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हलाला पर भी रोक; UCC से उत्तराखंड में शादी-तलाक से लिव इन तक क्या-क्या बदला

यूसीसी या समान नागरिक संहिता लागू होने के साथ ही राज्य में शादी, तलाक, लिव इन रिलेशनशिप से उत्तराधिकार तक बहुत कुछ बदल गया है।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, देहरादूनMon, 27 Jan 2025 10:29 AM
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हलाला पर भी रोक; UCC से उत्तराखंड में शादी-तलाक से लिव इन तक क्या-क्या बदला

उत्तराखंड आजाद भारत में पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया गया है। यूसीसी या समान नागरिक संहिता लागू होने के साथ ही राज्य में शादी, तलाक, लिव इन रिलेशनशिप से उत्तराधिकार तक बहुत कुछ बदल गया है। उत्तराखंड में अब हर धर्म के नागरिकों के लिए समान कानून लागू होंगे। अभी तक शादी, तलाक और वसीयत जैसे मामलों में अलग-अलग पर्सनल लॉ के नियम लागू होते थे।

देश में अभी शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में अलग-अलग कानून हैं। इनमें हिंदू विवाह अधिनियम 1955, उत्तराधिकार अधिनियम 1956, मुस्लिम पर्सनल लॉ, भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम 1872 आदि शामिल हैं। उत्तराखंड में अब सबके लिए एक कानून लागू हो गया है। आने वाले समय में कुछ और राज्य यूसीसी को लागू कर सकते हैं।

यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने वाली नियमावली बनाने वाली समितियों का हिस्सा रहीं दून यूनिवर्सिटी की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने कहा कि अब विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में लैंगिक समानता होगी। विवाह और लिव इन संबंधों से जन्मे सभी बच्चों को समान मानने वाले प्रावधान बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में लैंगिक समानता यूसीसी की मूल भावना है।

हलाला पर रोक, एक से ज्यादा शादी गैर कानूनी
यूसीसी से जहां इस्लाम में प्रचलित हलाला पर रोक लग गई है तो एक से अधिक विवाह भी अब गैर कानूनी है। मुस्लिम समाज का कोई शख्स यदि अपनी पत्नी को तलाक दे दे और फिर दोबारा उसे अपने साथ रखना चाहे तो महिला को पहले किसी और से निकाह करना एवं संबंध बनाना होता है।

लिव इन रिलेशनशिप के लिए क्या नियम
लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए अब माता-पिता की मंजूरी आवश्यक है। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को जिले के रजिस्ट्रार के सामने अपने संबंध की घोषणा करनी होगी। संबंध खत्म करना चाहते हैं तो इसकी जानकारी भी देनी होगी। बिना सूचना दिए एक महीने से ज्यादा लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए पाए जाने पर तीन महीने की जेल या 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। लिव इन संबंध से पैदा हुए बच्चों को वैध माना जाएगा। संबंध टूटने पर महिला गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है।

मुस्लिम लड़कियों की भी शादी 18 से पहले नहीं

सभी धर्म के लड़के-लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र अब एक समान होगी। लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 होगी। अभी तक मुस्लिम लड़कियों की वयस्कता की उम्र निर्धारित नहीं थी, माहवारी शुरू होने पर लड़की को निकाह योग्य मान लिया जाता था। यूसीसी लागू होने से बाल विवाह पर रोक लग जाएगी।

विवाह पंजीकरण अनिवार्य

यूसीसी में विवाह पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है। इससे उत्तराधिकार, विरासत जैसे विवादों का खुद समाधान का रास्ता खुल जाएगा। विवाह पंजीकरण का प्रावधान हालांकि पहले से ही है, अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है।

तलाक के लिए क्या है

यूसीसी में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं। अभी पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी।

पूरी संपत्ति के वसीयत का अधिकार

समान नागरिक संहिता लागू हो जाने से अब कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से पूर्व मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे जो अब सभी के लिए समान होंगे।

उत्तराधिकार में लड़कों और लड़कियों के लिए बराबर अधिकार

उत्तराधिकार में लड़कियों और लड़कों को बराबर अधिकार प्रदान किया गया है। संहिता में संपत्ति को संपदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल-अचल पैतृक संपत्ति को शामिल किया गया है।

प्रिविलेज्ड वसीयत का भी प्रावधान

यूसीसी में सैनिकों के लिए भी ‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत सक्रिय सेवा या जोखिम वाले स्थानों पर तैनाती के दौरान अपनी हस्तलिखित या मौखिक रूप से निर्देशित वसीयत बना सकते हैं।

कैसे उत्तराखंड में लागू हो पाया यूसीसी

भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में यूसीसी लागू करने का वादा किया था। चुनाव में जीत के बाद 22 मार्च 2022 को पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी पर एक्सपर्ट पैनल के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई ती। सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अगुआई में 27 मई 2022 को पैनल का गठन किया गया, जिसे यूसीसी के लिए ड्राफ्ट बनाने का काम सौंपा गया। उत्तराखंड में समाज के अलग-अलग वर्गों से विचार विमर्श के बाद डेढ़ साल में देसाई कमिटी ने चार वॉल्यूम में ड्राफ्ट तैयार किया। 2 फरवरी 2024 को इसे राज्य सरकार को सौंपा गया। इसके बाद इसे उत्तराखंड विधानसभा से पास कराया गया। मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे स्वीकृति दे दी।

एक अन्य एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया जिसकी अगुआई पूर्व चीफ सेक्रेट्री शत्रुघ्न सिन्हा ने की। इस कमिटी को कानून के नियम तय करने का काम दिया गया। सिन्हा कमिटी ने पिछले साल के अंत में यह रिपोर्ट सरकार को दी। राज्य कैबिनेट ने यूसीसी को लागू करने के लिए तारीख तय करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी 2025 से इसे लागू करने की घोषणा की।

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