जब भारत में कारें सपना थीं, तब आया ये जापानी मसीहा! अब भारत ने दिया देश का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान
भारत ने सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन (Suzuki Motor Corporation) के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी को पद्म विभूषण देकर श्रद्धांजलि दी है। भारत की ऑटोमोबाइल क्रांति के पीछे जिस शख्स की सोच थी, वो ओसामु सुजुकी थे।

भारत की ऑटोमोबाइल क्रांति के पीछे जिस शख्स की सोच थी, उन्हें देश ने अपना दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण देकर श्रद्धांजलि दी। ये सम्मान सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन (Suzuki Motor Corporation) के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी को मरणोपरांत दिया गया। आइए इसे जरा विस्तार से समझते हैं।
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क्यों मिला ओसामु सुजुकी को यह सम्मान?
ओसामु सुजुकी ने भारत के साथ 45 साल का एक अनोखा रिश्ता निभाया। उन्होंने न सिर्फ एक कार कंपनी शुरू की, बल्कि हर आम भारतीय के घर में पहली कार लाने का सपना भी पूरा किया। भारत में जब कारें लग्जरी मानी जाती थीं, तब मारुति 800 (Maruti 800) जैसे किफायती और भरोसेमंद मॉडल्स ने लोगों का सपना साकार किया।
सम्मान समारोह की झलक
दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया। ओसामु सुजुकी की ओर से यह सम्मान उनके बेटे तोशिहिरो सुजुकी ने प्राप्त किया।

उन्होंने भावुक होकर कहा कि मेरे पिता भारत को अपना दूसरा घर मानते थे। यह सम्मान उनके साथ जुड़े हर व्यक्ति, कर्मचारी और भारतीय जनता को समर्पित है।
भारत में सुजुकी की शुरुआत – एक ऐतिहासिक कहानी
1982 में भारत सरकार एक कार निर्माता की तलाश में थी। ओसामु सुजुकी को यह खबर एक आर्टिकल से मिली। उन्होंने पहल करते हुए भारत सरकार से संपर्क किया और इस तरह मारुति उद्योग (Maruti Udyog) और सुजुकी मोटर (Suzuki Motor) का ऐतिहासिक गठबंधन हुआ। 1983 में पहला प्लांट शुरू हुआ और सिर्फ 1 लाख यूनिट सालाना क्षमता थी। आज मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) हर साल 20 लाख से अधिक गाड़ियां बनाती है।
मारुति सुजुकी – भारत की पहचान
अब तक 3 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां भारत में बन चुकी हैं। वहीं, 3 मिलियन से ज्यादा गाड़ियां एक्सपोर्ट भी हो चुकी हैं। मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) आज भी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता है और 43% पैसेंजर व्हीकल एक्सपोर्ट में उसका योगदान है
ओसामु सुजुकी कौन थे?
ओसामु सुजुकी का जन्म ओसामु मात्सुदा नाम से हुआ था। शादी के बाद उन्होंने सुजुकी परिवार का नाम अपनाया, जो जापान की पारंपरिक परंपरा है। 1958 में सुजुकी (Suzuki) कंपनी से जुड़े। वहीं, 1978 में प्रेसिडेंट बने और फिर एक नया युग शुरू हुआ। 1979 में जापान में ऑल्टो (Alto) कार लॉन्च की, जिसने मिनी कार मार्केट में धूम मचा दी।
एक विचारशील विरासत
ओसामु सुजुकी ने साबित किया कि अगर सोच बड़ी हो, तो कार केवल लक्जरी नहीं, जरूरत बन सकती है। भारत में उनकी सोच ने सिर्फ कारें नहीं चलाईं, लाखों लोगों की जिंदगी और रोजगार भी आगे बढ़ाया।
एक आखिरी सलाम
ओसामु सुजुकी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत हर भारतीय सड़क पर दौड़ रही है। उनके सम्मान में मिला पद्म विभूषण केवल एक पुरस्कार नहीं, भारत की तरफ से शुक्रिया है। (P.C- ht & cartoq)
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