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होमगार्ड के समान मिले वेतन भत्ते और नौकरी में मिले सम्मान

Saharanpur News - प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवानों को कम वेतन और सीमित संसाधनों का सामना करना पड़ रहा है। सहारनपुर में लगभग 430 जवान ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ 500 रुपये प्रतिदिन का भुगतान किया जाता है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहारनपुरSun, 27 April 2025 02:57 AM
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होमगार्ड के समान मिले वेतन भत्ते और नौकरी में मिले सम्मान

प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान पूरे जज्बे के साथ हर दिन ड्यूटी पर तैनात होते हैं। होमगार्ड और पुलिस के बराबर नौकरी करते हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि उन्हें न वह वेतन मिलता है, न वह सम्मान और न ही वे सुविधाएं, जो उनकी ड्यूटी के अनुरूप होनी चाहिए। उनको मिलने वाला दैनिक वेतन उनकी दयनीय स्थिति को दर्शाता है। भरी धूप, सर्दी और बरसात में अपनी ड्यूटी निभाने वाले पीआरडी के ये जवान खुद के लिए बेहतर जिंदगी चाहते हैं।

सहारनपुर जिले में करीब 430 पीआरडी (प्रांतीय रक्षक दल) जवान अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिनमें लगभग 30 महिलाएं शामिल हैं। ये जवान विभिन्न सरकारी संस्थानों, ट्रैफिक नियंत्रण, रेलवे स्टेशनों, थानों और अन्य विभागों में ड्यूटी कर रहे हैं। लेकिन, इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इनका वेतन बेहद कम है और संसाधन भी सीमित हैं। वर्तमान में पीआरडी जवानों को प्रतिदिन 395 रुपये का भुगतान किया जाता था, जिसे हाल ही में सरकार ने बढ़ाकर 500 रुपये करने की घोषणा की है। हालांकि जवानों का कहना है कि यह वेतन भी उनके परिवार का पालन-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं है। चाहे तपती धूप हो, कड़कड़ाती ठंड या मूसलधार बारिश, पीआरडी जवान हर परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। लेकिन, उनके समर्पण और परिश्रम के बावजूद उन्हें न्यूनतम वेतन और बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में जरूरत के हिसाब से 11 ब्लॉक सहित 12 कंपनियां होनी चाहिएं, और प्रत्येक कंपनी में 105 जवान होते हैं। कुल मिलाकर जिले में कम से कम 1260 जवानों की आवश्यकता है। इसके सापेक्ष जिले में बहुत कम जवान हैं। ऐसे में पीआरडी जवानों के ऊपर जिम्मेदारियां कहीं अधिक हैं और संसाधन बेहद सीमित हैं।

प्रांतीय रक्षक दल पीआरडी (आजाद हिंद फौज) जवानों का गठन 1935 में हुआ था जिसका नेतृत्व खुद नेता जी सुभाष चंद्र बोस किया करते थे। इन्हीं के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी आजादी के बाद तत्कालीन गृह सचिव ने संपूर्ण सुरक्षा मुकदमों की विवेचना सेक्शन 8 वे 9 आई पी सी (IPC) सहित अनेक अधिकार देकर 1948 एक्ट में पूर्ण रूप से विधान परिषद व विधानसभा में पारित करवाए थे और सेना की भांति प्लाटून बने थे। 1947 से 1957 तक पीआरडी विभाग को थानों की कमान संभालने का दायित्व मिला था और बखूबी पूर्ण रूप से पीआरडी जवानों ने कानून व्यवस्था को पूरे भारतवर्ष में सही तरीके से और कानून के दायरे में रहकर संभाला और भारत देश की सुरक्षा की थी। फिलहाल जनपद में इनकी संख्या काफी कम है। जनपद में करीब 430 पीआरडी जवानों को मात्र 395 प्रतिदिन मानदेय के रूप में दिए जाते थे, जिसे बढ़ाकर अब करीब 500 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है। पीआरडी जवान इससे संतुष्ट नहीं है उनका तर्क है कि समान काम समान वेतन होना चाहिए। पुलिस के समान ही सभी कार्य करते हैं तो सुविधाएं व वेतन भी पुलिस के समान ही होना चाहिए। पीआरडी जवानों का कहना है कि हम 1962 में चीन सेना से लडे और आज भुखमरी से लड़ रहे हैं। पीआरडी जवानों को उत्तर प्रदेश राज्य में पर्याप्त मात्रा में ड्यूटी मिल जाए तो काफी संख्या में पीआरडी जवानों को काफी राहत मिल जाएगी और पुलिस की कमी भी दूर हो जाएगी। पुलिस व्यवस्था भी दुरुस्त हो सकती है। 11 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश समान कार्य समान वेतन के अनुपालन कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

कम वेतन में गुजारा करना मुश्किल

पीआरडी जवानों का कहना है कि इतने कम वेतन में परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन उनकी आय में मामूली वृद्धि ही हुई है। उनका कहना है कि उन्हें कम से कम 30,000 रुपये मासिक वेतन मिलना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।

पीएफ और ईएसआई जैसी सुविधाओं की मांग

अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह पीआरडी जवानों को भी प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) का लाभ मिलना चाहिए। इससे उन्हें चिकित्सा सुविधाएं और भविष्य के लिए कुछ बचत करने का अवसर मिलेगा।

पीआरडी विभाग की निगरानी की मांग

वर्तमान में पीआरडी जवानों को युवा कल्याण विभाग के अंतर्गत रखा गया है। लेकिन जवानों की मांग है कि इस विभाग को अलग करके इसे किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी (आईपीएस अधिकारी) के नेतृत्व में लाया जाए। इससे इनकी सेवाओं को अधिक संरचित तरीके से प्रबंधित किया जा सकेगा और इनकी समस्याओं का जल्द समाधान हो सकेगा।

पेंशन और रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा

पीआरडी जवानों की एक अन्य महत्वपूर्ण मांग रिटायरमेंट के बाद पेंशन या एकमुश्त आर्थिक सहायता की व्यवस्था करने की है। वर्तमान में पीआरडी जवानों के लिए कोई पेंशन योजना नहीं है, जिससे उनकी वृद्धावस्था आर्थिक रूप से असुरक्षित हो जाती है। 60 साल तक देश की सेवा करते हैं, लेकिन जब सेवा से हटते हैं तो हमें कोई पेंशन या आर्थिक सहायता नहीं मिलती।

अन्य विभागों में तैनाती और समान वेतन की मांग

पीआरडी जवान चाहते हैं कि उनकी सेवाओं का विस्तार ट्रैफिक पुलिस, रेलवे, डायल 112, फायर स्टेशन, फॉरेस्ट विभाग, आबकारी विभाग और आरपीएफ जैसी जगहों पर किया जाए। इसके अलावा, वे समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं।

बीमा और आर्थिक सुरक्षा की मांग

पीआरडी जवानों के लिए 24 घंटे के बीमा कवरेज की मांग की जा रही है। उनकी मांग है कि यदि किसी जवान की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को कम से कम 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए।

समस्याएं एवं सुझाव----

-कम मानदेय की समस्या

-पेंशन नहीं मिलने की समस्या

-स्वास्थ्य बीमा नहीं मिलने की समस्या

-सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की समस्या

-आर्थिक असुरक्षा की समस्या

मांगे

-पीएफ और ईएसआई जैसी सुविधाओं की मांग

-समान काम समान वेतन की मांग

-बीमा और आर्थिक सुरक्षा की मांग

-मातृत्व अवकाश दिए जाने की मांग

-आर्थिक सुरक्षा की मांग

वर्जन----

1- पीआरडी जवानों की आर्थिक हालत काफी दयनीय हो गई है। इतने कम वेतन में परिवार चलाना लगभग नामुनकिन है। कम से कम 30 हजार रुपये प्रति महीने वेतन होना चाहिए। संजीव

2- प्रांतीय रक्षक दल विभाग 1948 का एक्ट उत्तर प्रदेश में पूर्ण तरीके से लागू किया जाए क्योंकि उत्तर प्रदेश में प्रांतीय रक्षक दल विभाग 1948 का एक्ट लागू नहीं है। ओमकरण

3- प्रांतीय रक्षक दल विभाग पीआरडी जवानों को (युवा कल्याण ) से अलग करते हुए विभाग अध्यक्ष आई पी एस (IPS) अधिकारी दिलाए जाने की मांग की गई है। पंकज

4- पीआरडी जवानों के 60 वर्ष सेवा करने के उपरांत पेंशन व्यवस्था या एकमुश्त पर्याप्त धनराशि दिलाए जाए जिससे पीआरडी जवानों का बुढ़ापा आराम से व्यतीत हो सके। प्रवीण कुमार

5 - पीआरडी जवानों को थानों व चौकियों पर ट्रैफिक व रेलवे और डायल 112 वह फायर स्टेशन फॉरेस्ट विभाग आबकारी विभाग आरपीएफ आदि पर सहयोग हेतु लगाने के साथ-साथ समान कार्य समान वेतन की मांग को पूरा किया जाए। सूरज सिंह

6- पीआरडी जवानों का बीमा 24 घंटे का करते हुए मृतक पीआरडी जवान को आश्रित को 10 लाख से अधिक की सहायता व सेवा का अवसर दिया जाए l कैलाश चंद

7- पीआरडी जवानों को भी अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों की तरह ही पीएफ अकाउंट व ईएसई अकाउंट का भी फायदा मिलना चाहिए l जावेद हसन

8-महिला जवानों के लिए मातृत्व अवकाश की सुविधा नहीं है। एक भी दिन छुट्टी लेने पर मानेदय नहीं मिलता है। अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए तरह ही पीआरडी महिला जवानों को मातृत्व अवकाश दिया जाए। राथी

9-यदि किसी जवान की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को कम से कम 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए। सुभाष चंद

10-वर्तमान में पीआरडी जवानों के लिए कोई पेंशन योजना नहीं है, जिससे उनकी वृद्धावस्था आर्थिक रूप से असुरक्षित हो जाती है। 60 वर्ष के बाद पेंशन अथवा एकमुश्त फंड की सुविधा मिले। मांगेश

11-अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह पीआरडी जवानों को भी प्रॉविडेंट फंड और कर्मचारी राज्य बीमा का लाभ मिलना चाहिए। इससे उन्हें चिकित्सा सुविधाएं और भविष्य के लिए कुछ बचत करने का अवसर मिलेगा। संजय

12-हमारा संघर्ष केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि हमारे परिवारों के लिए भी है। हमें सरकार से उम्मीद है कि वह हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करेगी। कमल सिंह राणा

13-हम 24 घंटे देश और समाज की सेवा में लगे रहते हैं, लेकिन हमारी खुद की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि परिवार पालना भी मुश्किल हो गया है। सोनू कुमार

14-पीआरडी जवान 60 साल तक देश की सेवा करते हैं, लेकिन जब सेवा से हटते हैं तो हमें कोई पेंशन या आर्थिक सहायता नहीं मिलती। हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है। बलकार

15-सेवाओं का विस्तार ट्रैफिक पुलिस, रेलवे, डायल 112, फायर स्टेशन, फॉरेस्ट विभाग, आबकारी विभाग और आरपीएफ जैसी जगहों पर किया जाए। सत्यपाल

16-महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन आय में मामूली वृद्धि ही हुई है। मंहगाई और मेहनत को देखते हुए कम से कम 30,000 रुपये मासिक वेतन मिलना चाहिए। मेहर सिंह

कंटेंट-मनोज नरुला/फोटो-एच.शंकर शुक्ल

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