Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़SP leader Dinesh Singh Gurjar arrested in bike boat scam ED nabbed after raids on bases

बाइक बोट घोटाले में सपा नेता दिनेश सिंह गुर्जर गिरफ्तार, ठिकानों पर छापे के बाद ईडी ने दबोचा 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले में शुक्रवार को सपा के प्रदेश सचिव दिनेश कुमार सिंह उर्फ दिनेश कुमार सिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले ईडी ने नोएडा में छापेमारी की।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 22 July 2023 04:42 PM
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बाइक बोट घोटाले में सपा नेता दिनेश सिंह गुर्जर गिरफ्तार, ठिकानों पर छापे के बाद ईडी ने दबोचा 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले में शुक्रवार को सपा के प्रदेश सचिव दिनेश कुमार सिंह उर्फ दिनेश कुमार सिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले ईडी ने गुरुवार को दिनेश के नोएडा स्थित ठिकाने पर छापा मारकर तलाशी ली थी। छापे में उसके खिलाफ आपत्तिजनक सबूत मिले थे। दिनेश उन लोगों से पैसे वसूल रहा था, जिनके खिलाफ बाइक बोट घोटाले में ईडी जांच चल रही थी। 

तलाशी के दौरान ईडी को दिनेश के खिलाफ आपत्तिजनक सबूत मिले थे, जिसे ईडी ने जब्त कर लिए थे। दिनेश के खिलाफ पीएमएलए की कार्रवाई ऐसी शिकायतें मिलने के बाद शुरू की गई कि वह उन लोगों से पैसे वसूल रहा है, जिनके खिलाफ बाइक बोट घोटाले में पीएमएलए की जांच लखनऊ जोनल कार्यालय में चल रही है। वह अभियुक्तों से संपर्क कर उनके विरुद्ध चल रही प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की जांच को निपटाने का आश्वासन देता था। वह अभियुक्तों को उनकी चल-अचल संपत्तियों को ईडी से मुक्त कराने के झूठे लालच देता था। 

दरअसल, ईडी लगभग 1665 करोड़ के बाइक बोट घोटाला की जांच कर रही है। मुख्य अभियुक्त संजय भाटी ने अपने सहयोगियों के साथ गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जीआईपीएल) नामक कंपनी बना कर निवेशकों के साथ ठगी की। पीएमएलए जांच से पता चला कि वर्ष 2017 में संजय भाटी ने कंपनी के नाम से आकर्षक निवेश योजना शुरू की थी। इस योजना के अनुसार एक ग्राहक एक, तीन, पांच या सात बाइक में निवेश कर सकता है, जिसका रखरखाव और संचालन कंपनी द्वारा किया जाएगा।

इसमें निवेशकों को मासिक किराया, ईएमआई और बोनस का भुगतान किया जाना था। इसी तरह की योजना ई-बाइक के लिए भी शुरू की गई थी। जीआईपीएल ने विभिन्न शहरों में अपनी फ्रेंचाइजी भी आवंटित की। कंपनी ने अपने निवेशकों को 40 प्रतिशत तक वार्षिक लाभ का झूठा वादा किया था। पीएमएलए जांच से यह भी पता चला कि एकत्र किए गए धन को पोंजी योजना की तरह घुमाया गया और अंततः कंपनी और अन्य व्यक्तियों के नाम पर संपत्ति बनाने में इसका इस्तेमाल किया गया।

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