सुलतानपुर-प्लांट के गोदाम से लाखों का सामान मिला कम, नोडल बीएमएम पर केस
Sultanpur News - सुलतानपुर के जयसिंहपुर में टीएचआर प्लांट के गोदाम का निरीक्षण करने पर गेहूं, मूंग की दाल, मिल्क पाउडर और चीनी की कमी पाई गई। सीडीओ ने नोडल अधिकारी अवधेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया।...

सुलतानपुर, संवाददाता। जिले के जयसिंहपुर में संचालित टीएचआर प्लांट के गोदाम का निरीक्षण करने पर वहां गेहूं, मूंग की दाल, मिल्क पाउडर और चीनी की मात्रा कम पाई गई। डीसी की रिपोर्ट पर मुख्य विकास अधिकारी ने प्लांट के नोडल अधिकारी बीएमएम (ब्लॉक मिशन प्रबंधक) अवधेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है। सीडीओ के निर्देश पर जिला मिशन प्रबंधक ने संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया है। जिले के जयसिंहपुर ब्लॉक में संचालित टीएचआर प्लांट की देखरेख की जिम्मेदारी नोडल के रूप में ब्लॉक मिशन प्रबंधक अवधेश को सौंपी गई थी। जिलाधिकारी के आदेश पर अवधेश का स्थानांतरण कर दिया गया। उनके स्थान पर पवन सिंह की तैनाती की गई थी। आरोप है कि बीते चार दिन से अवधेश गोदाम का चार्ज देने में आनाकानी कर रहे थे। इस पर उपायुक्त स्वत: रोजगार केडी गोस्वामी और जिला मिशन प्रबंधक नीरज ने गोदाम का निरीक्षण किया। स्टॉक मिलान करने पर गोदाम में रखी सामाग्रियों में से 810 बोरी गेहूं, 95 बोरी मूंग की दाल, 59 बोरी स्किम्ड मिल्क पाउडर, तीन कुंतल चीनी कम पाई गई। गोदाम में सामाग्री कम मिलने पर प्रभारी नोडल अधिकारी अवधेश से पूछताछ की गई। इस पर उन्होंने सामाग्री कम होने की बात स्वीकारी साथ ही टीम को लिखित दिया। उपायुक्त स्वत: रोजगार केडी गोस्वामी ने बताया कि जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंपी गई। सीडीओ ने तत्कालीन नोडल बीएमएम अवधेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश जांच टीम को दिया। सीडीओ के आदेश पर जिला मिशन प्रबंधक ने बीएमएम अवधेश के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
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समय पर नहीं तैयार कराया जाता था पुष्टाहार
सुलतानपुर। तहसील जयसिंहपुर क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए मांग के अनुसार पुष्टाहार तैयार किया जाता है, लेकिन नोडल ब्लॉक मिशन प्रबंधक अवधेश की ओर से मार्च व अप्रैल माह में डिमांड इंडेंट पर उत्पादन नहीं कराया है। इसके लिए भी वे जिम्मेदार हैं। समय पर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पुष्टाहार मुहैया नहीं कराने पर बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग(आईसीडीएस) की ओर से भुगतान में कटौती कर दी जाती है। जिससे लागत के अनुसार भुगतान नहीं मिल पाता है। जिससे टीएचआर प्लांट का संचालन करने वाली महिलाओं को भी घाटा लगता है।
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