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फागुनी बयार में घुले राग और ताल

Varanasi News - वाराणसी के तुलसीघाट पर ध्रुपद मेला में देश-विदेश के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी। प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने पखावज वादन किया, जबकि पद्मश्री पं उमाकांत गुंदेचा और युवा कलाकार अनंत रमाकांत...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 24 Feb 2025 02:03 AM
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फागुनी बयार में घुले राग और ताल

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। गंगा तट के तुलसीघाट के ध्रुपद तीर्थ पर सनसनाती फागुनी बयार में रविवार को पक्की गायिकी के स्वर घुले तो सरस्वती वीणा के तारों ने मन के तारों को आंदोलित कर दिया। पखावज की थाप तो मानों घाट से टकराती मां गंगा की लहरों से उठती आवाज से जुगलबंदी कर रही हो। ध्रुपद मेला की दूसरी निशा में रविवार को देश-विदेश के कलाकारों ने हाजिरी लगाई। इनके बीच एक विशिष्ट प्रस्तुति भी हुई। संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने लगातार दूसरे साल ध्रुपद मेला में पखावज वादन किया।

इस वर्ष प्रो. मिश्र निशा के चौथे कार्यक्रम में पद्मश्री पं उमाकांत गुंदेचा और युवा कलाकार अनंत रमाकांत गुंदेचा के साथ मंचासीन हुए। इस सुयोग की सुखद अनुभूति दुनियाभर से जुटे ध्रुपद प्रेमियों ने की। युगल गायन का आरंभ राग सरस्वती में चौताल में निबद्ध ध्रुपद रचना ‘प्रथम वन्दन सरस्वती को से किया। गायन के समापन में राग मालकौंस में शूलफाक्ता ताल में निबद्ध रचना ‘शंकर गिरजापति सुनाकर आनंदित किया।

इससे पूर्व दूसरी निशा की शुरुआत आशुतोष भट्टाचार्य के गायन से हुई। उन्होंने शुरुआत राग हंसकिंकणी में चौताल में स्वयं द्वारा स्वरबद्ध संत तुलसीदास के पद ‘राम नाम मणिदीप धरो को से की। इसके उपरांत शूलफाक्ता ताल में निबद्ध अपने गुरु पद्मश्री प्रो. ऋत्विक सान्याल की रचना ‘शिव-शिव शंकर हर-हर महादेव से गायन को विराम दिया। उनके साथ पखावज पर अभिजीत सरकार ने संगत की। दूसरी प्रस्तुति बेंगलुरु की कलाकार गीता नावले की रही। उन्होंने सरस्वती वीणा का वादन किया। राग कनकांगी में आलाप के बाद रूपक ताल में निबद्ध रचना बजाई। समापन राग शंमुखप्रिया में आदिताल निबद्ध रचना से किया। उनके साथ मृदंगम पर डॉ. के. सत्यवर प्रसाद ने संगत की।

तीसरी प्रस्तुति फिलिपींस की शिल्पा शंकर नारायण के गायन की रही। उन्होंने राग मालकौंस में आलाप से आरंभ किया। चौताल निबद्ध मुत्थूस्वामी दीक्षितर की संस्कृत ध्रुपद रचना ‘निरजाक्षी कामाक्षी सुनाने के बाद ‘पूजन को चली से समापन किया। उनके साथ पखावज पर सुखद मुडे, तानपूरा पर सिद्धि एवं जागृति ने सहयोग किया। संचालन प्रीतेश आचार्य, जगदीश्वरी चौबे और नागेंद्र शर्मा ने किया।

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