक या अनुरक्षक की हालत बदहाल है। जिले में 3100 से अधिक बोरिंग का संचालन करने वाले पंप संचालकों को कई सालों से मानेदय नहीं मिला है। धरना दिये तो भुगतान का आश्वासन मिला लेकिन हकीकत में नहीं बदला। इनको परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। तकनीकी खराबी आने पर जलापूर्ति बाधित होती है, ऐसे में आक्रोशित ग्रामीणों के कोपभाजपन का शिकार बनना पड़ता है। मरम्मत करने वाली एजेंसी समय पर काम नहीं करती है तो इसका दोष भी इन पर मढ़ा जाता है। सात निश्चय योजना और पीएचईडी की बोरिंग से ग्रामीण इलाके के गांव और टोलों की बड़ी आबादी को जलापूर्ति की जा रही है। बोरिंग के देखरेख और संचालन के लिए पंप संचालक या अनुरक्षक की तैनाती की गयी है। दूसरों को शुद्ध जल की आपूर्ति करने वाले पंप संचालकों की हालत बदहाल है। वर्षों से मानदेय नहीं मिल रहा है और दूसरों की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। विभाग बिजली बिल का भुगतान तो कर रहा है लेकिन मानदेय का नहीं। जिले में कई पंचायतों में पीएचईडी द्वारा जलापूर्ति के लिए बोरिंग की व्यवस्था थी। बाद में सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल के तहत जलापूर्ति की जा रही है।

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पंप संचालक संघ के अनुसार जिले में करीब 45 पंप संचालक और 3100 अनुरक्षक कार्यरत हैं। पूर्व में पीएचईडी के बोरिंग में पंप संचालक और हर घर नल का जल योजना के तहत हुए बोरिंग में अनुरक्षक काम कर रहे हैं। किसी को पांच साल तो किसी को सात साल से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। कई जगहों पर जमीन दाता ही पंप संचालक का काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर माह दो हजार रुपया देने का प्रावधान है। विभाग मानदेय का भुगतान नहीं कर रहा है। इसके चलते परिवार का भरण-पोषण और बच्चों को पढ़ाने की समस्या हो गयी है। नवम्बर और दिसंबर 2024 में करीब 50 दिनों तक मानदेय का भुगतान करने के लिए धरना दिया गया। अधिकारियों ने 15 दिनों के अंदर मानदेय का भुगतान करने का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हुआ है।

संघ के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कहा कि ड्यूटी करने में पंप संचालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। महंगाई के हिसाब से मानदेय बहुत कम है। बावजूद भुगतान नहीं होना चिंता की बात है। बोरिंग के रखरखाव की जिम्मेदारी एजेंसी को दी गयी है। बोरिंग में खराबी आने पर सूचना देने के बावजूद समय पर काम नहीं होने से जलापूर्ति बाधित हो जाती है। जलापूर्ति बाधित होने पर आक्रोशित ग्रामीण गाली-गलौज करते हैं। बिजली नहीं रहने पर भी जलापूर्ति बाधित होने पर लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। पंप संचालकों को बोरिंग के पास रहने की व्यवस्था नहीं है। आश्वासन के बावजूद मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है। यही हाल रहा तो संघ द्वारा आन्दोलन किया जाएगा।

सचिव नरेश प्रसाद यादव ने कहा कि पंप संचालक या अनुरक्षक को बोरिंग चलाने या निगरानी के लिए दिन भर रहना पड़ता है। समय की कोई पाबंदी नहीं है। बावजूद मानदेय का भुगतान नहीं करना अन्याय है। किसी को पांच तो किसी को सात साल से मानदेय नहीं मिला है। संघ के उपाध्यक्ष साजन कुमार ने बताया कि पंप संचालकों की तैनाती दूसरे पंचायत में की गयी है। इसके चलते सुबह में ही घर से निकलना पड़ता है। अगर बिजली आपूर्ति बाधित है तो बोरिंग के पास बैठकर इंतजार करना पड़ता है। ताकि बिजली आने पर जलापूर्ति की जा सके। अगर बोरिंग पर पहुंचने में देरी हो जाती है तो ग्रामीण दुर्व्यवहार करने लगते हैं।

पंप संचालकों को भी न्यूनतम मजदूरी मिले

गोराडीह प्रखंड स्थित सज्जादनगर के वार्ड 10 में अनुरक्षक की काम करने वाली बीवी बुसरा ने बताया कि बोरिंग के पाइप का चाबी काफी दिनों से टूटा हुआ है। इसके चलते अक्सर जलापूर्ति बाधित होती है। एजेंसी को कई बार मरम्मत करने के लिए कहा गया। लेकिन अभी तक खराबी दूर नहीं की गई। जलापूर्ति बाधित होने से ग्रामीण मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। सुल्तानगंज के पंप संचालक राजेश चौधरी और मनोज प्रसाद मंडल ने बताया कि मानदेय बहुत कम मिलता है। श्रमिक नियमों के तहत कम से कम न्यूनतम मजदूरी मिलनी चाहिए। बोरिंग में पंप संचालकों को रहने की बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।

बिजली का बिल भुगतान होता है पर मानदेय नहीं मिलता

पंप संचालक विकास कुमार सिंह ने बताया कि उनलोगों के मोबाइल पर बोरिंग का बिजली बिल आता है। बिजली बिल का भुगतान तो तत्काल कर दिया जाता है। लेकिन मानदेय भुगतान पर किसी का ध्यान नहीं पड़ रहा है। गोराडीह के इटावा में काम कर रहे अनुरक्षक ब्रजेश कुमार ने कहा कि 2018 से उनको मानदेय नहीं मिला है। हबीबपुर के इम्तेयाज ने बताया कि सात साल से मानदेय नहीं मिला है। बच्ची ट्यूशन पढ़ाती है। उसी से परिवार का भरण-पोषण किया जा रहा है। गोराडीह के वंगडीहा में काम करने वाले विनोद मंडल ने बताया कि उन्होंने बोरिंग के लिए जमीन दी है। लेकिन 2017 से मानदेय नहीं मिला है।

आंदोलन करने के बाद भी मानदेय का भुगतान नहीं

भागलपुर। पंप संचालक संघ के जिला अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि पीएचईडी विभाग अंतर्गत पंप चालकों और नल-जल योजना के अंतर्गत काम करने वाले अनुरक्षकों को कई वर्षों से वेतन या मानदेय नहीं मिला रहा है। इसको लेकर पीएचईडी विभाग के खिलाफ घेराव और अनिश्चितकालीन हड़ताल भी किया गया। लेकिन विभाग ने अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। पंप संचालक साल के 365 दिन काम करते हैं। बिना मानदेय परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है। कई पंप संचालकों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। विभाग मानदेय का जल्द से जल्द भुगतान करे।

पंप संचालक व अनुरक्षकों की आर्थिक स्थिति दयनीय

भागलपुर। पंप संचालक संघ के जिला सचिव नरेश प्रसाद यादव ने बताया कि पीएचईडी विभाग के अंतर्गत कार्यरत पंप संचालकों और नल जल योजना के अनुरक्षकों को मानदेय नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो चुकी है। सात निश्चय योजना बिहार सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। लेकिन इस योजना को संचालित करने वाले पंप संचालक और अनुरक्षकों को समय पर मानदेय नहीं मिल रहा। परिवार चलाने के लिए पंप चालकों को अपने सगे-संबंधियों पर आश्रित रहना पड़ रहा है। आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं।

जमीन के बदले नौकरी और पैसे का प्रलोभन दिया गया

भागलपुर। पंप संचालक संघ के जिला उपाध्यक्ष साजन कुमार ने बताया कि जिले के सभी पंप संचालकों को पिछले कई वर्षों से वेतन नहीं मिला है। इनको पीएचईडी विभाग से मानदेय मिलने का प्रावधान है। विभाग बार-बार टालमटोल कर रहा है। जिससे आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। मानदेय भुगतान को लेकर हम लोगों ने आंदोलन भी किया था। उन्होंने बताया कि जलमीनार निर्माण के लिए अनुरक्षकों को जमीन देने के बदले पैसे और नौकरी का प्रलोभन दिया गया था। जलमीनार तो बन गयी, काम भी मिला लेकिन अभी तक अनुरक्षकों को बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ है।

संचालकों को ग्रामीणों की झेलनी पड़ती है नाराजगी

भागलपुर। अनुरक्षक भवेश कुमार यादव ने बताया कि पिछले पांच वर्षों से पंप संचालकों को मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। पंप संचालक साल भर बिना किसी छुट्टी के लगातार कार्य करते हैं। त्योहारों में भी उन्हें आराम नहीं मिलता है। किसी कारणवश पंप संचालक छुट्टी पर जाते हैं, तो उन्हें अपने स्थान पर परिवार के किसी सदस्य को जिम्मेदारी सौंपनी पड़ती है। जलमीनार में पानी इकट्ठा करने में कई घंटे लगते हैं। किसी तकनीकी खराबी के कारण पंप बंद हो जाए तो ग्रामीणों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ता है।

51 दिनों के धरना-प्रदर्शन के बावजूद भुगतान नहीं

भागलपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ से संबद्ध लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पंप संचालक संघ ने समस्याओं को लेकर बीते दिनों पीएचईडी भागलपुर प्रक्षेत्र के मुख्य अभियंता को आवेदन दिया था। जिसमें मुख्य रूप में लंबे समय से कार्यरत पंप संचालकों के बकाया मानदेय का अविलंब भुगतान करने की मांग की गई थी। मानदेय का भुगतान नहीं होने पर पंप संचालकों ने पीएचईडी पूर्वी कार्यालय के समक्ष 51 दिनों तक धरना प्रदर्शन किया था। इसके बाद बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ और पंप संचालक संघ के प्रतिनिधिमंडल से विभाग के मुख्य अभियंता की बात हुई। मुख्य अभियंता और कार्यपालक अभियंता ने 15 दिनों में बकाया राशि के भुगतान का आश्वासन दिया । नौ जनवरी को मुख्य अभियंता प्रसून कुमार के कार्यालय से पत्र जारी कर पीएचईडी के पंप संचालक और नल जल योजना के अनुरक्षक की मांगों की जांच कर 15 दिनों के अंदर विस्तृत प्रतिवेदन देने का निर्देश कार्यपालक अभियंता को दिया गया। साथ ही पंप संचालकों से हड़ताल स्थगित कर काम पर वापस लौटने का अनुरोध भी किया। डेढ़ माह बाद भी बकाया मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। पीएचईडी पंप संचालक संघ के सचिव नरेश प्रसाद यादव ने बताया कि 26 अप्रैल 2022 को कार्ट ने विभाग को बकाया वेतन भुगतान करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन अभी तक बकाया राशि नहीं मिली है।

संचालकों का भुगतान सीधे बैंक खाते में हो

अनुरक्षक प्रकाश मंडल ने बताया कि पंप हाउस से संबंधित सुरक्षा किट मिले। मानदेय की राशि संवेदक या मुखिया के खाते में देने के बजाय सीधे पंप संचालक के खाते में ट्रांसफर होना चाहिए। अनुरक्षक बीवी बुशरा ने बताया कि उनलोगों से सरकार ने जमीन भी ली थी और कहा था कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी, लेकिन न तो उनलोगों को नौकरी मिली और न ही मानदेय मिल पा रहा है।

बकाया मानदेय का आवंटन विभाग शीघ्र करे

पंप संचालक संघ के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि संगठन को पंप संचालकों की सूची और कनीय अभियंता से प्राप्त सूची को साक्ष्य के साथ महासंघ और श्रम न्यायालय को भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मामला श्रम न्यायालय से संबंधित है। बकाया मानदेय का आवंटन विभाग से शीघ्र कराया जाना चाहिए। अनुरक्षक पंप संचालकों ने बताया कि दो हजार रुपए मानदेय में उन लोगों का काम नहीं चल पाता है। सरकार को इसमें वृद्धि करनी चाहिए। साजन कुमार ने बताया कि वे सभी वर्ष 2010-11 से कार्यरत हैं। लेकिन 2021 में उनलोगों का हस्तांतरण यांत्रिक प्रमंडल से सिविल में हो गया। जिसके बाद से आज तक पीएचईडी पंप संचालकों को मानदेय नहीं मिला है। बताया कि पंप संचालकों की हालत काफी खराब हो गई है।

शिकायत

1. पीएचईडी के पंप संचालकों और अनुरक्षकों को वर्षों से मानदेय नहीं मिलने से स्थिति खराब।

2. 51 दिन के धरना के बाद भी पंप संचालकों को मानदेय का भुगतान नहीं।

3. पंप संचालकों को कार्य के दौरान मेडिकल या सुरक्षा किट नहीं मिलता है।

4. पंप का मोटर खराब होने पर ग्रामीणों का विरोध और बदसलूकी भी झेलनी पड़ती है।

5. 6 घंटे की ड्यूटी है लेकिन बिजली नहीं रहने पर कभी भी ड्यूटी करनी पड़ती है।

सुझाव

1. कोर्ट के आदेशानुसार पंप संचालकों को बकाया राशि का भुगतान किया जाए।

2. मानदेय की राशि पंप संचालकों के खाते में सीधे ट्रांसफर की जानी चाहिए।

3. पंप में किसी प्रकार की खराबी आने पर अविलंब उसका समाधान किया जाए।

4. पंप संचालकों को पहले की तरह सुरक्षा और मेडिकल किट उपलब्ध कराया जाए।

5. सरकार द्वारा तय की गई दैनिक मजदूरी के आधार पर मानदेय दिया जाए।

इनकी भी सुनिए

कई वर्षों से वेतन भुगतान नहीं हुआ है, जिसके कारण आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। बिना मानदेय के घर चलाना मुश्किल हो रहा है। कई पंप चालक कर्ज की बोझ में दब चुके हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं।

-प्रकाश मंडल (अनुरक्षक)

कोरोना काल में भी पंप चालकों ने पूरी निष्ठा से अपनी ड्यूटी निभाई। लेकिन कई वर्षों के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। बिना मानदेय के परिवार चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। पंप चालक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

-अनमोल कुमार पाण्डे (पंप चालक)

पंप चालकों को कई वर्षों से मानदेय नहीं मिला है। मानदेय पीएचईडी विभाग और पंचायती राज से मिलने का प्रावधान है। लेकिन विभाग टालमटोल कर रहा है। परिवार की देख रेख करना मुश्किल होते जा रहा है।

-पन्नालाल मंडल (पंप चालक)

अनुरक्षकों के मानदेय का भुगतान सीधे बैंक खातों में किया जाना चाहिए। जनप्रतिनिधियों के माध्यम से भुगतान की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों को राशि मिलने पर अनुरक्षकों को भुगतान की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। सरकार को पंप चालकों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

-मो. खुर्शीद (पंप चालक)

विरोध प्रदर्शन के बावजूद पंप चालक की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा। मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं। कर्ज लेकर घर चलाने की नौबत आ गयी है।

-मनोज प्रसाद मंडल (पंप चालक)

लंबे समय से मानदेय नहीं मिल रहा है। आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। पंप के छोटे मेंटेनेंस का भी खर्च खुद उठाना पड़ता है। जिससे परेशानी और बढ़ जाती हैं। समस्या का समाधान करने में स्थानीय जनप्रतिनिधि टाल मटोल करते हैं। उनके द्वारा किसी तरह की मदद नहीं की जाती है।

-बीवी बुशरा (अनुरक्षक)

पहले पंप चालकों को विभाग की ओर से सुरक्षा किट और मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाती थीं। लेकिन अब इस सुविधा को बंद कर दिया गया है। जिससे काम करने में परेशानी हो रही है। बिना सुरक्षा किट के काम करने पर खतरा बना रहता है।

-वेदानंद यादव (पंप चालक)

पंप घरों के पास शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कर्मचारियों खासकर महिला कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पंप घरों के आसपास उचित शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। रहने की भी बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।

-विकास कुमार (पंप चालक)

जलमीनार के निर्माण के लिए अनुरक्षकों को नौकरी का प्रलोभन दिया गया था। लेकिन आज तक उन्हें मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। मानदेय नहीं मिलने से गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है। कई अनुरक्षक आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। वेतन बिना अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से नहीं कर पा रहे है।

-अवनीश कुमार मिश्रा (पंप चालक)

पानी की आपूर्ति के बदले उपभोक्ताओं से शुल्क लेने की बात हुई थी। उस शुल्क का एक निश्चित राशि पंप चालकों को दिए जाने का वादा किया गया था। लेकिन अब तक यह व्यवस्था लागू नहीं हुई है। यदि इस योजना को सही तरीके से लागू किया जाए तो पंप चालकों को राहत मिलेगी।

-इम्तियाज (अनुरक्षक)

पंप चालकों को 365 दिन काम करना पड़ता है। इस काम में कोई अवकाश का प्रावधान नहीं है। यदि किसी कारणवश बाहर जाना पड़ताहै, तो अपनी जगह पर परिवार के किसी सदस्य को काम पर लगाना पड़ता है। अवकाश का प्रावधान होना चाहिए।

-मो. सगीर (पंप चालक)

यदि किसी तकनीकी कारण से पंप खराब हो जाता है, तो स्थानीय लोग पंप चालकों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। कभी-कभी मारपीट की नौबत आ जाती है। पंप चालकों की जिम्मेदारी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। लेकिन तकनीकी खराबी को वह ठीक नहीं कर सकते हैं। उनके साथ ग्रामीणों को अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

-विनोद मंडल (अनुरक्षक)

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