यूटीयू के पांच हजार से ज्यादा छात्र छात्राओं को मिली डिग्री
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा कि सीखने का कोई समय नहीं होता। उन्होंने 24 विद्यार्थियों को पीएचडी की...
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सीखने का कोई समय और उम्र नहीं होती। हमें जीवन भर सीखना चाहिए। क्योंकि आज तकनीक हर रोज बदल रही है, जो आज सीखते हैं वो कल पुराना हो जाता है। ये बात राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने मंगलवार को वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान कही। उन्होंने कार्यक्रम में 24 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की। इस दौरान 5387 विद्यार्थियों को स्नातक और परास्नातक डिग्रियां दी गई। जिनमें 43 विद्यार्थियों को मेडल दिए गए। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल ने तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल और विवि के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह के साथ दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान राज्यपाल ने विद्यार्थियों की मेहनत, लगन और प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए कहा कि डिग्री प्राप्त करना केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी की शुरुआत है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और मेटावर्स जैसी आधुनिक तकनीकों में दक्षता हासिल करने की अपील की।
तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि वे जिस भी क्षेत्र में जाएं वहां ईमानदारी और सकारात्मकता के साथ कार्य करें। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आपके जज्बे और प्रतिभा के आगे कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि विवि से डिग्री लेकर निकलने के बाद भी जीवन भर छात्र ही बने रहना ही आपको सफलता की ओर बढ़ाता जाएगा।
कार्यक्रम में तकनीकी शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के कुलपति प्रो. परविंदर कौशल और कुलसचिव प्रो. सतेन्द्र सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।
कंप्यूटरमैन को डीलिट और टायमैन को डीएससी की मानद उपाधि
इस दौरान विवि की ओर से दो लोगों को मानद उपाधियां भी बांटी गई। इसमें भारतीय कंप्यूटर विज्ञान के अग्रणी और सुपर कंप्यूटर के जनक पद्मभूषण डॉ. विजय पांडुरंग भटकर को डीलिट की उपाधि से नवाजा गया। वे उपाधि लेने के लिए नहीं आए पाए थे, लेकिन उन्होंने आनलाइन माध्यम से इस पर विवि का आभार जताया। वहीं टॉयमैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री अरविंद कुमार गुप्ता को डीएससी की मानद उपाधि दी गई। उन्होंने भी आनलाइन ही अपना वीडियो संदेश भेजकर इस पर आभार जताया।
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