काशी आध्यात्मिक राजधानी तो तमिलनाडु सांस्कृतिक गौरव
Varanasi News - काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का जश्न मनाया गया। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें भरतनाट्यम, ठेरुकुट्टू और अन्य पारंपरिक प्रस्तुतियाँ...
वाराणसी, हिटी.। काशी और तमिलनाडु के बीच का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध हजारों वर्षों पुराना है। काशी भारत की आध्यात्मिक राजधानी है, तो तमिलनाडु भारतीय संस्कृति का गौरव है। दोनों की संस्कृति में श्रद्धा, भक्ति और कला की एक समान धारा प्रवाहित होती है। ये बातें केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार नमो घाट पर कही। वह काशी तमिल संगमम के तहत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि काशी-तमिल संगमम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने वाला ऐतिहासिक आयोजन है। तमिलनाडु से आए छात्रों के समूह से बातचीत की और सेल्फी खिंचवाई। उन्होंने महर्षि आगस्त्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। डीएम एस. राजलिंगम ने उनकी अगवानी की।
प्रस्तुतियों से नमो घाट पर सिमट आया दक्षिण भारत
सांस्कृतिक कार्यक्रम में माला होम्बल और उनकी टीम ने भरतनाट्यम प्रस्तुति की। जिसमें देवी-देवताओं की स्तुति, भक्ति और मानव जीवन के विभिन्न भावों को दर्शाया गया। इसके बाद पी. अन्नादुरई और उनकी टीम ने तमिलनाडु के पारंपरिक लोकनाट्य शैली ठेरुकुट्टू का प्रदर्शन किया। मुखौटे, रंगीन वेशभूषा और कथा-वाचन के साथ प्रस्तुति ने पौराणिक कथाओं को जीवंत किया। के. अशोक कुमार और उनकी टीम ने पेरियामेलम, दमुकु एवं सत्तीमेलम की वाद्य प्रस्तुति दी, जिसने दक्षिण भारत के ग्राम्य उत्सवों और मंदिरों की भव्यता का अनुभव कराया। मदुरै के सेंतिल वेलुकुमार और उनके दल ने तमिल महाकाव्य कम्ब रामायण के अंशों की प्रस्तुति दी। कट्टईकल, करगम, थप्पत्तम और लोकगीतों की मनमोहक प्रस्तुतियां हुईं। करगम नृत्य में सिर पर रखे कलश का संतुलन साधते हुए नर्तक-नर्तकियों ने अद्भुत कला का परिचय दिया, जबकि थप्पत्तम नृत्य में लोकसंगीत और ताल के साथ तमिल जनजीवन प्रस्तुत हुई।
तमिलनाडु के किसानों ने किया गंगा स्नान
संगमम में तमिलनाडु से आए किसानों ने सोमवार की सुबह हनुमान घाट पर गंगास्नान कर पूजा-अर्चना की। घाट पर स्थित प्राचीन मंदिरों में भी दर्शन किया। इसके बाद महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती के आवास पर उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। किसानों का दल कांची मठ भी पहुंचा और वहां के इतिहास की जानकारी ली।
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