बोले सीतापुर-दूर स्कूल, रास्ते खराब, आने जाने में भी परेशानी
Sitapur News - सीतापुर में महिला शिक्षकों को बेहतर शिक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सुरक्षित परिवहन की कमी, मासिक धर्म के दौरान छुट्टी न मिलना, और...

सीतापुर। स्कूलों में नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने में पुरूष शिक्षकों की अपेक्षा महिला शिक्षकों का अधिक योगदान है। सही मायनों में महिला शिक्षकों पर पुरुषों की तुलना में अधिक कार्यभार होता है। विद्यालय के शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ उन्हें घर-परिवार की जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती हैं। बच्चों की देखभाल, घर के कामकाज और परिवार के अन्य सदस्यों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उनके पास अपने लिए बहुत कम समय बचता है। यह दोहरा बोझ उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा कार्यस्थल पर भी महिला शिक्षकों को कई परेशानियों का सामना करना पडता है। महिला शिक्षकों ने बताया कि रोड साइड के स्कूलों को छोड़कर महिला शिक्षकों की तैनाती कुछ ऐसे स्कूलों में है जहां आने जाने के पर्याप्त साधन नहीं हैं। इसके अलावा सड़कें भी जर्जर हैं। ऐसे में समय से स्कूलों तक पहुंच पाना किसी संघर्ष से कम नहीं है। सर्दी की सुबह और गर्मी की दोपहरों में साधन मिलने में परेशानी होती है। वह साधनों के अभाव में निजी वैन चालकों पर विश्वास करके आती और जाती तो हैं लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं किसी अनहोनी का डर लगा रहता है। इसके अलावा जिले के कुछ स्कूलों तो ऐसे हैं जो कि बिना बाउंड्रीवाल के हैं। बिना बाउंड्री वाले स्कूलों में तैनाती महिला शिक्षकों स्वयं की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहती हैं। साथ ही महिला शिक्षकों की मांग है कि मासिक धर्म के समय इनको खासा परेशानी होती है, छुट्टी न मिल पाने के कारण उन मुश्किल दिनों में भी इनको स्कूल आना पड़ता है। इन दिनों के लिए इनको अलग से अवकाश दिया जाए।
सन्नाटे रास्तों में लगता डर
परिवहन की असुविधा के कारण गांव के अंदर के स्कूलों में उन्हें विद्यालय तक पहुंचने में भी अधिक समय और ऊर्जा लगानी पड़ती है। विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में महिला शिक्षकों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। विद्यालय तक पहुंचने के लिए उन्हें अक्सर असुरक्षित रास्तों से गुजरना पड़ता है। बताती हैं कि सन्नाटे रास्तों को पार करना इनके लिए मुश्किल होता है। विद्यालय परिसर में भी कई बार पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती है, जिससे वे असहज महसूस कर सकती हैं। महिला शिक्षकों के लिए सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण सुनिश्चित करने की जरूरत है। जिससे वे बिना किसी डर के शिक्षण कार्य कर सकें। बताती हैं कि छोटा बच्चा बीमार हो जाए, तो ऐसी हालत में भी अवकाश मिलने में मुश्किलें आती है। उनकी मांग है कि यदि छुटटी के प्रार्थनापत्र के साथ बच्चे का चिकित्सीय प्रमाणपत्र संलग्न है, तो तत्काल प्रभाव से उन्हे छुटटी मिले। साथ ही असाध्य रोग, गर्भवती, दिव्यांग और 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिला शिक्षकों की चुनाव या अन्य सरकारी कार्यक्रमों में डयूटी ना लगाई जाए। महिला शिक्षकों का कहना है कि कार्यस्थल पर जरूरी सुविधाएं और सुरक्षित माहौल मिले तो वह और बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभा सकती हैं।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
कई सरकारी विद्यालयों में महिला शिक्षकों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव होता है। शौचालय की कमी, स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता और आराम करने के लिए अलग कक्ष न होने जैसी समस्याएं उनके लिए दैनिक कार्य को कठिन बना देती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में अक्सर ये समस्याएं अधिक गंभीर होती हैं। इन सुविधाओं की कमी न केवल उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उनके मनोबल को भी गिराती है। महिला शिक्षकों ने बताया कि स्कूलों में एक ही शौचालय है। जिसका बच्चे और शिक्षक सभी इस्तेमाल करते हैं। जिम्मेदार तंत्र की ओर से शौचालय के रखरखाव और सफाई आदि का अभाव है। जिसकी वजह से शौचालय बहुत गंदे रहते हैं, जिसके चलते महिला शिक्षकों को काफी असुविधा होती है। महिला शिक्षकों की मांग है कि स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
बिना बाउंड्री के स्कूल में असुरक्षा का भाव
विकासखंड महमूदाबाद क्षेत्र के ग्राम पंचायत बांकरपुर के प्राथमिक विद्यालय केसरवारा में बाउंड्री न होने से हर वक्त बच्चों और महिला शिक्षकों के सिर पर खतरा मंडराता रहता है। यह बांकरपुर विद्यालय के मुख्य मार्ग के किनारे बना हैं,जिससे जीव जंतुओं के आने का खतरा बना रहता है। बाउंड्री न होने से शिक्षक भी परेशान हैं। उनका कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कत मवेशियों से होती है। दिनभर स्कूल में इनका आना जाना रहता है। कई बार बच्चों और शिक्षकों पर हमला भी कर देते हैं। स्कूल में गंदगी अलग करते हैं। अभिभावकों ने भी इस पर नाराजगी जताई है। कॉलेज की प्रधानाध्यापक सरस्वती देवी ने बताया कि कई बार ने डीएम समेत अन्य उच्चाधिकारियों से मामले को संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की है। जिससे कि विद्यालय की बाउंड्री बन जाए और सुरक्षा बढ़ जाए। लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न तो ग्राम प्रधान सुनवाई करते हैं। कई बार ग्राम प्रधान से शिकायत की गई है लेकिन वह भी विद्यालय की बाउंड्री नहीं बनवा रहे है। इस प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ दो महिला शिक्षकों की तैनाती है और विद्यालय में बाउंड्री ना होने की वजह से सुरक्षा में काफी असुविधा महसूस होती है। शिक्षिकाओं का कहना है कि केवल महिला शिक्षक होने के चलते जहां बाउंड्री वॉल की अत्यधिक आवश्यकता है।
सीसीएल के लिए लगाने पड़ते चक्कर
महिला शिक्षकों का कहना है कि नियमानुसार उनको चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) मिलती है। इस लीव का उद्देश्य अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए मिलने वाली छुट्टी होता है। लेकिन सीसीएल भी उनको आसानी से नहीं मिल पाती है। इसके लिए भी उनको आफिसों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, इसके अलावा काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इनकी मांग है कि सीसीएल को समय से बिना किसी मशक्कत के लिए अप्रूव किया जाए। बिना कोई बेवजह का कारण बताए उसको रिजेक्ट न किया जाए। ऐसा हो जाए तो वह अपने बच्चों की देखभाल ठीक ढंग से कर सकती हैं।
शिकायतें
- महिला शिक्षकों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी जाती हैं।
- महिलाओं को घर से दूर स्थित स्कूलों में तैनात कर दिया गया है, उन्हें आने-जाने में परेशानी होती है।
- चुनाव समेत अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाए जाने से परेशानी होती है।
- महिला शिक्षकों को मासिक धर्म के समय पर छुट्टी नहीं मिलती है।
- सीसीएल लीव के लिए ऑनलाइन आवेदन करने पर भी जल्दी स्वीकृति नहीं मिलती है।
- जिन महिलाओं के विद्यालय ग्रामीण इलाकों में हैं उनमें सुरक्षा को लेकर भय बना रहता है।
- महिलाओं को त्योहारों पर भी केवल एक दिन की ही छुट्टी मिलती है, जिससे दिक्कत होती है।
सुझाव
- विद्यालय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिला और पुरुष शिक्षकों के बीच कार्यभार का समान वितरण हो।
- महिलाओं को तैनात करते समय घर से उनके विद्यालय की दूरी का ख्याल रखा जाना चाहिए।
- विद्यालयों में महिलाओं की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए।
- सीसीएल के लिए ऑनलाइन अवकाश की तत्काल स्वीकृति की व्यवस्था होनी चाहिए।
- विशेष अवकाशों पर महिला शिक्षकों को अतिरिक्त अवकाश दिया जाना चाहिए।
- महिला शिक्षकों को मासिक धर्म के समय छुट्टी मिलनी चाहिए।
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