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नाट्यशास्त्र के आधार पर ही प्रसाद के नाटकों का मंचन संभव

Varanasi News - महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट द्वारा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में नाट्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। नाट्य गुरु डॉ. गौतम चटर्जी ने महाकवि प्रसाद के नाटकों में नाट्यशास्त्र...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 24 Feb 2025 04:47 AM
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नाट्यशास्त्र के आधार पर ही प्रसाद के नाटकों का मंचन संभव

23 एके 04 : महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट की ओर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में आयोजित नाट्य कार्यशाला में रविवार को अभ्यास करते युवक-युवतियां। वाराणसी, मुख्य संवाददाता।

महाकवि जयशंकर प्रसाद के नाटकों में नाट्यशास्त्र के सिद्धांतों का गहन पालन और संवर्धन देखने को मिलता है। प्रसाद के नाटकों का उत्कृष्ट मंचन करने के लिए नाट्यशास्त्र का अध्ययन अनिवार्य है। ये बातें नाट्य गुरु डॉ. गौतम चटर्जी ने कहीं। वह रविवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में आरंभ हुई नाट्य कार्यशाला में मुख्य वक्ता थे।

महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में महाकवि जयशंकर प्रसाद के साहित्य पर आधारित नाट्य कार्यशाला में उन्होंने कहा कि महाकवि प्रसाद की रचनाएं न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे भारतीय नाट्यकला की गहनता और व्यापकता को भी प्रकट करती हैं। उद्घटनकर्ता संविवि के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं न केवल कलाकारों को सृजनात्मकता की दिशा में प्रेरित करती हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कार्यशाला की संयोजक डॉ. कविता प्रसाद ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएं अत्यंत आवश्यक हैं। भारतीय नाट्यकला और साहित्य गुलामी के कालखंड में हाशिए पर चली गई थी। अब उसे पुनर्जीवित करने का समय आ गया है।

मेजबान विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी केंद्र के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन, सह-निदेशक गुंजन शुक्ला, भारतेंदु नाट्य अकादमी परिषद के सदस्य दिनेश कुमार श्रीवास्तव, प्रो. विशाखा शुक्ला, कामायनी नाट्य संस्था के डॉ. दीपक कुमार, वीणा सहाय, अमलेश श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए। इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के 50 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। वे कार्यशाला के दौरान जयशंकर प्रसाद के नाटक ‘जन्मेजय का नाग-यज्ञ का मंचन करेंगे।

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