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तकनीकों और नवाचारों का समागम एक नई सोच का निर्माण करेगा : भट्ट

सांसद अजय भट्ट ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 17वें कृषि विज्ञान सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सहयोग पर जोर दिया। कॉन्फ्रेंस में 16 देशों के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरSat, 22 Feb 2025 08:35 PM
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तकनीकों और नवाचारों का समागम एक नई सोच का निर्माण करेगा : भट्ट

पंतनगर, संवाददाता। सांसद अजय भट्ट ने शनिवार को जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय 17वें एग्रीकल्चर साइंस कॉन्फ्रेस में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने कहा कि पौष्टिक खाद्यान्न उत्पादन का महत्वपूर्ण अंग वैज्ञानिक और किसान हैं। कॉन्फ्रेंस में उन्नत तकनीकों और नवाचारों का समागम एक नई सोच का निर्माण करेगा और यह किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजेगा। सांसद भट्ट ने कृषि विज्ञान प्रदर्शनी में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों द्वारा लगाए गए स्टालों का कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान एवं अन्य अधिकारियों के साथ अवलोकन किया। उन्होंने अधिकारियों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं कृषकों को संबोधित किया। उन्होंने संयोजक एवं कुलपति डॉ. चौहान की सराहना करते हुए कहा कि इतनी बड़ी कॉन्फ्रेंस कराना एक बड़ी चुनौती है। इसमें देश ही नहीं, विदेशों के वैज्ञानिकों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया है। कहा कि सम्मेलन में आयोजित विभिन्न सत्रों, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों के माध्यम से नयी तकनीक एवं नवाचारों का प्रतिभागियों को ज्ञान मिला है। उन्होंने सम्मेलन के दौरान 65 विद्यार्थियों का विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा चयन किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक एवं किसान के तालमेल से आज देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। अन्य देशों को निर्यात करने की स्थिति में है।

अधिकारियों, वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग कीर्तिमान स्थापित : कुलपति

कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में 16 देशों के वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। विश्वविद्यालय के अधिकारियों, वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ। डॉ. बीएस ढिल्लो ने कृषि अनुसंधान और क्षेत्र अनुप्रयोगों के बीच अभिसरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को वास्तव में बदलने के लिए अनुसंधान संस्थानों और किसानों के बीच की खाई को पाटना आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वैज्ञानिक प्रगति जमीनी स्तर तक पहुंचे, जिससे किसान नवीन, टिकाऊ और लाभदायक कृषि पद्धतियों को अपना सकें। उन्होंने जलवायु लचीली कृषि के महत्व पर भी जोर दिया और मिट्टी के क्षरण, पानी की कमी और फसल उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।

तकनीकी सत्रों का आयोजन उत्कृष्ट रूप में हुआ: डॉ. लाकरा

डॉ. वजीर सिंह लाकरा ने कहा कि इस कॉन्फ्रेस में अब तक हुए पूर्व के सभी सम्मेलनों की तुलना में डेलिगेट्स की भागीदारी सर्वोच्च संख्या में रही है। सभी तकनीकी सत्रों का आयोजन बहुत ही उत्कृष्ट रूप में किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर एलोकेशन कंटेस्ट के विषय में प्रकाश डालते हुए तीन विजेताओं को सम्मानित किया। तरुन कपूर को अपने शोध के आधार पर प्रथम स्थान मिला। निदेशक शोध एवं आयोजन सचिव ने पुरस्कारों की घोषणा भी की।

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक होगा विचार-विमर्श : जोशी

नास के उपाध्यक्ष डॉ. पीके जोशी ने कहा कि इस एग्रीकल्चर साइंस कॉन्फ्रेस में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नये कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में किए गए विचार-विमर्श भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। कॉन्फ्रेस का इसलिए भी महत्व है कि तकनीकी पहले आती है, फिर नीतिगत निर्णय। 60 वर्ष पहले हरित क्रांति का बीज पंतनगर से बोया गया था और हम सभी आशा करते हैं कि दूसरी क्रांति का जन्म भी यहीं से होगा। पूर्व में आयोजित किए गए कृषि विज्ञान सम्मेलनों के अंतिम दिन एक घोषणा की जाती है, उसी प्रकार से पंतनगर डिक्लेरेशन को भी उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी अभूतपूर्व बताया।

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