अष्टादश महापुराण का भंडारे के साथ समापन
पुरोला, संवाददाता। कमल गंगा के तट पर बीते 11 दिवसीय अष्टादश महापुराण ज्ञान यज्ञ का शनिवार को अठारह पुराणों के माहत्म्य व देव डोलियों, देव चिन्हों व कथ

कमल गंगा के तट पर बीते 11 दिवसीय अष्टादश महापुराण ज्ञान यज्ञ का शनिवार को अठारह पुराणों के माहत्म्य व देव डोलियों, देव चिन्हों व कथा वक्ताओं की भव्य विदाई के साथ समापन हुआ। 11 दिवसीय अष्टादश महापुराण ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस कथा मंडप में अठारह पुराणों के महात्म्य को सुनने, हवन यज्ञ में शामिल होने तथा महाप्रसाद ग्रहण करने को सुदूरवर्ती क्षेत्र से आये महिला पुरूष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। शनिवार को महापुराण समापन दिवस पर मुख्य व्यास शिव प्रसाद नौटियाल ने अठारह पुराणों के सार पर प्रवचन करते हुए कहा कि आधुनिक युग में जप-तप के साथ ही ईश्वर के स्मरण मात्र से मन की शांति बनी रहती है।
कहा कि छल कपट, ईर्ष्या, द्वेष करना मानव जाति का स्वभाव है किंतु कथा पुराण का श्रवण करने सत्संग, हवन यज्ञ में आहुति देने व आत्म दर्शन करने से तमाम बुराईयों का त्याग हो सकता है। महा पुराण कथा के अंतिम दिन मुख्य व्यास शिव प्रसाद नौटियाल व यज्ञ समिति के पदाधिकारियों ने यज्ञ में गांव गांव से आये 41 देव डोलियों, पुजारियों, 51 वेद पाठी व कथा वक्ताओं, पंडितों एवं दूरदराज इलाकों से आये श्रद्धालुओं का अष्टादश महापुराण के सफल आयोजन को आभार जताया व भव्य विदाई दी। इस अवसर पर यज्ञ पुराण में मुख्य व्यास शिव प्रसाद नौटियाल आचार्य यमुना पुत्र सुरेश उनियाल,उपेंद्र सिंह असवाल व बृजमोहन सजवाण, बृजमोहन चौहान, ओमप्रकाश नौडियाल आदि थे।
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