जिले में फिर बढ़ने लगे काला पीलिया के मरीज
Shamli News - प्रैल तक काला पीलिया के 219 मरीज और मिले - जिला अस्पताल में आये दिन जांच में निकल रहे 10 से 15 मरीज -

जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस बी व सी के मरीजों की संख्या लगातार बढती जा रही है। यहां रोजाना 10 से 15 मरीजों को हेपिटाइटिस बी व सी पुष्टि हो रही है। जिसके चलते जिला अस्पताल में करीब 869 हेपिटाइटिस बी व सी के मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें अप्रैल माह में चिन्हित करीब 219 नए सामिल है। वही जिले भर के करीब पांच हजार से अधिक मरीजों का हेपिटाइटिस बी व सी का कोर्स पूरा हो गया है। हेपिटाइटिस बी और सी (काला पीलिया) बीमारी तेजी से बढ़ रहे हैं। अप्रैल की एक तारीख से 25 तक काला पीलिया की जांच के लिए जिला अस्पताल में 300 से अधिक मरीज पहुंचे। जिनमें से 219 मरीजों को काला पीलिया की पुष्टी जांच के बाद हुई है। जिसमें हेपिटाइटिस बी के 23 और हेपिटाइटिस सी के 196 मरीजों चिन्हित हुए है। वही पहले से ही जिले में करीब 650 मरीजों का हेपिटाइटिस बी व सी का इलाज चल रहा है। अब जिले में नए व पूराने करीब 869 मरीजों का इलाज चल रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि पुरूषों में अधिक काला पीलिया बीमारी का कारण दूषित खान पान व शराब पीने से लीवर खराब होना है। वही जिले में कैराना कांधला के करीब 40 फीसदी मरीज हेपिटाइटिस बी व सी से पीडित है। वही जिला अस्पताल में जिले भर से करीब पांच हजार मरीजों ने हेपिटाइटिस बी व सी का इलाज पूरा हो गया है।
चार प्रकार का होता है हेपेटाइटिस
हेपिटाइटिस बी और सी के कारण काला पीलिया का रोग बढ़ता है, जो लीवर के लिए अधिक घातक होता है। जिला अस्पताल में कार्यरत जनरल फिजिशियन डा. समद अली ने बताया, हेपेटाइटिस चार प्रकार का होता है। हेपेटाइटिस ए और ई यह पीलिया खतरनाक नहीं है। साफ पानी और स्वच्छ खाना न खाने के कारण यह होता है। आमतौर पर बारिश के मौसम में यह बीमारी फैलती है। इसमें आंखें पीली हो जाती है, जिससे पता चल पता है कि मरीज को पीलिया है और दवा लेने के बाद ठीक हो जाता है। वहीं, हेपेटाइटिस बी और सी (काला पीलिया) है। अगर समय पर इसका उपचार नहीं मिला तो मरीज की मौत भी हो सकती है। समय पर उपचार मिलने से तीन से छह महीने तक इसकी दवा चलती है और मरीज ठीक हो जाता है।
ये हैं लक्षण और बचाव
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, भूख कम लगना, बुखार आना, त्वचा और आंखों का पीला होना, मूत्र का रंग गहरा पीला हो जाना, अत्यधिक थकान, उल्टी आना काला पीलिया के लक्षण हैं। वहीं चिकित्सक बताते हैं कि हेपेटाइटिस से बचाव रखने के लिए टूथब्रश किसी से शेयर न करें, टैटू बनवाते समय उपकरणों को सैनिटाइज कराएं, असुरक्षित संभोग से परहेज बरतें, बीमारी के लक्षण दिखें तो इलाज कराएं।
कोट
जिला अस्पताल में अब तक हेपिटाइटिस बी व सी के करीब 5 हजार 800 मरीज पंजिकृत हुए है। जिनमें से करीब 5 हजार का कोर्स पूर हो चुका है। वही अभी भी 869 मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। हेपिटाइटिस बी व सी का इलाज तीन से छह माह में पूरा हो जाता है।
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