1800 किसानों को मिला रेलवे से मुआवजा
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में खलीलाबाद-बलरामपुर रेल लाइन का काम तेजी से शुरू हो गया है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसमें 1800 किसानों को मुआवजा मिल चुका है। एडीएम जयप्रकाश सभी किसानों के खाते...
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संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में खलीलाबाद, बलरामपुर रेल लाइन का काम तेजी से शुरू हो गया है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। किसानों के खाते में मुआवजे की धनराशि तेजी से भेजी जा रही है। अभी तक 1800 किसानों के खाते में मुआवजा पहुंच गया है। इसके अलावा शेष बचे किसानों के खाते में मुआवजा भेजने की प्रक्रिया चल रही है। प्रशासन का लक्ष्य है कि मार्च से पहले सभी किसानों के खाते में धनराशि भेज दी जाए। इसको लेकर एडीएम जयप्रकाश खुद मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
प्रथम चरण में खलीलाबाद से बांसी तक 54 किलोमीटर दूरी तक कार्य होना है। इसमें जिले के खलीलाबाद तहसील क्षेत्र के 29 गांवों के किसानों की 75,128 हेक्टेयर जमीन और मेंहदावल तहसील क्षेत्र के 25 गांवों की 66,862 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई है। यह जमीन चार हजार किसानों की है। सभी किसानों को मुआवजा की धनराशि भेजी जा रही है।
एडीएम जयप्रकाश ने बताया कि अभी तक 1800 किसानों के खाते में धनराशि भेजी जा चुकी है। शेष 22 सौ किसानों के खाते में धनराशि भेजने की प्रक्रिया चल रही है। मेंहदावल तहसील के छह सौ किसानों के खाते में एक से दो दिन के भीतर पैसा भेज दिया जाएगा। अन्य के कोरमपूर्ति का कार्य चल रहा है। रेलवे लाइन का कार्य भी तेजी से शुरू हो गया है। कार्य प्रभावित न हो इसको लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
जिले के 54 गांवों से होकर गुजरेगी रेल लाइन
इसमें जिले के 54 गांव, सिद्धार्थनगर के 93 गांव, बलरामपुर के 65, श्रावस्ती के 30 और बहराइच में 19 गांवों से होकर रेल लाइन बिछाई जानी है।
वर्ष 2019 में हुआ था शिलान्यास
खलीलाबाद, बलरामपुर-बहराइच रेल लाइन का शिलान्यास 2 मार्च 2019 को हुआ था। तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ ही रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने शिलान्यास किया था। शिलान्यास हुआ तो लगा अब जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। 240 किमी लंबी इस रेल लाइन के लिए 4939.78 करोड़ रुपए आवंटित हुआ था। भूमि अधिग्रहण के लिए जनपद के किसानों को भुगतान के लिए सरकार ने जिला प्रशासन को धन उपलब्ध करा दिया था। धन मिलने के बाद से ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और सुस्ती के कारण काफी समय लग गया। अब इस कार्य में तेजी आई है।
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