सरकारी स्कूलों पर करोड़ों खर्च, रिजल्ट में फिसड्डी
Sambhal News - प्रदेश सरकार शिक्षा में सुधार के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों के परिणाम चिंताजनक हैं। हाईस्कूल में 1.11% और इंटरमीडिएट में 2.05% की कमी आई है। एलएफ एकेडमी के छात्रों ने मेरिट...

प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही है। जिले के सरकारी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों में सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं तैनात हैं, जिन्हें मोटी तनख्वाह दी जा रही है। बावजूद इसके, यूपी बोर्ड के घोषित परिणामों में सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इस वर्ष हाईस्कूल के परीक्षा परिणाम में महज 1.11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि इंटरमीडिएट का परिणाम 2.05 प्रतिशत गिर गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि जिले की टॉप-10 सूची में एक भी सरकारी स्कूल का छात्र या छात्रा स्थान नहीं बना सका। बीते वर्ष भी यही स्थिति रही थी, जब हाईस्कूल की टॉप सूची से सरकारी स्कूल पूरी तरह गायब था और इंटर की सूची में मात्र एक छात्र का नाम आया था।
एडेड स्कूलों का दबदबा, एलएफ एकेडमी फिर से टॉप पर
दसवीं और बारहवीं की मेरिट सूची में इस बार भी एडेड स्कूलों के बच्चों का दबदबा कायम रहा। खासकर एलएफ एकेडमी भवालपुर के छात्रों ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई है। इस विद्यालय के आठ बच्चे (दसवीं व बारहवीं में चार-चार) जिले की टॉप-10 सूची में जगह बनाने में सफल रहे हैं। यह लगातार दूसरा साल है जब एलएफ एकेडमी के छात्रों ने मेरिट में मजबूत प्रदर्शन किया है। दसवीं की टॉप-10 सूची में 16 मेधावियों में 9 छात्राएं और 7 छात्र शामिल हैं, जबकि बारहवीं की सूची में 15 में से 8 छात्राएं और 7 छात्र हैं। खास बात यह रही कि ज्यादातर टॉपर छात्र ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों के एडेड इंटर कॉलेजों से हैं।
सरकारी स्कूलों को करनी होगी और मेहनत : डीआईओएस
जिले के डीआईओएस श्यामा कुमार का कहना है कि, सरकारी कॉलेज के शिक्षक भी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी परिणामों में वह परिलक्षित नहीं हो पाया है। शिक्षक और छात्र दोनों को प्रेरणा लेकर अधिक मेहनत करनी होगी। हम प्रयास कर रहे हैं कि आने वाले वर्षों में सरकारी स्कूलों का स्तर और बेहतर हो।
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