उत्तराखंड में 130 हेक्टेयर जंगलों में लगी आग और पेड़ जला सिर्फ 1, 114 घटनाएं अब तक आ चुकीं सामने
आंकड़ों के अनुसार, इसमें ढाई हेक्टेयर प्लांटेशन भी शामिल है। हैरानी की बात है कि इतने जंगल जलने के बाद भी प्रदेशभर में केवल टौंस-पुरोला डिवीजन के तहत एक पेड़ जला हुआ दिखाया गया।

उत्तराखंड में गर्मी बढ़ने के साथ वनाग्नि की घटनाओं में भी चिंताजनक रूप से बढ़ोतरी होने लगी है। कई जगह जंगल जल रहे हैं। इस सीजन में अब तक 130 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुका है। लेकिन, हैरानी की बात है कि प्रभावित वन क्षेत्र में एक ही पेड़ जला दर्शाया गया। वन विभाग के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।
वन विभाग के अनुसार, इस सीजन में वनाग्नि की अब तक 114 घटनाएं हुई हैं। गढ़वाल में 60, कुमाऊं में 34 और वाइल्ड लाइफ क्षेत्र में 20 घटनाएं सामने आईं। गढ़वाल में 70, कुमाऊं में 28 और वाइल्ड लाइफ एरिया में 32 हेक्टेयर जंगल जले।
आंकड़ों के अनुसार, इसमें ढाई हेक्टेयर प्लांटेशन भी शामिल है। हैरानी की बात है कि इतने जंगल जलने के बाद भी प्रदेशभर में केवल टौंस-पुरोला डिवीजन के तहत एक पेड़ जला हुआ दिखाया गया।
अधूरी जानकारी
किसी जंगल में जब आग लगती है तो वहां नुकसान के आकलन के लिए मानक निर्धारित हैं। लेकिन, कुछ अफसरों का कहना है कि शून्य से दस सेंटीमीटर व्यास वाले पौधे, पेड़ की श्रेणी में नहीं गिने जाते। जबकि, कुछ अफसरों ने कहा कि 20 सेंटीमीटर व्यास या उससे ऊपर के पौधे, पेड़ की श्रेणी में गिने जाते हैं। कुछ अफसरों का कहना है कि कई प्रजातियां, जैसे साल के छोटे पौधे भी पेड़ की श्रेणी में गिने जाते हैं।
एपीसीसीएफ, वनाग्नि प्रबंधन निशांत वर्मा कहते हैं कि वनाग्नि को लेकर हम पूरी तरह अलर्ट हैं। जहां तक एक ही पेड़ जलने का सवाल है तो उत्तराखंड में ज्यादातर आग ‘ग्राउंड लेवल’ की होती हैं, जिसकी लपटें ज्यादा ऊंची नहीं जातीं। यही वजह है कि यहां ज्यादा पेड़ नहीं जलते। जो पौधे जलते हैं, वो पेड़ों की श्रेणी में नहीं आते।
एक ही दिन में मिले 141 फायर अलर्ट
गर्मी बढ़ने के साथ आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। 22 अप्रैल को जहां प्रदेशभर में आग के दो अलर्ट आए थे, वहीं 25 अप्रैल को 141 अलर्ट वन विभाग को एफएसआई से मिले। हालांकि, इनमें से कई घटनाएं जंगल किनारे खेतों की आग की थी। इसके बावजूद अलर्ट की संख्या में 70 गुना वृद्धि से वन विभाग चिंतित है।
फायर अलर्ट में 19वें स्थान पर है उत्तराखंड
इस बार अब तक फायर अलर्ट के मामले में उत्तराखंड देश में 19वें नंबर पर है। एफएसआई उत्तराखंड में अब तक 2010 फायर अलर्ट दे चुका है। जबकि, मध्य प्रदेश इस बार अब तक पहले नंबर पर है। पिछले साल फायर अलर्ट के मामले में उत्तराखंड चिंताजनक रूप से देश में पहले नंबर पर रहा था।
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