भस्मासुर वध और हनुमान जन्म की लीला मंचन, गूंजे जयकारे
Sambhal News - राजपुरा के गांव हाथीराम बाबा आश्रम में श्रीकृष्ण रासलीला महोत्सव के चौथे दिन बाल कलाकारों ने भव्य मंचन किया। भस्मासुर वध और हनुमान जन्म की कथाओं ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भगवान शिव, विष्णु...
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रजपुरा के गांव हाथीराम बाबा आश्रम में आयोजित श्रीकृष्ण रासलीला महोत्सव के चौथे दिन बाल कलाकारों ने भव्य मंचन कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। भस्मासुर वध की लीला और हनुमान जन्म की कथा ने पंडाल में बैठे हर भक्त को मंत्रमुग्ध कर दिया। लीला का प्रारंभ भगवान शिव की घोर तपस्या से हुआ, जिसमें भस्मासुर वरदान मांगता है कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। भगवान शिव उसे यह वरदान दे देते हैं, लेकिन भस्मासुर माता पार्वती को पाने की जिद करता है। शिवजी की विनती को अनसुना करते हुए वह उन्हें ही भस्म करने की धमकी देता है। इस पर भगवान शिव, भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं। भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर को नृत्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। नृत्य करते-करते जैसे ही भस्मासुर अपने ही सिर पर हाथ रखता है, वह भस्म हो जाता है। इस दृश्य ने पंडाल में मौजूद भक्तों को तालियों और जयकारों से गूंजा दिया। इसके बाद भगवान शिव के तेज अंश को पवन देवता के माध्यम से माता अंजना के गर्भ में स्थापित किया जाता है, जिससे हनुमान जी का जन्म होता है। बाल कलाकारों ने हनुमान जी की बाल लीलाओं का सुंदर मंचन किया, जिसमें उनकी ठोड़ी पर ब्रज के प्रहार की कथा दर्शाई गई। इस लीला में दिखाया गया कि कैसे देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियाँ हनुमान जी को अर्पित कीं, और पवन देवता तब जाकर शांत हुए। लीला मंचन के अंत में देवताओं ने बाल हनुमान का नामकरण किया और उन्हें हनुमान कहकर पुकारा। इस अद्भुत प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भक्तिरस में डूबो दिया और पंडाल "जय हनुमान" के जयकारों से गूंज उठा।
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