लेखन के लिए बारीक अवलोकन सबसे जरूरी
पिथौरागढ़ में गंगोलीहाट महाकाली बाल विद्या मंदिर में बाल सृजनात्मक कार्यशाला चल रही है। तीसरे दिन बच्चों को लेखन की बारीकियों के बारे में बताया गया। साहित्यकार महेश चंद्र पुनेठा ने प्रकृति और जीवन के...
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पिथौरागढ़। गंगोलीहाट महाकाली बाल विद्या मंदिर में बाल सृजनात्मक कार्यशाला जारी है। कार्यशाला के तीसरे दिन बच्चों को लेखन के बारे में जानकारी दी गई। साहित्यकार महेश चंद्र पुनेठा ने कहा कि लेखन के लिए सबसे जरूरी है अपने आसपास की प्रकृति और जीवन का बारीक अवलोकन करना। कहा कि जितनी बारीकी से देखते हैं, उसे उतनी ही बारीकी से लिख सकते हैं। उन्होंने लेखन अभ्यास पर बल देते हुए कहा कि लिखना, लिखने से ही आता है। जितना अधिक अपने भावों, विचारों का अभ्यास किया जाएगा, उतना अधिक लेखन कौशल मजबूत होगा। नन्ही कलम के संपादक आशीष चौधरी ने बच्चों को कागज से कौवा और मुकुट बनाना सिखाया। इससे पूर्व बच्चों को प्रसिद्ध साहित्यकार नरेश सक्सेना का लिखा एक रोचक संस्मरण भूत बंगले की वह रात भी सुनाया गया। कार्यशाला में प्रधानाध्यापक गोविंद भंडारी, शिक्षक भगवत जोशी, जनता पुस्तकालय पियाना की संचालक शीला पुनेठा, चित्रकला रेनू पाठक, विद्यालय की शिक्षिकाएं नीता उप्रेती, मंजू बोहरा, कंचन पंत आदि मौजूद रहे।
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