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बोले रामपुर : वर्दी न मान-सम्मान, हम हैं पीआरडी के जवान

Rampur News - पीआरडी जवानों की स्थिति बहुत खराब है। उन्हें कम मानदेय मिलता है और ड्यूटी के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं। कई बार उन्हें चतुर्थ श्रेणी का काम करने को मजबूर किया जाता है। जवानों ने सरकार से होमगार्ड के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरMon, 24 Feb 2025 03:20 AM
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बोले रामपुर : वर्दी न मान-सम्मान, हम हैं पीआरडी के जवान

सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस और होमगार्ड का साथ देने वाले पीआरडी जवान खुद समस्याओं में उलझे हुए हैं। विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों को तो छोड़िए, सड़कों पर आम आदमी तक इनके साथ दुर्व्यवहार करता है। इन जवानों को न तो हर माह ड्यूटी मिलती है और न ही इतना मानदेय कि ये लोग अपने परिवार की अच्छी परवरिश कर सकें। इतना ही नहीं, इन जवानों को अपने पैसों से ही मौसम के हिसाब से अपनी वर्दियां खरीदनी पड़ती है। सभी पीआरडी जवानों ने एक स्वर में बात कही कि जब हम होमगार्ड के साथ बराबर काम करते तो मानदेय में फर्क क्यों हैं। पुलिस के साथ सुरक्षा व्यवस्था में कदम से कदम मिलकर चलने वाले प्रांतीय रक्षक दल ( पीआरडी ) की स्थापना आजादी के बाद 1948 में की गई लेकिन, अभी तक सबसे खराब हालत पीआरडी जवानों की ही है। पुलिस थानों की सुरक्षा व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, मेलों, तीर्थ स्थलों और अन्य स्थानों पर सुरक्षा के लिए तैनात होने वाले इन जवानों की संख्या मुट्ठी भर है।

जिले में करीब 1500 परिवारों का जीवन यापन पीआरडी विभाग से चल रहा है। जिले भर में 325 पीआरडी जवान तैनात है। ये जवान थाना, यातायात व्यवस्था, बिजली घर, कॉलेज, कस्तूरबा विद्यालय सहित अन्य प्रशासनिक भवनों पर ड्यूटी पर करते हैं। वहीं कुछ की ड्यूटी अधिकारियों के आवास पर भी लगाई जाती है। इन्हें शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया जाता है। कुछ स्थानों पर इनके मूल कामों से हटकर काम लिया जाता है। कई थाना में चतुर्थ श्रेणी का भी काम लिया जाता है। इस बात से यह लोग आहत है। इयूटी के बदले काम कहने की व्यवस्था खराब है।

पीआरडी जवानों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उस समय अधिक परेशानी होती है जब इन्हें ड्यूटी लगाने के लिए भी रुपये देने पड़ते हंै। इतना कम मानदेय, भत्ता होने के बाद जब रुपये दे देते हंै तो काफी परेशानी होती है। लगातार दो महीने तक ड्यूटी नहीं मिलती है। पूरे वर्ष में चार से पांच महीने ही काम मिल पाता है। ऐसे में परिवार को पालने में बड़ी मुश्किल होती है। पीआरडी जवानों ने बताया कि जहां भी ड्यूटी लगाई जाती है वे वहां उतना ही काम करते हैं जितना होमगार्ड करते हैं। इसके बाद भी हमें आधा रुपये नहीं मिलते हैं। एक दिन ड्यूटी के लिए सिर्फ 395 रुपये ही मिलते हंै। इनकी मांग है कि सरकार इन्हें भी होमगार्ड के बराबर वेतन दे। हमें वर्दी भी नहीं मिलती है। सरकार की ओर से कम से कम तीन वर्ष में एक वर्दी मिलनी चाहिए। ड्यूटी भत्ता नहीं दिया जाता है। 395 रुपयों में से ही हमें अपनी वर्दी बनानी होती है। इसके अलावा अन्य खर्च भी होते हैं। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। इस बीच अगर किसी काम से एक दिन का भी अवकाश ले लें तो उस दिन का वेतन नहीं मिलता है। इस अव्यवस्था के बीच वे अपना दायित्व ईनामदारी से निभा रहे हैं। कितनी भी मेहनत कर लो, उसका लाभ उन्हें नहीं दिया जा रहा है। इससे वे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। इनके लिए सरकार को सुविधा मुहैया कराने की जरूरत है।

बैंकों की व्यवस्था भी पीआरडी के जिम्मे: शहर के प्रमुख कई बैंक है जहां पर पीआरडी जवान रात में सुरक्षा करते हैं। शाम ढलने से लेकर सुबह तक ये तैनात रहते है। इसके अलावा कस्तूरवा विद्यालयों और विद्युत निगम इन जवानों के हवाले ही रहता है। इनकी सुरक्षा व्यवस्था वे लोग संभाले हुए है।

युवा पीढ़ी पीआरडी में भर्ती होने से बच रही

रामपुर। वर्ष 1948 में देश आजाद होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस की मदद करने के लिए प्रांतीय रक्षक दल यानी पीआरडी का गठन किया गया था। यह प्रांतीय रक्षक दल अधिनियम और नियमों के तहत विनियमित है। उत्तर प्रदेश में युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल विभाग इसकी देखरेख करता है।

पीआरडी के जवानों ने बताया कि आजादी की लड़ाई के नायक सुभाष चंद्र बोस की सेना में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की पूरे देश में पीआरडी में भर्ती की गई थी। उस समय पुलिस के बाद सबसे बड़ा रक्षक दल पीआरडी ही रहा था। बताया कि कभी रामपुर में भी 1000 पीआरडी के जवान थे लेकिन,समय के साथ संख्या तीन सौ तक सिमट गई है। इससे बढ़ाने की जरूरत है लेकिन, नई पीढ़ी के नौजवान इसमें भर्ती होने से बच रहे हैं। इसकी मुख्य वजह कम मानदेय हैं। हालांकि मानदेय 500 रुपये प्रति ड्यूटी देने का ऐलान हो चुका है लेकिन यह से दिया जाएगा, इसकी तिथि निर्धारित नहीं है। अगर मानदेय और बढ़ा दिया जाए तो युवा इसमें भती होने के लिए मन बनाने लगेंगे।

दुर्व्यवहार की शिकायत पर मिलती है नसीहत

रामपुर। पीआरडी के जवानों ने कहा कि चौराहे और तिराहें पर ड्यूटी करने के दौरान लोग राहगीर और वाहन चालक उनके साथ अमार्यादित व्यवहार करते है। उसके बाद भी कोई अधिकारी सुनने वाला नहीं है। अधिकारियों से शिकायत करने पर भी उनको ही सही तरह से काम करने की नसीहत दी जाती है। सुनवाई नहीं होने की स्थिति में वह सबकुछ सहन करते हुए ड्यूटी करने के लिए विवश है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।

ट्रैफिक व्यवस्था को चला रहे पीआरडी जवान: शहर की यातायात व्यवस्था को पीआरडी जवान चला रहे है। कई तिराहा और चौराहा ऐसे है,जिन पर सिर्फ पीआरडी को ही तैनात किया गया है। पूरी जिम्मेदारी के साथ दिनभर ट्रैफिक व्यवस्था इन्हीं के हाथों में होती है। वहीं,कुछ चौराहे और तिराहे पर पीआरडी के साथ होमगार्ड के जवान भी तैनात होते है। इन स्थानों पर कोई पुलिस वाले नहीं रहते हैं। तहसील क्षेत्र में भी यह अहम जिम्मेदारियां निभाते है। पुलिस को राहत मिलती है।

सुझाव एवं शिकायतें

1. सरकार की ओर से पीआरडी जवानों को भी होमगार्ड के बराबर मानदेय दिया जाए। तो इनका मनोबल बढ़ेगा।

2. ड्यूटी के दौरान होमगार्ड और पुलिस के बराबर का सम्मान मिलना चाहिए, इससे पीआरडी जवान खुद को सम्मानित महसूस करेंगे।

3. पीआरडी जवानों से चतुर्थ श्रेणी का काम नहीं लिया जाए। इससे वे अपमानित महसूस करते हैं।

4. सरकर वर्दी के लिए भी रुपये दे। तो इससे उनके ड्यूटी के लिए मिलने वाले रुपयों की बचत होगी।

5. यातायात व्यवस्था चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। इससे वे काम करने के लिए अधिक सक्षम होंगे।

6. सरकार पीआरडी जवानों के लिए सुविधाएं बढ़ाए। तो इनमें काम करने के लिए जुनून बढ़ेगा और सुरक्षा व्यवस्था में अधिक सहयोग कर सकेंगे।

1. यातायात व्यवस्था के दौरान पीआरडी जवानों के साथ दुर्ष्ववहार किया जाता है। इससे वे अपमानित महसूस करते हैं लेकिन, शिकायत पर नसीहत मिलती है।

2. मानदेय काफी कम है। इससे परिवार को पालना मुश्किल है। मांग के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।

3. मौसम के अनुकूल वर्दी खुद ही बनानी पड़ती है। सरकार से इसके लिए कुछ नहीं मिलता है।

4. पीआरडी जवानों को अवकाश मिलने का भरोसा नहीं है। ये प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं।

5. पीआरडी जवानों का मानदेय इतना कम है कि एक मजदूर भी इनसे अधिक रुपये कमा लेता है।

6. पीआरडी जवानों से चपरासी स्तर का काम करवाया जा रहा है। अनसुनी करने पर अधिकारियों की सुननी पड़ती है। इससे ये पीड़ित हो रहे हैं।

हमारी भी सुनें

आर्थिक कमजोरी में भी दिन रात मेहनत करते है। पीआरडी जवानों को परेड का पैसा नहीं मिलता है। शासन और प्रशासन को चाहिए कि उनको परेड का पैसा दिलाए।

-अरविंद कुमार

पीआरडी जवानों को हर माह ड्यूटी मिलने में दिक्कत रहती है। ड्यूटी के एवज में भी परेशानी उठानी पड़ती है। ड्यूटी के लिए जवानों को मजबूरन प्रताड़ना से होकर गुजरना पड़ता है।

-राजकुमार

ड्यूटी पर पीआरडी की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। डंडे के दम पर जवान यातायात से लेकर भीड़ तक को काबू करता है। उसके बाद भी उनसे दिहाड़ी मजदूरी जैसा व्यवहार होता है। -जाहिद अली

पीआरडी जवान की स्थिति दिहाड़ी मजदूर जैसी है। जब तक काम करेंगा तब तक मजदूरी मिलेगी। इमरजेंसी की स्थिति में भी उनको अवकाश नहीं मिलता।

-हरनाम सिंह

पीआरडी जवानों को भी होमगार्ड की तरह सरकार को निर्धारित ड्यूटी में मानदेय में बढ़ोतरी करनी चाहिए। ताकि परिवार के भविष्य के लिए वह भी कुछ कर सकें।

-चरन सिंह

सुबह से शाम तक ड्यूटी में भोजन का पैसा मिलना चाहिए। ड्यूटी स्थल पर दिनभर काम में मेहनत करते हैं इसलिए सरकार पीआरडी जवानों को खाना नाश्ता का भी पैसा दिलाए।

-परम सिंह

जो काम होमगार्ड का है, वहीं काम पीआरडी जवान का है। लेकिन,मानदेय होमगार्ड से भी बहुत कम है। उनको एक दिन की ड्यूटी करने पर पांच सौ रूपए मानदेय मिलता है।

-जयपाल

-ड्यूटी स्थल पर पीआरडी जवानों से अधिकारी और कर्मचारियों का व्यवहार भी ठीक नहीं रहता है। पीआरडी जवान दिहाड़ी मजदूर समझ जाते है। उनको भी पुलिस होमगार्ड जैसा सम्मान मिले। -फूल सिंह

ड्यूटी के नाम पर रुपए की मांग करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो। इससे उनका आसानी से नियमित ड्यूटी मिलेगी। रुपए के लेनदेन से उनको नियमित ड्यूटी नहीं मिल पाती है।

-वेदराम

पीआरडी जवानों को गर्मी और सर्दी की वर्दी मिलनी चाहिए। उससे ड्यूटी में जवानों को सुविधा होगी। सरकार को चाहिए कि उनको भी मौसम के हिसाब से वर्दी दिलाई जाए।

-कय्यूम

उनकी ड्यूटी ट्रैफिक के पॉइंट के साथ ही अधिकारियों के घरों पर लगाई जाती है। ट्रैफिक पॉइंट पर दिनभर मेहनत करते हैं। अधिकारियों के घरों पर खेती बागवानी कराई जाती है।

-लक्ष्मण प्रसाद

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