उपेक्षा का दंश झेल रहा शहर का बगहिया पश्चिमी मोहल्ला
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में खलीलाबाद का बगहिया पश्चिमी मोहल्ला उपेक्षा का
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में खलीलाबाद का बगहिया पश्चिमी मोहल्ला उपेक्षा का दंश झेल रहा है। इस मोहल्ले के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। मोहल्ले की दलित बस्ती और भी उपेक्षित महसूस कर रही है। यह मोहल्ला शहर के उत्तर दिशा की ओर स्थित है। यहां पर विकास की वह आभा नजर नहीं आती है, जिसके लिए यह हकदार है। प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से यह समस्याएं पैदा हुई हैं। सुविधाओं के अभाव में अब यहां के लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं और जिम्मेदार पूरी तरह से खामोश बने बने हुए हैं।
शहर के बगहिया पश्चिमी मोहल्ले में सघन आबादी है। यह क्षेत्र कलक्ट्रेट और इंडस्ट्रियल एरिया के निकट स्थित है। इस वजह से यहां पर रिहायशी बस्ती भी तेजी से बढ़ रही है। जहां से इंडस्ट्रियल एरिया शुरू होता है वहीं से बगहिया वार्ड का प्रवेशद्वार है। यहां से अंदर जाने के बाद एक सार्वजनिक सुलभ शौचालय बना है। इस शौचालय में जो पानी की टंकी हैं वह टूट चुकी है। देखरेख के अभाव में इसे ठीक नहीं किया जा रहा है। यहां की ज्यादातर आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। ज्यादातर लोग मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। मोहल्ले में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास की दरकार है। यहां के लोगों की सुविधा के लिए पेयजल की आपूर्ति के लिए पाइप लान बिछाई गई है, लेकिन अभी तक पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। लिहाजा लोग हैंण्ड पंप के पानी का प्रयोग करते हैं।
इस मोहल्ले के आसपास की भूमि की तेजी से प्लाटिंग कर बेची जा रही है। इसी के साथ भवन निर्माण किए जा रहे हैं। लोगों की बसावट बढ़ रही है। लेकिन इनका कोई सुनियोजित विकास नहीं हो रहा है। पानी निकासी के नई बस्तियों में कोई स्थाइ व्यवस्था नहीं है। अभी जो पानी निकल रहा है वह आसपास के खाली प्लाटों में जा रहा है। जिस दिन सभी प्लाटों पर निर्माण हो जाएगा तो इसके बाद जल निकासी की बड़ी समस्या हो जाएगी। यहां स्थाई सड़कों का भी निर्माण नहीं हुआ है।
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संकरी गलियों में नहीं गुजर पाते वाहन
बगहिया पूर्वी मोहल्ले की आबादी सघन होने की वजह से पतली-पतली गलियों में लोगों का आशियना बना है। इन गलियों में चार पहिया वाहन बड़ी मुश्किल से जा पाते हैं। मोहल्ले की एक चौथाई आबादी के मकान ऐसे बने हैं जिनके घरों तक चार पहिया वाहन नहीं जा पाएंगे। ई-रिक्शा भी हिचकोले खाते ही जाता है। मोहल्ले में दस प्रतिशत आबादी ऐसी हैं, जिनके घरों पर केलव बाइक ही जा पाएगी। शादी ब्याह के दिनों में भी लोगों के घरों पर बारात पहुंचने में समस्या आ रही है। समस्या होने के बावजूद भी विकल्प नहीं होने पर लोग यहीं पर रह रहे हैं।
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रोजगार के लिए युवा गैर प्रदेश पर आश्रित
यह मोहल्ला शहर के औद्योगिक क्षेत्र के बगल में स्थित है। पर बड़े पैमाने पर रोजगार नहीं मिल पाता है। स्थानीय स्तर पर कुछ लोग शहर में जाकर मजदूरी करते हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन मुहैया नहीं होने से युवाओं का एक बड़ा समूह गैर प्रदेशों पर आश्रित है। यहां के युवा व बड़े लोग रोजी-रोटी के इंतजाम के लिए गैर प्रांतों की ओर रुख्सत करते हैं। युवाओं की पहली मायानगरी मुंबई है। वहां हर तरह का रोजगार मिल जाता है। यहां के युवा कमाने के लिए दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में प्रवास करते हैं। घर की महिलाएं स्थानीय स्तर पर मजदूरी करती हैं।
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तालाब में गिरता है घरों का गंदा पानी
बगहिया पश्चिमी मोहल्ले के पास ही एक छोटा तालाब है। इसका संरक्षण नहीं किया जा रहा है। यह गंदगी से पटा हुआ है। पूरे तालाब में जलकुंभी फैली हुई है। पूरे मोहल्ले का गंदा पानी इसी में गिरता है। इसकी सफाई की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि भूजल का स्तर मेंटेन करने के लिए तालाबों का संरक्षण शासन की प्राथमिकता में है। लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते इसमें गंदा पानी गिरने के चलते भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नए संसाधन भले न बने पर जो हैं उन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए।
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गरीब बस्ती के लिए बारत घर की दरकार
वार्ड की अधिकतर आबादी दलित है। नई कालोनियों में बाहर से लोग आकर बस रहे हैं। यहां के स्थानीय नागरिक अधिकतर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर कर हैं। इस मोहल्ले में समूहिक कार्यक्रमों के आयोजन लायक कोई अच्छा बड़ा स्थल नहीं है। शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों को आयोजित करने में बड़ी दिक्कत होती है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन की तरफ से कोई सामुदायिक भवन बन या मैरेज हाल का निर्माण हो जाता तो मोहल्ले के लोगों को बड़े आयोजन व शादी-विवाह में आसानी होती। शहर में महंगे मैरेजहाल बुक नहीं कराने पड़ते।
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उलझे बिजली के तार व केबिलों से हो रही आपूर्ति
इस मोहल्ले में बिजली की आपूर्ति के लिए खम्भों से बिजली के तार व केबिलें लगी हैं। इनका पूरा मकड़जाल फैला हुआ है। यदि किसी के घर के लाइन बिगड़ जाती है तो उसे सुधारने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो हालत यह हो जाती है कि एक को बनाने के चक्कर में दूसरे घर की बिजली बिगड़ जाती है। यहां नई बस रही कालोनियो के पास बिजली के तार और खम्भे नहीं लगे हैं। इसके चलते लम्बी दूरी तक बांस-बल्ली व केबिल के सहारे बिजली आपूर्ति हो रही है। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
नगर पालिका खलीलाबाद ईओ अवधेश कुमार भारती ने कहा कि वार्ड के सभासद से विकास का प्रस्ताव मांग गया था। जो प्रस्ताव मिला है, उस पर काम किया जा रहा है। मोहल्ले का समुचित विकास करने का प्रयास हो रहा है। कुछ समय के बाद नाली, इंटरलाकिंग सड़क व पेयजल की व्यवस्था और बेहतर की जाएगी।
नगर पालिका खलीलाबाद के चेयरमैन जगत जायसवाल ने कहा कि बगहिया पश्चिमी वार्ड में कार्य कराना नगर पालिका की प्राथमिकता में है। हर हाल में इस वार्ड को विकास कार्यों से चमकाया जाएगा। मोहल्ले की सड़कें अधिकतर बन गई हैं। वार्ड के अंदर जो खामियां हैं उसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।
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