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मारपीट के आरोपी दो सगे भाई दोषसिद्ध

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में दो सगे भाइयों को मारपीट के आरोप में दोषी ठहराया गया और एक वर्ष की परिवीक्षा पर छोड़ा गया। आरोपियों को 25-25 हजार रुपए के बंधपत्र पर रिहा किया गया। उन्हें एक हजार रुपए की...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरSat, 26 April 2025 03:02 PM
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मारपीट के आरोपी दो सगे भाई दोषसिद्ध

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मारपीट के आरोपी दो सगे भाइयों को एडीजे व विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट भूपेन्द्र राय की कोर्ट ने दोष सिद्ध करार देते हुए सशर्त एक वर्ष के परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया। आरोपी भाई स्वामीनाथ व भवनाथ को सदाचरण बनाए रखने की शर्त पर 25-25 हजार रुपए के व्यक्तिगत बंधपत्र व समान धनराशि के दो जमानतनामा पर एससीएसटी एक्ट की कोर्ट ने रिहा किया। परिवीक्षाकाल के दौरान कोई अपराध कारित करने पर दण्डादेश के बिन्दु पर आदेश पारित करने का भी फैसला दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी को एक-एक हजार कुल दो हजार रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में वादी मुकदमा को देने का भी फैसला दिया।

विशेष लोक अभियोजक एससीएसटी एक्ट आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि मामला जिले के धनघटा थाना क्षेत्र के ग्राम खेवसिया का है। प्रकरण में जय प्रकाश दूबे ने अभियोग पंजीकृत कराया था। उनका आरोप था कि वह अपना खेत देखने जा रहे थे। प्राइमरी पाठशाला खेवसिया के पास पहुंचे ही थे कि आरोपी स्वामीनाथ व भवनाथ पुत्रगण झीना गाली देने लगे। गाली देने से मना किया तो उपरोक्त आरोपी लाठी डंडा से मारा तथा जान से मारने की धमकी दी। डाक्टरी मुआयना कराकर अभियोग पंजीकृत कराया। पुलिस ने विवेचना के पश्चात आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। विशेष लोक अभियोजक एससीएसटी एक्ट आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि अभियोजन ने कुल पांच साक्षी तथा बचाव पक्ष ने एक साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किया। एडीजे व विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट भूपेन्द्र राय की कोर्ट ने सुनवाई के पश्चात आरोपियों को दोषसिद्ध करार देते हुए एक वर्ष की परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया। इसके क्रास मामले में साक्षियों के पक्षद्रोही होने के कारण आरोपी जय प्रकाश दूबे व अन्य को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ प्रदत्त करते हुए कोर्ट ने दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया। इसके साथ ही एडीजे व विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट भूपेन्द्र राय की कोर्ट ने वादी मुकदमा को प्राप्त क्षतिपूर्ति की धनराशि वापस करने तथा अभियोग पंजीकृत करने का आदेश दिया।

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