किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन काल है : डॉ. संतोष सिंह अंश
Sultanpur News - राणा प्रताप पीजी कॉलेज के बीएड विभाग में 'किशोरावस्था: समस्याएं और समाधान' विषय पर विचार विमर्श हुआ। असिस्टेंट प्रो. शांतिलता ने किशोरावस्था के बदलावों पर चर्चा की। डॉ. संतोष अंश ने इसे जीवन का कठिन...

सुलतानपुर,संवाददाता। राणा प्रताप पीजी कॉलेज के बीएड विभाग में किशोरावस्था: समस्याएं और समाधान विषयक विचार विमर्श का आयोजन किया गया। असिस्टेंट प्रो. शांतिलता ने कहा कि मनुष्य में परिवर्तन की अवस्था का नाम किशोरावस्था है। किशोरावस्था में बहुत सारे बदलाव शरीर में होते है इस समय माता पिता को बालक के निकट रहकर उसे समझना और समझाना चाहिए। उचित अनुचित के साथ उसे भावनात्मक परामर्श देना चाहिए, और मित्रवत व्यवहार रखना चाहिए। डॉ. संतोष अंश ने कहा कि किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन काल है। यह वह चरण होता है जब बच्चे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से बदलावों का अनुभव करते हैं। यह अवस्था 13 से 19 साल के बीच होता है। किशोरों की समस्याओं का हल समझदारी, धैर्य और सही मार्ग दर्शन से किया जा सकता है। डॉ. सीमा सिंह ने कहा कि बच्चों की समस्याओं को जानना शिक्षक का कर्तव्य है। बीएड प्रथम वर्ष के हिमांशु सिंह ने कहा कि किशोरावस्था में मानसिक समस्या से ग्रसित होकर बालक आत्महत्या तक कर लेते हैं। रोली यादव ने कहा कि किशोरावस्था में बच्चों को नहीं डांटना चाहिए, बल्कि उन्हें समझना चाहिए। उषा ने कहा कि किशोरावस्था में बच्चे में अनेक प्रकार के बदलाव होते हैं। कार्यक्रम को शिल्पा सिंह, सरिता मौर्य, मानसी पांडेय, विभागाध्यक्ष डॉ. भारती सिंह आदि ने संबोधित किया। संचालन हिमांशु सिंह ने किया।
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