Hindi NewsUttar-pradesh NewsSultanpur NewsElectric Crematorium in Sultanpur Incomplete for 15 Years Lacks Attention from Authorities

15 साल से अधूरे हथियानाला के इलेक्ट्रिक शवदाह गृह को चलवाने की जरूरत

Sultanpur News - सुलतानपुर में हथियानाला शमशान घाट पर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का निर्माण 15 साल से अधूरा है। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण लावारिस शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है और कई बार शवों को नदी में फेंक...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुल्तानपुरSun, 27 April 2025 02:14 AM
share Share
Follow Us on
15 साल से अधूरे हथियानाला के इलेक्ट्रिक शवदाह गृह को चलवाने की जरूरत

सुलतानपुर, संवाददाता। जनपद मुख्यालय पर स्थित हथियानाला शमशान घाट पर लाशों के लिए इलेक्ट्रिक शवदाह गृह काफी लम्बे समय से अधूरा पड़ा हुआ है। इस शवदाह गृह को बनाने के लिए करीब डेढ़ दशक पहले प्लेटफार्म का ढांचा बनाया गया। लेकिन वह अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है। उसे पूरा कराने के लिए जिले जनप्रतिनिधियों ने कोई खास पहल नहीं की। जिसके कारण अब अधूरा शवदाहगृह का ढांचा शोपीस हालत में पड़ा हुआ है। कभी-कभी पोस्टमार्टम के बाद लावारिस लाशों को तो नदी में भी फेंक दिया जाता है। जिले के आदिगंगा गोमती नदी के हथियानाला शमशान घाट पर एक दर्जन शवदाह गृह बनाया गया है। जिसमें सामान्य के लिए बड़ी संख्या में शवदाह गृह बनाए गए हैं। जहां पर एक साथ दर्जनभर शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही साहूकारों ने अपने मृतक परिवारीजनों की स्मृति में शवयात्री भवन भी बनाया है। इसके साथ ही समाज सेवी संस्था शहीद स्मारक सेवा समिति परऊपुर की ओर से भी शवयात्री भवन बनाया गया है। लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए करीब 15 साल पहले जिला स्तर पर इलेक्ट्रिक शवदाहगृह के लिए प्लेटफार्म बनाने की कवायद शुरू हुई थी। इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाने के लिए प्लेटफार्म ढांचा लगाया गया। ढांचा तो लगाया गया पर उसका उपकरण अब तक नहीं लगाया जा सका। जिसके कारण अब तक शवदाह गृह अधूरा रह गया है। अब सामान्य शवों के अंतिम संस्कार की तरह लावारिस शवों का कुछ सामाजिक संगठन अंतिम संस्कार करते हैं। अगर किसी तरह से सामाजिक संगठनों से चूक हो गई और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार नहीं कराया तो ऐसे शवों को पोस्टमार्टम के बाद नदी में फेंकवा दिया जाता है। लावारिस शवों के लिए बनाए जा रहे इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी कोई खास पहल नजर नहीं आई। निकाय क्षेत्र में स्थित होने के बाद भी इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाने के लिए नगर पालिका प्रशासन ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसके कारण यह शवदाह गृह अधूरा पड़ा हुआ है। अब शवदाह के लिए कई टन लोहे से बनाया गया ढांचा मुंह चिढ़ा रहा है।

इनसेट:

शहर व आसपास के शवों का होता है अंतिम संस्कार

सुलतानपुर। गोमती नदी के हथियानाला शमशान घाट पर शहर के अंदर शतप्रतिशत और शहर के आसापास इलाके के शव को लोग अंतिम संस्कार के लिए लेकर आते हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा हो जिस दिन घाट पर अंतिम संस्कार न होता हो। लेकिन घाट पर बकरियों का जमावड़ा लगा रहता है। अंतिम यात्रा संस्कार के लिए लाए गए शवों के फूल-माला भी नोचने लग जाते हैं। इससे शवयात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

इनसेट:

जिले के जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

सुलतानपुर। नमामि गंगे परियोजना के तहत गोमती नदी को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन कभी मवेशियों के शवों को तो कभी मानव के लावरिस शवों को पोस्टमार्टम के बाद नहीं में फेंक दिया जा रहा है। जिसके कारण आदिगंगा प्रदूषण मुक्त नहीं हो पा रही हैं। जबकि नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाने की योजना बनी थी। ताकि नदी को आसानी से प्रदूषण मुक्त किया जा सके। डेढ़ दशक के दौरान जिले में रहे सांसदों व विधायकों वअन्य जनप्रतिनिधियों ने भी कोई खास दिलचस्पी नहीं निभाई। न ही अब तक इलेक्ट्रिक शवदाहगृह का निर्माण ही पूरा हो सका है।

कोट

शमशान घाट पर करीब 42 लाख से मरम्मत व रंगाई आदि का कार्य कराया जा रहा है। शवयात्री सुविधाओं को ध्यान में रखकर घाट पर विकास कार्य कराया जा रहा है। इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के बारे में पता कराने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

लाल चन्द्र सरोज

अधिशासी अधिकारी

नगर पालिका परिषद

नदी में गंदगी का प्रवेश ही नहीं होना चाहिए। नाले के गंदगी के साथ कूड़ा कचरा फेंक जाने पर सख्ती के साथ रोक लगाई जाए। लावारिश शवों को नदी में फेंके जाने से पानी और भी दूषित हो जाता है। वायु प्रदूषण के साथ जल में संक्रमण तेजी से बढ़ता है। पानी दूषित हो जाता है।

डॉ.अमित कौशल (फोटो नं. 14)

चिकित्सक

नदी को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए काफी लम्बे समय से योजनाएं चली आ रही हैं,कभी किसी रूप में तो कभी किसी रुप में। नमामि गंगे परियोजना के से नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लावारिस इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का निर्माण कार्य पूरा कराया जाए। ताकि नदी में लावारिस शवों को न फेका जाए।

भरत जी मिश्रा (फोटो नं. 15)

समाजसेवी

सरकार की ओर से जो भी विकास कार्य की योजनाएं तैयार की जाती हैं उसमें से महज 40 से 50 फीसदी ही धरातल पर नजर आती हैं। बंदरबांट के कारण शमशान घाट पर इलेक्ट्रिक शवदाहगृह के निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ दिया गया है। अधूरी परियोजना को हर हाल में पूरा कराया जाए।

संजय कप्तान (फोटो नं. 16)

सभासद

गोमती नदी आदि गंगा के नाम से जानी जाती हैं। जिसमें बड़ी संख्या में विभिन्न पर्वों मौनी अमावस्या, जेठ दशहरा, पूर्णिमा पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद भी नदी को प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सका है। इससे कभी-कभी संक्रमण के कारण मछलियां भी मर जाती हैं।

जेपी सिंह (फोटो नं. 17)

सेवानिवृत कर्मचारी

सामाजिक संगठनों को जागरुकता के साथ आगे आने की जरुरत है। एक सुर में हम सभी को अधूरे इलेक्ट्रिक शवदाह के लिए आवाज उठानी चाहिए। बिना आवाज उठाए अधूरी परियोजना पूरी होने वाली नहीं है। जो परियोजनाएं पूरी भी हैं वह रखरखाव के कारण बदहाल हैं।

रामरतन चौरसिया (फोटो नं. 18)

व्यवसाई

नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए काफी पहले लावारिस शवों के अंतिम संस्कार को लेकर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की पहल शुरू हुई थी। लेकिन इस परियोजना को अधूरा छोड़ दिया गया। उसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं, अधूरी परियोजना पर जो आवाज नहीं उठाई गई।

मान सिंह (फोटो नं.19 )

अधिवक्ता

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें