बोले रुद्रपुर: कॉलेज के 8500 छात्र-छात्राएं मात्र 40 स्थायी शिक्षकों के भरोसे
रुद्रपुर के सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज में शिक्षकों की कमी के कारण व्यवस्थाएं बिगड़ गई हैं। यहां 8500 छात्रों के लिए केवल 40 स्थायी शिक्षक हैं। कॉलेज में पुस्तकालय की स्थिति भी खराब है और छात्रों की...
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रुद्रपुर के सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज में शिक्षकों की कमी के कारण व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। रुद्रपुर का डिग्री कॉलेज छात्रों की संख्या के आधार पर प्रदेश के तीन बड़े कॉलेजों में शामिल है। वर्तमान में यहां कुल 8500 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। इतने विद्यार्थियों की शिक्षा की जिम्मेदारी मात्र 40 स्थायी शिक्षकों पर है। छात्रों की संख्या के मुताबिक, एक शिक्षक पर लगभग 212 छात्रों की जिम्मेदारी है। जितने दिन भी कक्षाएं संचालित की जाती हैं, औसतन पांच शिक्षक व्यक्तिगत कारणों से अवकाश पर रहते हैं। कॉलेज की स्थापना से वर्तमान समय तक कॉलेज में स्थायी शिक्षकों के पद नहीं बढ़ाए गए हैं। कॉलेज में 10 शिक्षकों की कांट्रैक्ट के माध्यम से भी नियुक्ति की गई है। रुद्रपुर के सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज में शिक्षा का स्तर प्रत्येक वर्ष गिरता जा रहा है। कॉलेज की व्यवस्थाएं बेहतर उच्च शिक्षा के दावों की पोल खोल रही हैं। शिक्षक से लेकर पुस्तकालय और ऑफिस स्टाफ की कमी से कॉलेज में अव्यवस्थाओं का अंबार है। पुस्तकालय के संचालन के लिए कोई भी कर्मचारी नहीं है। अन्य स्टाफ की मदद से पुस्तकालय का संचालन किया जा रहा है। पुस्तकालय में सालों पुरानी किताबें रखी हुई हैं, जोकि कोर्स के हिसाब से अपडेट नहीं हैं। नई शिक्षा नीति तो लागू की गई है, लेकिन उसके मुताबिक पुस्तकें कॉलेज में नहीं हैं। 8500 छात्र-छात्राओं को समय पर कोर्स की अपडेटेड किताबें मुहैया कराना कॉलेज प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रहा है। लाइब्रेरियन न होने के कारण किताबों का हिसाब रखने वाला कोई नहीं है। छात्रों को किताबें दी जाती हैं, लेकिन समय पर नहीं लौटाई जाती हैं। इस कारण अन्य छात्रों को समय पर किताबें नहीं मिल पाती हैं। कॉलेज के समीप ही एक फैक्ट्री मौजूद है, जिससे निकलने वाले दमघोंटू धुएं में छात्र सांस लेने को मजबूर हैं। कई बार विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कॉलेज में आए दिन बाइक और हेलमेट चोरी की घटनाएं होती हैं। कॉलेज परिसर क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की मांग भी छात्रों ने रखी है। वर्तमान में कॉलेज में तीन जगहों पर निर्माण कार्य चल रहा है। इस कारण जगह-जगह चाहरदीवारी तोड़कर प्रवेश के लिए जगह बनाई गई है। सुरक्षा के नाम पर कॉलेज के मुख्य गेट पर मात्र एक सुरक्षाकर्मी मौजूद रहता है। सुरक्षा की दृष्टि से कॉलेज एक संवेदनशील क्षेत्र है। युवा छात्रों में आपसी टकराव की घटनाएं होती रहती हैं।
तीन साल से वाणिज्य भवन का कार्य अधूरा : तीन साल पहले वाणिज्य के छात्रों के लिए वाणिज्य भवन का निर्माण शुरू किया गया था। डिग्री कॉलेज में वाणिज्य विभाग में तकरीबन तीन हजार छात्र हैं। सालों पुराने भवन में छात्रों के बैठने की पर्याप्त जगह और फर्नीचर नहीं है। तीन साल पहले 14 करोड़ रुपये की लागत से पुराने भवन के समीप ही निर्माण कार्य शुरू किया गया था। अल्पसंख्यक विभाग को निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी। तीन साल पूरे होने के बावजूद भवन का कार्य अधूरा है। निर्माण कार्य पूरा न होने के लिए बजट की कमी का हवाला दिया जा रहा है। किस्तों में भवन निर्माण का कार्य किया जा रहा है। पुराने भवन के अंधेरे कमरों में वाणिज्य की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। छात्रों का कहना है कि कई बार छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण बैठने की जगह नहीं होती है। सालों पुराने फर्नीचर पर बैठकर छात्र कक्षाएं लेते हैं। हर साल कॉलेज में छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। शीघ्र ही वाणिज्य भवन का निर्माण पूरा किया जाना चाहिए।
कॉलेज की स्थापना से नहीं बढ़ाए गए शिक्षकों के पद : उच्च शिक्षा के लिए एसबीएस डिग्री कॉलेज में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में हर वर्ष वृद्धि हो रही है। पढ़ाई के साथ ही जिले की राजनीति में सक्रिय कई बड़े नाम भी एसबीएस कॉलेज से ही पास आउट हुए हैं, लेकिन कॉलेज की स्थिति समय के साथ-साथ और दयनीय होती जा रही है। प्रशासन और शीर्ष नेता भी कॉलेज की सुध नहीं ले रहे हैं। 40 स्थायी और 10 कांट्रैक्ट के आधार पर रखे शिक्षकों पर 8500 छात्र-छात्राओं का जिम्मा है। कॉलेज की स्थापना से वर्तमान समय तक कभी शिक्षकों के पदों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। खानापूर्ति के लिए कांट्रैक्ट के आधार पर कुछ शिक्षकों को नियुक्ति की गई है। कांट्रैक्ट के शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों के सभी दायित्व नहीं सौंपे जा सकते हैं। इस कारण कॉलेज और छात्रों को कांट्रैक्ट शिक्षकों का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है। 8500 छात्रों के लिए 100 शिक्षकों की आवश्यकता होती है। छात्रों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण कक्षाएं समय पर संचालित नहीं की जाती हैं। कई बार तो कक्षाओं में ताले लटके हुए मिलते हैं। तत्काल प्रभाव से कॉलेज में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर छात्र : रुद्रपुर शहर को प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में शुमार किया जाता है। कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने वाली कंपनियां डिग्री कॉलेज के छात्रों के लिए मुसीबत बन चुकी हैं। कॉलेज के मुख्य गेट के सामने मौजूद फैक्ट्री में रबर से संबंधित काम किया जाता है। कॉलेज के समीप होने के कारण रबर की भीषण दुर्गंध और फैक्ट्री से निकलने वाला जहरीला धुआं परिसर में फैल जाता है। धुएं के कारण छात्र जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। छात्रों का कहना है कि वे नियमित तौर पर कॉलेज आते हैं। छात्र दिन में तीन से चार घंटा औसतन कॉलेज में रहते हैं। नियमित रूप से प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण छात्रों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। छात्रों ने यह भी बताया कि कई बार छात्रों ने फैक्ट्री के गेट के सामने विरोध-प्रदर्शन भी किया है, लेकिन उनकी बात को अनसुना किया जा रहा है। किसी भी माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।
कॉलेज परिसर में सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी : सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज का परिसर तकरीबन 4 एकड़ में फैला हुआ है। क्षेत्रफल के मुताबिक, एसबीएस डिग्री कॉलेज प्रदेश के सबसे बड़े कॉलेज में से एक है। कॉलेज परिसर में सुरक्षा के मापदंड लगभग शून्य हैं। वर्तमान समय में 8500 छात्र-छात्राएं कॉलेज में पढ़ रहे हैं। कॉलेज में तीन जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। मुख्य गेट के अलावा कई अन्य जगह से भी प्रवेश के लिए जगह बनाई गई है। कॉलेज परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की मांग छात्रों ने उठाई है। छात्रों का कहना है कि कॉलेज के पूरे परिसर को सीसीटीवी से लैस किया जाना चाहिए। कोई घटना होने पर सीसीटीवी फुटेज से आरोपी की पहचान की जा सकती है। मुख्य गेट पर केवल एक सुरक्षाकर्मी मौजूद रहता है। मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। पूर्व में कॉलेज में बाइक चोरी और हेलमेट चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। कॉलेज के अन्य प्रवेश द्वार पर भी सुरक्षकर्मी की तैनाती की जानी चाहिए।
राजनीति और गुटबाजी के कारण बिगड़ रहा कॉलेज का माहौल : सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज में पढ़ाई का माहौल राजनीति और गुटबाजी की भेंट चढ़ रहा है। छात्रसंघ और शिक्षक स्टाफ में भी गुटबाजी की चर्चाएं कॉलेज परिसर में आम हो गई हैं। छात्रों का कहना है कि कॉलेज में व्यवस्थाओं को ठीक करने की जगह आपस में प्रतिद्वंद्विता की जा रही है। गुटबाजी के कारण छात्रसंघ के पदाधिकारियों को कॉलेज प्रशासन की ओर से सहयोग नहीं किया जाता है। शिक्षकों में गुटबाजी ने गंभीर रूप ले लिया है। शिक्षकों के बीच छात्रहित की जगह कॉलेज में बने अलग-अलग गुटों की चर्चाएं होती रहती हैं। समय-समय पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। इन गुटों को छात्रों का सर्मथन हासिल होता है। गुटबाजी के कारण विभागीय कार्य भी प्रभावित होते हैं। विभागीय कार्य की जिम्मेदारी एक दूसरे पर मढ़ दी जाती है। पहले से ऑफिस स्टाफ की कमी के साथ ही गुटबाजी के कारण कॉलेज की सभी व्यवस्थाएं लचर होती जा रही हैं।
शिकायतें
1-विशेष तौर पर छात्राओं की शिकायत है कि शौचालयों में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। शौचालयों की नियमित साफ-सफाई नहीं की जाती है।
2- हिन्दी माध्यम से पढ़े हुए छात्रों को कॉलेज में अंग्रेजी पाठ्यक्रम में पढ़ाई करने में दिक्कत होती है। पुस्तकालय में कई किताबें केवल अंग्रेजी में हैं।
3- नियमित कक्षाएं न होने के कारण कम संख्या में छात्र कॉलेज पहुंच रहे हैं। कई बार छात्रों की कम संख्या के कारण कक्षाएं निरस्त कर दी जाती हैं।
4-नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद कई कोर्स में नए विषय जोड़े गए हैं। पुस्तकालय में इन विषयों की एक भी किताब नहीं है। इस पर ध्यान देना चाहिए।
5- कई विषयों की क्लास नियमित रूप से बंद हैं। छात्र कक्षाएं लेने आते हैं, पर निराश होकर लौटना पड़ता है। कॉलेज प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
सुझाव
1-कॉलेज में सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। साफ-सफाई की व्यवस्था का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी किसी को सौंपी जानी चाहिए।
2- शिक्षकों को आसान और सरल भाषा में छात्रों को पढ़ाना चाहिए। पुस्तकालय में हिन्दी में किताबें उपलब्ध कराने के लिए कॉलेज प्रशासन को प्रयास करना चाहिए।
3- शिक्षकों की कमी के कारण नियमित कक्षाएं नहीं होती हैं। शिक्षकों की नियुक्ति के साथ छात्रों को भी जागरूक किया जाना चाहिए।
4- नए विषयों का आकलन कर किताबें मंगाई जानी चाहिए। एक लाइब्रेरियन की नियुक्त की जानी चाहिए, जो इन किताबों का विस्तृत ब्योरा रख सके।
5- छात्रों के साथ वार्ता की जानी चाहिए। जिन विषयों की कक्षाएं नियमित रूप से बंद हैं, ऐसे शिक्षकों से कक्षाएं न होने का कारण पूछा जाना चाहिए।
साझा किया दर्द
मैं बीए की छात्रा हूं। प्रतिदिन कॉलेज आती हूं, लेकिन अर्थशास्त्र की कक्षा नहीं लग रही है, जिससे हमारा काफी नुकसान हो रहा है। इस पर ध्यान दिया जाए।
-तरन्नुम
छात्र-छात्राओं का कहना है कि कक्षाएं नियमित लग रही हैं, लेकिन बच्चों की संख्या सीमित है। ऐसे में कम छात्र होने पर शिक्षक भी कक्षाएं नहीं ले रहे हैं।
-सालेहा खातून
नई शिक्षा नीति लागू हो चुकी है, लेकिन कॉलेज के पुस्तकालय में इससे संबंधित किताबें ही नहीं हैं, जिससे छात्रों को पठन-पाठन में दिक्कतें आ रही हैं।
-धर्मेंद्र सैनी
कॉलेज में छात्र-छात्राओं की संख्या हजारों में है, लेकिन शिक्षकों की संख्या कम है। इससे हमारी पढ़ाई प्रभावित होती है। कॉलेज में नियमित रूप से पढ़ाई होनी चाहिए।
-रजत बिष्ट
पुस्तकालय में पुरानी किताबें ही हैं, जबकि वहां नए सिलेबस की किताबें होनी चाहिए थीं। नए सिलेबस की किताबें नहीं मिलने से छात्र-छात्राएं परेशान हैं।
-विकास
सुरक्षा की दृष्टि से कॉलेज में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए, अब तक यह सुविधा नहीं है। अक्सर कॉलेज में मोबाइल और हेलमेट चोरी की घटनाएं होती हैं।
-गौरव कुशवाह
कॉलेज के नजदीक स्थित निजी कंपनी से निकलने वाले प्रदूषण से छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके बावजूद कंपनी के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
-सुमित गंगवार
कॉलेज में स्टैटिक्स के शिक्षक नहीं हैं, जिससे छात्रों को इस विषय को समझने में दिक्कत होती है। कॉलेज प्रशासन को छात्रों की परेशानी को समझना चाहिए।
-करनदीप सिंह
कॉलेज में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है। वहां बदबू आती है और उनकी कभी सफाई नहीं होती है। इनकी नियमित सफाई की व्यवस्था की जानी चाहिए।
-शशि किरन
कॉलेज में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। यहां से कई बार छात्रों की बाइक तक चोरी हो गई हैं। सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी सीमित है।
-अनुभव पाल
पुस्तकालय में किताबों की कमी है। छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है। कक्षाओं में फर्नीचर आदि की काफी कमी है। कैंटीन में भी छात्रों के बैठने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है।
-सौरभ
हम हिन्दी माध्यम से पढ़कर आए हैं, लेकिन कॉलेज में हिन्दी में काफी कम किताबें हैं। कॉलेज प्रशासन को इस बात पर भी गौर करना चाहिए।
-नितिन पुनेठा
कॉलेज में शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। नए पदों पर नियुक्ति के लिए शीर्ष नेताओं और सबंधित अधिकारियों को कई बार ज्ञापन सौंपा गया है। कॉलेज के सामने मौजूद फैक्ट्री के प्रदूषण से कॉलेज का वातावरण दूषित हो रहा है। फैक्ट्री को किसी और जगह विस्थापित किया जाना चाहिए।
-कमल जोशी, छात्रसंघ अध्यक्ष, एसबीएस डिग्री कॉलेज रुद्रपुर
कॉलेज में शिक्षकों और ऑफिस स्टाफ दोनों की कमी है। छात्रों की पढ़ाई के साथ विभागीय कार्य भी प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पत्राचार किया गया है। कॉलेज में सीसीटीवी कैमरे लगाने की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई थी, लेकिन काम में अनियमितताएं पाए जाने के कारण उसे निरस्त कर दिया गया था। फिर से टेंडर प्रक्रिया या जैम के माध्यम से सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाएगा।
-राजेश कुमार उभान, प्राचार्य, एसबीएस डिग्री कॉलेज रुद्रपुर
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