बोले गढ़वाल : कर्णप्रयाग के सिमली बाजार में तीन गदेरे हर बरसात में बनते हैं खतरा
कर्णप्रयाग के सिमली में सरकारी लापरवाही के कारण हर वर्ष बारिश के समय तीन गदेरों से नुकसान होता है। लोगों की परेशानियों में बढ़ोतरी हुई है, जैसे कि सफाई की कमी, सार्वजनिक शौचालयों का अभाव और बिजली की...
नगर पालिका कर्णप्रयाग क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सिमली में सरकारी तंत्र की लापरवाही आम जनता पर भारी पड़ रही है। वर्षों बाद भी सिमली बाजार में हर साल तबाही मचाने वाले तीन गदेरों की समस्या का समाधान नहीं होने के कारण एक बार फिर लोग नुकसान की आशंका से डरे हैं। औद्योगिक क्षेत्र सिमली में इलाके से निकलने वाले गदेरे हर वर्ष बरसात में विकराल हो जाते हैं। दुकानों और घरों में मलबा घुस जाता है। बोले गढ़वाल अभियान के तहत परेशान लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से समस्याओं को साझा किया। कर्णप्रयाग से सतीश गैरोला की रिपोर्ट...
मूलभूत सुविधाओं को लेकर जनता की समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली नगर निकाय इकाइयां यदि इस मामले पर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लें तो जनता की मुश्किलों को समझा जा सकता है। कुछ इसीका उदाहरण देखने को मिलता है सात वर्ष पूर्व नगरपालिका कर्णप्रयाग में शामिल हुआ 800 की आबादी वाला सिमली क्षेत्र। औद्योगिक परिक्षेत्र से पेट्रोल पम्प तक के 2.5 किलोमीटर के क्षेत्र को जब नगरपालिका क्षेत्र में शामिल किया गया था तब लोगों को उम्मीद थी कि ग्रामसभा में रहते हुए जो विकास क्षेत्र का नहीं हो सका वो शायद नगरपालिका में शामिल होने के बाद हो सकेगा, लेकिन उनकी ये उम्मीद सात वर्षों में बुरी तरह टूटी है। दरअसल क्षेत्र में बहने वाले तीन गदेरे सामान्य दिनों में तो कम पानी की वजह से शांत रहते हैं लेकिन बरसात में यही गधेरे इस कदर तबाही मचाते हैं कि लोगों का दिन का चैन और रातों की नींदें हराम हो जाती हैं। इतना ही नहीं पिंडर नदी से हो रहे कटाव के कारण नदी क्षेत्र से जुड़े इलाकों में मौजूद खेतों और आवासीय भवनों पर भी खतरा मंडरा रहा है जिसमें चंडिका मंदिर पर भी खतरा है।
गदेरों और नदी किनारे चैक डैम व सुरक्षा दीवार बनाकर खतरे को कम करने के ये विकल्प आजतक तैयार नहीं करने से आने वाली बरसात में खतरे की आशंका से लोग परेशान हैं। पूरे क्षेत्र में नगर पालिका की स्वच्छता के प्रति लापरवाही का आलम ये है कि नियमित सफाई नहीं होने के कारण गदंगी पसरी रहती है। टूटीफूटी और मानकों को ताक पर रख बनाई गई नालियां गंदगी और कचरे से पटी हैं जिनकी सफाई नहीं होने से वो बीमारी की आशंकाओं को बढ़ा रही हैं। पालिका क्षेत्र सिमली में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से भी आम जनता परेशान है तो बार-बार बिजली की आंखमिचौली और लो वोल्टेज ने भी लोगों की दिक्कतें बढ़ाई हुई हैं। बाजार क्षेत्र में पार्किंग सुविधा नहीं होने के कारण सड़कों के किनारे ही पार्क होते वाहनों से ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा होती है तो कटखने बंदरों के आतंक ने भी लोगों की नाक में दम किया हुआ है। गर्मियों के सीजन में पेयजल संकट भी लोगों के लिए आफत बन जाता है।
सुझाव
1. गदेरों के किनारे चैकडैम बनाये जायें जिससे बरसात में मलबा आबादी क्षेत्र में न घुसे।
2. सिमली में सार्वजनिक शौचालय बनाये जायें और बिजली की पर्याप्त आपूर्ति हो।
3. बाजारक्षेत्र व चंडिकादेवी मंदिर के नीचे पिंडरनदी के कटाव से बचाव को सुरक्षा दीवार बनाई जाय।
4. टूटी नालियों को ठीक कर चोक नालियों को खोलकर गंदे पानी की निकासी की जाय। नियमित सफाईकर्मी की व्यवस्था हो।
5. सार्वजनिक पार्किंग सुविधा विकसित की जाय। 12वर्षों से बेकार पड़े सामुदायिक भवन का प्रयोग में लाया जाय।
शिकायतें
1. क्षेत्र में 3 गदेरों के किनारे चैकडैम नहीं बनने के कारण बरसात में आबादीक्षेत्र में मलबा घुसता है।
2. ढाई किलोमीटर के पालिका क्षेत्र में 1 भी सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से दिक्कतें होती हैं।
3. बाजार क्षेत्र से चंडिकादेवी मंदिर के नीचे के डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में पिंडर नदी के भूकटाव से खतरा।
4. टूटीफूटी व गदंगी से चोक नालियों की वजह से मुश्किलें होती हैं। नियमित सफाई के अभाव में गदंगी बिखरी रहती है।
5. पार्किंग नहीं होने से जाम लगता है। गर्मियों में पेयजल संकट होता है। 12 वर्ष बाद भी सामुदायिक भवन हस्तांतरित नहीं।
बोले जिम्मेदार
सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए सिमली वार्ड में पांच सफाई कर्मी रखे गए हैं। नियमित कूड़ा उठाया जा रहा है। नालियों की सफाई की जा रही हैं। पैदल रास्तों में जहां झाड़ियां हैं उनको हटा दिया जाएगा। इसके अलावा जो अन्य समस्याएं हैं उनका पालिकास्तर से हल किया जाएगा। गदेरों के किनारे सुरक्षा दीवार बनाने के बारे में भी विचार करेंगे।
-गणेश शाह, अध्यक्ष, नगरपालिका, कर्णप्रयाग
न शौचालय है औ र न साफ-सफाई होती है
नगरपालिका किस तरह जनता के प्रति मूलभूत सुविधा देने के प्रति सजग है, इसका पता चलता है 2.5 किलोमीटर के पालिका क्षेत्र में फैले सिमली बाजार में 1 भी सार्वजनिक शौचालय के नहीं होने से। सिमली बाजार दरअसल कपीरी एवं चांदपुर पट्टी के 1 दर्जन से अधिक गांवों का मुख्य बाजार भी है जहां सेनू, सिमली, गैरोली, राड़खी, मजियाड़ी, रतूड़ा, खंडूड़ा, धारकोट, घड़ियाल, सुंदरगांव, सिनखाल, बसक्वाली सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी प्रतिदिन खरीददारी के लिये आते हैं। इसके साथ सिमली में अस्पताल, घरेलू रसोई गैस एजेंसी, स्कूल और सरकारी कार्यालयों के साथ निजी संस्थान भी हैं। इसके बावजूद 1 भी शौचालय या मूत्रालय नहीं होने से लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कर्णप्रयाग-रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग पर मौजूद सिमली में शौचालय नहीं होने के साथ सफाई का भी नितांत अभाव बना हुआ है।
बाजार में फैल जाता है तीन गदेरों का पानी और मलबा
सिमली में हर बरसात क्षेत्रवासियों के लिए मुसीबत बनकर आती है। दरअसल जौसा, टोंट एवं डाडुवा नामक तीन गदेरों के बरसाती सीजन में उफान में आने के बाद वो आबादीक्षेत्र पर कहर बनकर टूटते हैं। इस दौरान तटबंध नहीं होने के कारण गदेरों का पानी ओवरफ्लो होकर अपने साथ मिट्टी पत्थर और गदंगी का मलबा लेकर बाजारक्षेत्र में फैल जाता है। इस दौरान आवासीय भवनों के साथ दुकानों में तो मलबा घुस ही जाता है साथ ही हाईवे और सम्पर्कमार्गों पर मलबा फैलने से आवाजाही भी बाधित होती है। कर्णप्रयाग-रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारों पर बसे होने के कारण सिमली मुख्य बाजार और हाईवे पर इसी मलबे के आने की आशंका में लोगों के दिन का चैन और रातों की नींदें गायब हो जाती हैं। यहां तक कि स्कूल, बैंक या कार्यालयों में भी इस कारण आवश्यक कार्य भी प्रभावित होते हैं और हाईवे पर कई बार ट्रैफिक भी बाधित होता है। मलबे के पूरी तरह साफ होने के बाद भी धूप पड़ने से वही मिट्टी हवा के साथ उड़कर फिर घरों और दुकानों में घुसने के साथ आवागमन के दौरान भी लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
पिंडर नदी का जल स्तर बढ़ने से होता है भू कटाव
सिमली में मुख्य बाजार से चंडिका मंदिर के निचले क्षेत्रों में लगभग 1.5 किलोमीटर क्षेत्र में पिंडर नदी द्वारा किये जा रहे भूकटाव से भी खतरा बना हुआ है। बरसात के दौरान जब पिंडर नदी का जलस्तर बढ़ जाता है तो फिर नदी के तेज बहाव में बहता पानी और तेजी से भूकटाव करने लगता है। नदी का पानी इस दौरान खेतों में मौजूद फसलों को तो नुकसान पहुंचाता ही है, ये पानी मकानों में भी घुस जाता है। नदी के कारण हो रहे भूकटाव से चंडिका देवी मंदिर पर भी ढहने का खतरा मंडरा रहा है। लम्बे समय बाद भी आज तक जनता की मांग, जोखिमपूर्ण परिस्थितियों और गंभीर मामला होने के बावजूद भी सरकारी मशीनरी इस ओर ध्यान देने को तय्यार नहीं है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि नदी किनारे के इस इलाके में यदि मजबूत सुरक्षा दीवार बना दी जाय तो खतरे को टाला जा सकता है। औद्योगिक परिक्षेत्र होने के बावजूद भी क्षेत्र में बिजली की कटौती, बार-बार लगते पावरकट और लो वोल्टेज की समस्या भी आम बात हो गई है जिससे व्यापारियों के साथ आम जनता भी परेशान हैं। लोगों की इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
सामुदायिक भवन 12 सााल बाद भी विभाग को हस्तांतरित नहीं
सरकारी तंत्र जनता के प्रति किस कदर लापरवाह होकर चैन की बंसी बजा रहा है, इसका उदाहरण देखने को मिलता है सिमली बाजार में जहां 12 वर्ष पूर्व ब्लाक द्वारा 85 लाख रुपये की लागत से निर्मित सामुदायिक भवन को 12 वर्षों बाद भी विभाग को हस्तांतरित नहीं किया जा सका है, जिस कारण वो जनता के भी काम नहीं आ पा रहा है। नगरपालिका द्वारा नालियों का मानकों पर नालियों के निर्माण नहीं होने व टूटी नालियों को ठीक नहीं करने और उनकी सफाई नहीं होने के कारण उनमें पसरी गदंगी की वजह से वो चोक हो रखी हैं जो सामान्य दिनों के मुकाबले बरसात में लोगों के लिये आफत बन जाती हैं। इन्हीं नालियों से गुजर रही पेयजल लाइनों के कारण पीने के पानी के माध्यम से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। सिमली बाजार में सार्वजनिक पार्किंग सुविधा नहीं होने के कारण रानीखेत हाईवे समेत सम्पर्क मार्गों पर वाहनों के पार्क होने की वजह से ट्रैफिक जाम लगना आम बात है। इसके चलते आम जनता को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। गर्मियों में पेयजल संकट से भी सिमली को भुगतना पड़ता है।
बोले लोग-
सिमली बाजार में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। इस बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय या मूत्रालय नहीं है जिससे बाजार में सामान की खरीदारी करने के लिए आने वाले परेशानी होती है। -गोपी डिमरी
मुख्य बाजार सिमली से चंडिका मंदिर तक पिंडर नदी किनारे सुरक्षा दीवार बनाई जानी चाहिए। नदी से बरसात में कटाव होता जा रहा है। नालियां भी बनाई जानी चाहिए। पैदल रास्ते के किनारे उगी झाड़ियां भी हटाई जायें। -बीरेंद्र कुमार
बरसात में सिमली वार्ड में जलभराव की समस्या रहती है। गदेरों से आने वाला पानी व मलबा सड़क पर भर जाता है। सड़क पर वाहन चलने के दौरान पूरे बाजार में धूल उड़ती है। बुजुर्ग लोगों और बच्चों को परेशानी होती है। -नीमा देवी
सिमली क्षेत्र में बंदर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। जंगली सूअर व लंगूर भी समस्या बने हैं। कटखने बंदरों से आवाजाही के दौरान खतरा है। बंदरों को पकड़ने के लिए पालिका व विभाग को अभियान चलाना चाहिए। -ऊषा देवी
सिमली में सफाई व्यवस्था चौपट है। कई दिनों तक नालियों की सफाई नहीं की जाती है जिससे संक्रामक बीमारियों की आशंका रहती है। चोक नालियों को खोला जाय व पर्याप्त पेयजल आपूर्ति की जाए। -गोपाल चौधरी
औद्योगिक परिक्षेत्र में बिजली का पावरहाउस होने के बावजूद पर्याप्त बिजली आपूर्ति नहीं हो रही है। लो वोल्टेज और पावरकट की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है। सिमली के लोग इस कारण लोग परेशान हैं। -अशोक
सिमली बाजार में नालियों का निर्माण ठीक ढंग से नहीं किया गया है। जो नालियां बनाई भी गई हैं उनमें गंदगी और कीचड़ जमा रहता है। नालियों से पेयजल लाइनें जा रही हैं जिससे पानी के प्रदूषित होता है। -त्रिलोक नेगी
सिमली बाजार में सफाई कर्मियों की काफी कमी है। बाजार में रोजाना सफाई नहीं होती। कूड़े के ढेर इधर उधर बिखरे रहते हैं जिससे आवाजाही के दौरान दिक्कतें होती हैं। -दिगंबर चौहान
बाजार में पार्किंग न होने से वाहन सड़कों के किनारे खड़े रहते हैं जिससे ट्रैफिक जाम लगता रहता है। नगरपालिका को सार्वजनिक पार्किंग सुविधा को विकसित करना चाहिए जिससे दिक्कतें न हो। -चन्दन सिंह
गर्मियों में पेयजल संकट रहता है। गदेरों का पानी भी कम हो जाता है इसलिये पिंडर नदी के किनारे पेयजल टैंक का निर्माण कर पेयजल आपूर्ति की जाय जिससे पेयजल संकट से निपटा जा सके। नरेंद्र सिंह
सिमली में खेल मैदान भी नहीं है जिस कारण कई शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ रहे बच्चों को भी दिक्कतें आ रही हैं। यहां पर खेल मैदान बनाया जाना जरूरी है। खेल मैदान होगा तो क्षेत्र के खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। -आशुतोष
सिमली बाजार में जौसा, टोंट तथा डाडुवा गदेरों से मलबा आकर लोगों के घरों, दुकानों तथा सड़क में भर जाता है। सुरक्षा दीवार बनाने के लिए प्रशासन से अनुरोध किया गया है। सफाई व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं। -मनोज पुंडीर, सभासद
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