UCC उत्तराखंड में हुआ लागू, शादी-तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप के यह प्रावधान
- यूसीसी में शादी, तलाक, लइव इन रिलेशनशिप पर कड़े प्रावधान है। यूसीसी लागू करने से पहले सरकार की ओर से पोर्टल पर मॉक ड्रिल भी की गई थी।
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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता-यूसीसी आज लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में यूसीसी पर मुहर लगा दी। पीएम नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे से ठीक 1 दिन पहले यूसीसी को लागू किया गया है। यूसीसी में शादी, तलाक, लइव इन रिलेशनशिप पर कड़े प्रावधान है। यूसीसी लागू करने से पहले सरकार की ओर से पोर्टल पर मॉक ड्रिल भी की गई थी।
मॉक ड्रिल के सफल होने के बाद ही सरकार ने यूसीसी लागू करने का फैसला किया है। विदित हो कि यूजीसी लागू करने से पहले एक कमेटी भी बनाई गई थी जिसने प्रदेशभर में जाकर लोगों की राए एकत्रित की थी।
यूसीसी पर अब तक
- 12 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा सत्ता में आने पर यूसीसी लागू करने की घोषणा की
- 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में यूसीसी का प्रारूप तय करने के लिए कमेटी का गठन
- 02 फरवरी 2024 को जस्टिस रंजना देसाई कमेटी ने सरकार को यूसीसी का प्रारूप सौंपा
- 06 फरवरी 2024 को यूसीसी विधेयक विधानसभा सत्र में पेश, सात फरवरी को विधेयक सदन से सर्वसम्मति से पारित
- 13 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के यूसीसी विधेयक पर मुहर लगाई, यूसीसी ने लिया कानून का रूप
- 18 अक्तूबर 2024 को यूसीसी नियमावली और क्रियान्वयन समिति ने नियमावली ने सरकार को सौंपा नियमावली का ड्राफ्ट
- 20 जनवरी 2025 को कैबिनेट ने नियमावली को मंजूरी दी, जल्द होगा विधिवत रूप से लागू
दायरा – अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू।
प्राधिकार – यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत - नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।
रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य
– यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।
रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे।
सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना
समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना।
विवाह पंजीकरण
26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा
संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा
आवेदकों के अधिकार
यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।
सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।
रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।
अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।
(लिव इन)
संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
लिव इन समाप्ति – एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा।
यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।
विवाह विच्छेद –
तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी।
वसीयत आधारित उत्तराधिकार
वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए।
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