मासिक धर्म एक जैविक प्रक्रिया, यह कलंक नहीं गर्व का प्रतीक
फोटो नंबर: 16, भारद्वाज गुरुकुल में माहवारी पर बच्चों को जागरूक करते नीरज गेरा। ... संकीर्ण मानसिकता पर प्रहार किया। माहवारी जागरूकता को बढ़ावा देने और इससे जुड़े मिथकों को तोड़ने के

बेगूसराय, हमारे प्रतिनिधि। माहवारी, मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली पर विशेष चर्चा का आयोजन मंगलवार को भारद्वाज गुरुकुल में किया गया। नीरज गेरा एवं समर्थ अखूरी ने पीरियड्स पर खुलकर चर्चा की। संकीर्ण मानसिकता पर प्रहार किया। माहवारी जागरूकता को बढ़ावा देने और इससे जुड़े मिथकों को तोड़ने के उद्देश्य से ह्यूमैनिफाई फाउंडेशन की ओर से संचालित ‘हैप्पीनेस एक्सप्रेस-द पीरियड रिवॉल्यूशन के तहत जागरुकता कार्यक्रम में तीन सौ बच्चों ने हिस्सा लिया। अभियान की अगुवाई महिला स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में विश्व रिकॉर्ड धारक नीरज गेरा ने की। उन्होंने ‘सेक्रेड स्टेन्स फोटो शृंखला के माध्यम से विद्यार्थियों को माहवारी से जुड़े सामाजिक और वैज्ञानिक पहलुओं पर जागरूक किया। लड़के-लड़कियों ने खुलकर संवाद किया। नीरज गेरा ने बताया कि खुशहाल जीवन के लिए सकारात्मक सोच, आत्म-स्वीकृति और मानसिक संतुलन महत्वपूर्ण है। उन्होंने छात्रों को तनाव प्रबंधन के कुछ प्रभावी उपाय भी बताए। संदेश दिया कि मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना उतना ही आवश्यक है जितना शारीरिक स्वास्थ्य का। उन्होंने कहा कि समाज की सोच बदले बिना बदलाव संभव नहीं है। मासिक धर्म एक जैविक प्रक्रिया है। इसे कलंक नहीं बल्कि गर्व का प्रतीक मानना चाहिए। मौके पर निदेशक शिवप्रकाश भारद्वाज समेत अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं भी मौजूद रहे।
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