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कर्मकार बोर्ड ने बिना इजाजत खर्च कर डाले 607 करोड़, कैग रिपोर्ट में खुलासा; उठाए कई सवाल

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 और वर्ष 2021-22 के बीच 607 करोड़ रुपये सरकार की इजाजत के बिना खर्च कर डाले। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में इसको लेकर सवाल उठाए गए हैं।

Sneha Baluni लाइव हिन्दुस्तानFri, 21 Feb 2025 08:58 AM
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कर्मकार बोर्ड ने बिना इजाजत खर्च कर डाले 607 करोड़, कैग रिपोर्ट में खुलासा; उठाए कई सवाल

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 और वर्ष 2021-22 के बीच 607 करोड़ रुपये सरकार की इजाजत के बिना खर्च कर डाले। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में इसको लेकर सवाल उठाए गए हैं। बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को विधानसभा के पटल पर कैग रिपोर्ट पेश की गई। यह रिपोर्ट 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए तैयार की गई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि कर्मकार बोर्ड ने सरकार की इजाजत के बिना बड़ी धनराशि खर्च की और विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त उपकर का आकलन करने के लिए कोई तंत्र विकसित नहीं किया।

डीडीओ के बैंक खातों में 788 करोड़ ट्रांसफर

कैग की रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय लेखे की भी समीक्षा की गई। सरकारी विभागों के बजट खर्च करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाने के साथ आहरण वितरण को गलत पाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न विभागों में आहरण वितरण अफसर यानी डीडीओ ने 788 करोड़ की धनराशि अपने खातों में ट्रांसफर की। इस कारण विभिन्न योजनाओं के लिए समय पर इस धनराशि का उपयोग नहीं हो पाया। इसके अलावा कोषागारों की ओर से धनराशि का मिलान नहीं कराया गया। वहीं, वित्तीय साधनों के गलत वर्गीकरण भी इंगित किया गया।

कैग रिपोर्ट और मौजूदा स्थिति में अब बड़ा अंतर

विधानसभा में गुरुवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की जो रिपोर्ट सदन में पेश की गई, वो 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के आधार पर तैयार की गई है। 2016 से मार्च 2022 के बीच के वर्षों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं को विभिन्न बिंदुओं पर परखा गया। लेकिन, इस रिपोर्ट में दिए गए तथ्य और विभाग की मौजूदा स्थिति में भारी अंतर है। रिपोर्ट में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और कर्मचारियों का जो आंकड़ा दिया गया है, उसमें और आज की स्थिति में अंतर है। इस रिपोर्ट में तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों का जिक्र है। अब पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण समय पर पूरा न होने का जिक्र है। दून में पीजी कक्षाओं का संचालन भी हो चुका है।

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