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बोले सीतापुर -कोल्ड स्टोर हो तो सड़ने से बचे और बेहतर दाम भी मिले

Sitapur News - भारतीय किसानों को सब्जी उत्पादन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उचित दाम न मिलना, बिचौलियों की दखलंदाजी और सिंचाई के लिए पानी की कमी शामिल है। महोली तहसील के किसान कहते हैं कि सरकारी...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरMon, 24 Feb 2025 04:40 PM
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बोले सीतापुर -कोल्ड स्टोर हो तो सड़ने से बचे और बेहतर दाम भी मिले

सब्जी हर घर की जरुरत है। इसके बिना शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां पेट भरा जा सके। इतनी महत्वपूर्ण जरुरत होने के बाद भी इसको बोने वाला किसान परेशान रहता है। आपको बाजार में सब्जी भले ही महंगे दाम पर मिले लेकिन उस दाम का आधा हिस्सा भी उसको उगाने वाले किसान की जेब तक नहीं पहुंच पाता है। बुआई के लिए बीज से लेकर फसल की जोताई के लिए पानी, बढ़वार के लिए उत्तम दर्जे की खाद तक के लिए उसको परेशान होना पड़ता है। इतना ही नहीं सब्जी के खेत में पककर कटने के बाद वह बाजार में उचित दाम के लिए भी संघर्ष करता है। हिंदुस्तान ने महोली तहसील के सब्जी उत्पादक किसानों से उनकी समस्या को जानना चाहा तो उन्होंने खुलकर अपनी परेशानियों को साझा किया।

सब्जी उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान होने के बावजूद जिले के किसान तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। मौसम की मार व सरकारी उपेक्षा ने उनकी स्थिति को और भी दयनीय बना दिया है। जिले में लगभग 10 हजार से अधिक किसान मुख्य रूप से सब्जी उत्पादन में लगे हुए हैं। इनमें से लहरपुर तहसील और आसपास के क्षेत्रों में तीन हजार से अधिक किसान इस व्यवसाय से जुड़े हैं। लहरपुर कस्बे के मोहल्ला टांडा सालार और कुरताजपुर गांव के किसानों के सामने सब्जियों को बाजार में खपा पाना एक बड़ी चुनौती है। यहां पर गोभी, बंद गोभी, मटर, चुकंदर, गाजर, शिमला मिर्च, टमाटर, मिर्च, तरोई, लौकी, भिंडी आदि की खेती हो रही है। इनका कहना है कि बाजार में कभी-कभी इतनी अधिक सब्जी आ जाती हैं कि कीमतें गिर जाती हैं, जिससे लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। जिला मुख्यालय छोड़ दे तो तहसीलों में सब्जियों को लंबे दिनों तक रखने उसके संरक्षण के लिए एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है, जिससे हम किसानों को अपनी फसल जल्द ही बेचना पड़ता है। मजबूरी में उन्हें कम दामों पर सौदा करना पड़ता है। ऐसा न हो तो सब्जियां खराब होने लगती हैं। प्रतिदिन यहां से लाखों रुपये का सब्जी व्यापार होता है। इसके बावजूद किसानों की आर्थिक स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। इनका कहना है कि उन्हें सुविधा एवं सहायता मिले तो वे अपनी मेहनत से सीतापुर जिले के साथ-साथ दूसरे जिलों के लोगों की भी सब्जी की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। समस्याओं के चलते सब्जी उत्पादन कभी-कभी उनके लिए लाभदायक ना होकर दर्द का कारण बन जाता है। इसके अलावा समय पर खाद न मिल पाना भी किसानों के सामने समस्या पैदा कर रहा है।

स्थानीय मंडियों के बाहर बिक्री की हो व्यवस्था

किसानों ने बताया कि जिले की स्थानीय मंडियों से बाहर सब्जी बेचने की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी स्तर पर भी दूसरे बाजारों के साथ हम किसानों के लिए ना तो कोई लिंक है और ना ही हमारे लिए बाजार की कोई व्यवस्था है। यही नहीं सीतापुर में सब्जी उत्पादक किसानों का कोई समूह भी नहीं है। ऐसे में हम किसानों की उपज केवल तहसील और जिले के सीमित बाजारों तक ही रह जाती है। अधिक उत्पादन होने पर सस्ते में अपनी सब्जियों को बेचना हमारी मजबूरी बन जाती है। यदि दूसरे जिलों के बाजार तक हमारी पहुंच रहती तो हमें अपनी सब्जियों की वाजिब कीमत मिलती। यही नहीं समुचित परिवहन सुविधा के अभाव में भी हम किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। साधन की कमी के चलते खेत से मंडी तक सब्जियों को पहुंचाने में लागत बढ़ जाती है।

नहीं मिल पा रहा दाम

सब्जी उत्पादक किसान बताते हैं कि उनके सामने सबसे बड़ी समस्या फसल का उचित दाम मिल पाने की है। उदाहरण के तौर पर बताया कि बाजार में टमाटर भले ही 30-40 रुपए किलो बिकने लगे लेकिन उनको इसका आधा दाम भी नहीं मिल पाता है। खेत से मंडी और मंडी से आढ़ती के बाद बाजार में सब्जी के पहुंचते पहुंचते बिचौलिये सब्जी के दाम तो बढ़ा देते हैं लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। आधे से ज्यादा मुनाफा बिचौलियों की जेब में चला जाता है। इनका कहना है कि सरकार अगर खेत से ग्राहक तक सब्जी के पहुंचने के लिए किसी मजबूत तंत्र को विकसित कर दे तो शायद उनको फसल का बेहतर दाम मिल सके।

तहसीलों में बने प्रमाणित बीज केंद्र

किसानों का कहना है कि सब्जियों के बेहतर उत्पादन के लिए बेहतर बीज आवश्यक हैं, जिनकी उपलब्धता जिले में न के बराबर हैं। निजी बीज केंद्रों में मिलने वाले बीजों से उत्पादन कैसा होगा इसका कोई अंदाज नहीं होता है। बेहतर बीज की तलाश में वह लखनऊ, कानपुर या अयोध्या जाते हैं। इनकी मांग है कि जिले में कृषि विश्वविद्यालयों के बीज केंद्र खोल जाने चाहिए। उन केंद्रों पर प्रमाणित बीज उनको मिलेंगे। इनका कहना है कि कृषि विवि से मिलने वाले प्रमाणित बीजों से बोआई करने पर उनको फसल का उत्पादन बेहतर मिलता है। इसके अलावा कृषि विवि के बीज उन्नत किस्म के होते हैं जो कि रोग और कीटों के प्रति रोधी होते हैं। इनकी मांग है कि तहसील या जिला स्तर पर एक प्रमाणित बीज मिलने का केंद्र होना चाहिए।

नहरों की टेल तक नहीं आ रहा पानी

जिले की नहरों में पानी न आने से किसानों की फसल की लागत बढ़ रही है। किसानों ने बताया कि सिंचाई के मौसम में नहरें ज्यादातर समय सूखी रहती हैं या फिर टेल तक पानी न आने से वह नहर के पानी से फसलों की सिंचाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उनको ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करनी पडती है जो कि फसल की लागत को बढ़ा देती है। इनका कहना है कि फसल की बोआई के समय अगर समय से नहरों में पानी आता रहे तो उनकी लागत कम होगी, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। किसानों ने एक सुर में कहा कि इस काम को तो आसानी से किया जा सकता है। केवल जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरुरत है।

बोले किसान

समय से खाद नहीं मिलती है। किसी तरह हम लोग खाद ब्लैक में खरीद कर फसल में डालते हैं। ऐसे में खर्च भी अधिक होता है और उत्पादन भी प्रभावित होता है। आवारा पशु भी फसल को चट करते हैं।

राहुल मौर्या

पानी की दिक्कत के कारण हम लोगों की गाजर की फसल खराब हो गई है। पूंजी भी नहीं निकल पाई। नहर में समय से पानी आ जाता तो वह सिंचाई कर लेते। हमारे लिए पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।

सुरेश द्विवेदी

सब्जी के रखरखाव के लिए तहसील स्तर पर कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे हमारे द्वारा उत्पादित सब्जी अधिक दिनों तक सुरक्षित रहेगी और हम उसे सही कीमत पर बेच पाएंगे।

छोटू जायसवाल

खाद, बीज, पानी की दिक्कत हो रही है। समय पर इन चीजों के नहीं उपलब्ध होने से सही ढंग से फसल का उत्पादन नहीं हो पाता है। हम जो उत्पादन करते हैं उसका दाम भी बढ़ जा रहा है।

राम मिलन मौर्य

नहरों में समय से पानी न आना एक बड़ी समस्या है। खाद भी समय पर नहीं मिलती है। हमेशा बाजार में किल्लत रहती है। किसान सम्मान निधि योजना का लाभ भी नहीं मिलता है। इस पर ध्यान दिया जाए।

रमेश जायसवाल

बिचौलियों की वजह से उपज का सही दाम नहीं मिलता है। मौसम के मार से उत्पादन प्रभावित होता है। कोल्ड स्टोरेज रहता तो सभी प्रकार की खेती करते। न होने से हम लोग सीमित हो रहे हैं।

हरीश मौर्या

सरकार किसानों की आय दोगुनी कर रही है, लेकिन हम कर्ज में डूबते जा रहे हैं। सब्जियों के अधिक उत्पादन पर हमें कम दामों में ही सब्जियां बेचनी पड़ती है। कोल्ड स्टोरेज रहता तो सब्जियों का स्टॉक कर सकते थे।

अहमद

अभी तक हमारा किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बन पाया है। हमें किसान सम्मान निधि योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार कोई भी योजना लाती है तो उसे किसानों के लिए आसान बनाना चाहिए।

फारूक

समय पर खाद की किल्लत से किसान परेशान रहते हैं और ब्लैक में खाद खरीद कर सब्जी की खेती करते हैं। इससे सब्जी उत्पादन की लागत काफी बढ़ जाती है और लाभ कम हो जाता है। इसका निदान हो।

रामबक्श

पानी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। समय से नहरों मे पानी नहीं होने से फसल का नुकसान होता है। नुकसान होने पर सरकार द्वारा हम लोगों को मुआवजा भी नहीं मिल पाता है।

रामपाल

तहसील स्तर पर मिनी कोल्ड स्टोरेज बनने चाहिए। ऐसा हो जाए तो हम लोग अपनी सब्जियों को समय से संरक्षित कर सकेंगे। इससे हम मांग के समय बिक्री करके अच्छी कीमत पा सकते हैं। लंबी कतार में खड़े होने के बाद भी यूरिया नहीं मिल पाता है।

राजकुमार

हम सब्जी उत्पादकों के सामने पानी न मिल पाना एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा स्थानीय मंडी के अलावा अन्य जिलों में कनेक्टिविटी की भी समस्या है। समय पर बेहतर बीज भी नहीं मिलता है। इससे लागत बढ़ जाती है।

संजय

शिकायतें एवं सुझाव

सुझाव

1. मौसम के प्रभाव को कम करने के लिए सब्जी उत्पादकों को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए।

2. बाजार मूल्य स्थिर करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप हो, दाम तय किया जाए।

3. कोल्ड स्टोरेज और परिवहन सुविधाओं का विकास किया जाए ताकि सब्जी सड़ने से बचे।

4. वित्तीय सहायता और ऋण योजनाओं का विस्तार का विस्तार किया जाए, किसानों को लाभ मिले।

5. कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण और मिट्टी की नियमित रूप से जांच की जाए।

6. किसानों को आधुनिक खेती के तरीकों की जानकारी दी जाए।

शिकायतें

1. असमय बारिश, सूखा, अत्यधिक गर्मी और ठंड की कमी से सब्जी की फसल प्रभावित होती है।

2. बाजार की अस्थिरता का माहौल है, बिचौलियों की जेब में जाता मुनाफा।

3. तहसीलों में कोल्ड स्टोरेज और परिवहन सुविधाओं का अभाव है।

4. वित्तीय सहायता का अभाव है, सरकारी योजनाओं से ऋण मिले।

5. उन्नत किस्म के बीज और किसानों को प्रशिक्षण की कमी।

6. आवारा पशुओं की समस्या का समाधान किया जाए।

बोले जिम्मेदार

किसानों के लिए मिट्टी की जांच की सुविधा उपलब्ध है। वह 112 रुपए अदा करके जांच करा सकते हैं। किसानों को केसीसी या सम्मान निधि संबंधित कोई समस्या है तो वह कार्यालय में आकर संपर्क कर सकते हैं। परिवहन के साधन और कोल्ड स्टोरेज को लेकर यदि किसानों को कोई समस्या है तो उसके निदान के लिए भी प्रयास किए जाएंगे।

मंजीत कुमार, जिला कृषि अधिकारी

नंबर गेम

जिले में सब्जी उत्पादक किसान - 10 हजार

सब्जी की खेती का क्षेत्रफल - लगभग 100 हेक्टेयर

सब्जी बोने वाले गांव - 25 से ज्यादा

प्रस्तुति - दिव्यांश सिंह, अविनाश दीक्षित

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