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1700 किमी की पदयात्रा कर महाकुंभ पहुंचे दो भाई, 11 किलो का गदा लेकर आए अंगद दास

  • बजरंगबली के भक्त 11 किलो का गदा एक हाथ में लेकर महाकुम्भ तक चले आए। रविवार रात कर्नाटक के मैसूर से नंगे पांव पैदल चलकर महाकुम्भ पहुंचे सगे भाई नारायण लाल और मालाराम के पैर में छाले पड़ गए थे।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, ईश्वर शरण शुक्ल, प्रयागराजTue, 25 Feb 2025 12:12 PM
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1700 किमी की पदयात्रा कर महाकुंभ पहुंचे दो भाई, 11 किलो का गदा लेकर आए अंगद दास

महाकुंभ अपनी पूर्णता की ओर है लेकिन संगम में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का आना निरंतर जारी है। अथाह श्रद्धा और उत्साह के आगे श्रद्धालुओं की हर परेशानी नतमस्तक हो जाती है। इसमें कोई सैकड़ों किमी की दूरी नंगे पांव ही तय कर रहा है तो कई बाइक से। यहां तक कि बजरंगबली के भक्त 11 किलो का गदा एक हाथ में लेकर महाकुम्भ तक चले आए। रविवार रात कर्नाटक के मैसूर से नंगे पांव पैदल चलकर महाकुम्भ पहुंचे सगे भाई नारायण लाल और मालाराम के पैर में छाले पड़ गए थे। उनकी एड़ी और पंजे पर पट्टी बंधी थी लेकिन संगम की रेती उनके लिए औषधि बन गई।

नारायण ने बताया कि अब तो सभी कष्ट मिट गए। मां गंगा का दर्शन-स्नान कर धन्य हो गए। दोनों भाई 26 जनवरी को मैसूर में तिरंगा फहराकर पैदल निकले थे। नारायण अपने हाथ में भगवान श्रीराम और मालाराम श्री का ध्वज लिए हुए चल रहे थे। मेले में दोनों भाइयों की बेली अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय राज पाल से मुलाकात हुई तो उन्होंने उनका प्राथमिक उपचार कर चकर्ड प्लेट पर सुरक्षित चलने का परामर्श दिया। नारायण की मैसूर में सोने-चांदी की दुकान है, जबकि मालाराम की हार्डवेयर की दुकान है। महाकुम्भ के बाद दोनों भाई अयोध्या प्रस्थान किए।

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700 किमी बाइक चलाकर पहुंचे श्याम

आस्था और दृढ़ संकल्प हो कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना मुमिकन है। इस भाव से भोपाल के शिवनिया के रहने वाले श्याम दुबे लगभग 700 किमी की दूरी बाइक से तय करके संगम पहुंचे। पेश के सिविल कांट्रेक्टर श्याम ने संगम स्नान करके साथ बड़े हनुमान का दर्शन-पूजन किया। उन्होंने बताया कि 144 साल बाद महाकुम्भ के इस पुण्ययोग में स्नान करके असीम आनंद मिला।

कटनी से 11 किलो का गदा लेकर आए अंगद दास

कटनी के रहने वाले अंगद दास हनुमानजी के परम भक्त हैं। वह कटनी में स्थित पूरबमुखी हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी हैं। अंगद दास कटनी से पैदल चलकर रविवार को महाकुम्भ में पहुंचे। वह अपने साथ हनुमानजी का 11 किग्रा वजन का पीतल का गदा भी लिए हुए थे। अंगद दास ने बताया कि गदा को हमेशा अपने साथ रखता हूं। मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की 11 मूर्तियों को अंगद दास ने बनाया है।

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