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बोले रामपुर : बदहाल पार्कों में मॉर्निंग वाक करना मुश्किल

Rampur News - शहर में पार्कों की अव्यवस्था के कारण सुबह की सैर करने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई पार्कों में गंदगी, टूटे बेंच और रनिंग ट्रैक की कमी है। इससे मार्निंग वॉकरों को सड़क पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरSun, 23 Feb 2025 03:55 AM
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बोले रामपुर : बदहाल पार्कों में मॉर्निंग वाक करना मुश्किल

सुबह की सैर करने वाले लोगों के लिए पार्क तो बने हैं मगर यहां पर अव्यवस्थाओं का अंबार लगा है। किसी पार्क में रनिंग ट्रैक नहीं है तो किसी पार्क में गंदगी पसरी रहती है। इस वजह से मार्निंग वाकर सड़क या खुले मैदानों में सैर पूरी कर रहे हैं। पार्कों में गंदगी, टूटे ट्रैक, बदहाल बेंच जैसी अव्यवस्थाएं मार्निंग वाकर के लिए चुनौती बन गई हैं। इसका असर मार्निंग वाकर्स की सेहत पर भी पड़ रहा है। शहर में बदहाल पार्कों की समस्या पुरानी है। चुनाव के समय हर बार नेता लोग यह वादा करते हैं कि वह शहर की हालत को सुधारेंगे। इनमें से एक लोगों के सैर करने के लिए पार्कों की कायाकल्प करना भी होता है मगर शहर में तमाम पार्कों में अव्यवस्थाओं का अंबार है। यहां पर न तो बैठने के लिए सही सीटें हैं और न ही रनिंग ट्रैक की उचित सुविधा। कई पार्कों में से तो हरियाली ही गायब है। ऐसी स्थिति में सुबह की सैर करने वाले लोग काफी परेशान होते हैं। उनको योग, प्राणायाम व आसान करने के लिए सही जगह नहीं मिल पाती है। हिन्दुस्तान के बोले रामपुर कार्यक्रम में मार्निंग वाकर्स ने बताया कि शहर में बदहाल पार्क उनके लिए बड़ी समस्या है। सुबह की सैर सेहत के लिहाज से बहुत बढ़िया होती है। इसीलिए वे लोग अपने-अपने घरों से बाहर खुली जगहों पर टहलने के लिए आते हैं मगर शहर में पार्कों की व्यवस्था खराब होने पर उनको सड़क, मैदानों पर टहलना पड़ता है। उनका कहना है कि इन पार्कों के रखरखाव की ओर पालिका की ओर से ध्यान नहीं दिया जाता है। जिसके कारण आसपास रहने वाले लोग चाहकर भी इन पार्को का उपयोग नहीं कर पाते और उन्हें इसके लिए दूरदराज के पार्को में जाना पड़ता है।

शहर में इन पार्कों की हालत है खराब

शहर में आवास विकास, रोशनबाग, फ्रेंडस कालोनी, जिला अस्पताल आदि स्थानों पर पार्क बने हुए हैं मगर उनमें से ज्यादातर पार्को के रखरखाव की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। फ्रेंडस कालोनी के पार्क की स्थिति तो और भी बदतर है। इन पार्को में लोगों के बैठने तक के इंतजाम नहीं हैं। वहीं बच्चों के लिए लगाए गए झूले भी पूरी तरह टूटे हुए हैं। इसके अलावा रोशनबाग और जिला अस्पताल स्थित पार्को में पेड़ों की छंटाई वर्षो से नहीं की गई है। वहीं इन पार्को में रोशनी के भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। लोगों के मुताबिक कहने को तो इन पार्को की देखरेख के लिए निगम की ओर से एक माली व सुरक्षाकर्मी भी उपलब्ध कराया गया है, लेकिन वे यहां कभी नहीं आते। इसकी वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्गो को उठानी पड़ती है। घर के नजदीक पार्क होने के बाद भी वह लोग इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं।

हरियाली की तलाश में गंदगी से होते हैं रूबरू

रजा टेक्सटाइल्स मैदान पर सुबह सबेरे हरियाली की तलाश में आने वाले लोगों को सबसे पहले गंदगी से रूबरू होना पड़ता है। इस सबके जिम्मेदार वे लोग भी हैं जो पार्कों की मॉनिटरिंग नहीं करते।

मॉर्निंग वॉकरों का कहना है कि पार्कों में तैनात मालियों की ड्यूटी तो कागजों में चकाचक है लेकिन हकीकत में वे अधिकारियों के बंगलों में माली और सफाईकर्मी का काम करते हैं। कई ने तो खुद को आफिसों में अटैच करा लिया है। यही वजह है कि कई पार्क बदहाल हो रहे हैं। कई पॉश कालोनियों के पार्कों की बात करें तो वे स्थानीय लोगों की वजह से हरे भरे और साफ सुथरे दिखते हैं। लोग उनमें पौधे लगाकर उनकी देखरेख करते हैं।

पार्क में नहीं सड़कों पर सैर करने को मजबूर हैं मार्निंग वाकर्स

रामपुर। पार्कों की अव्यवस्था के कारण मार्निंग वाकर्स को सड़क या फिर घास फूड़ वाले इलाकों में टहलना पड़ता है। शहर में ज्वालानगर का पार्क सड़क चौड़ी होने के कारण छोटा हो चुका है। इस वजह से यहां पर कम ही संख्या में लोग वाक कर पाते हैं। इसकी वजह से ज्वालानगर के लोगों को रजा टेक्सटाइल्स मैदान में जाना पड़ता है। जहां जाने से पहले लोगों को कूड़े की दुर्गंध का सामना करना पड़ता है। मार्निंग वाकर्स ने बताया कि सड़कों पर टहलते वक्त भी वाहन से टकराने का खतरा बना रहता है।

पार्क में महीनों झांकने तक नहीं आते माली

नगर पालिका हर साल लाखों रुपये पार्कों के रखरखाव पर खर्च करती है। कुछेक पार्कों को छोड़ दिया जाए तो सभी पार्क असुविधाओं से जूझ रहे हैं। सफाई कर्मचारी और माली महीनों पार्क को देखने नहीं पहुंचते हैं। यहां तमाम गंदगी मिलेगी। जबकि पार्कों की देखरेख को पालिका में 15-20 माली हैं। शहर के तमाम पार्कों से पौधे खत्म हो रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदारों का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा है। इस कारण मार्निंग वाकर्स को तमाम असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। काफी पार्कों में ओपन जिम है। जो अब खस्ताहाल है।

पार्कों में शराबियों पर लगे अंकुश

अक्सर देखने में आता है कि पार्कों में शाम के समय शराबियों का जमघट लगा रहता है। इससे आसपास का वातावरण खराब होता है। पार्कों में महिलाएं टहलने के लिए आती हैं। शराबियों की वजह से उनको असुविधा का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है पार्कों में शराबियों का आना जाना बंद होना चाहिए।

पार्कों की निगरानी होनी चाहिए: लोगों का कहना है कि कई पार्कों में कुत्ते आदि जानवर घुस जाते हैं। इससे पार्क में टहलने वाले लोगों को कुत्ते के काटने को लेकर डर बना रहता है। पार्कों में जानवरों की वजह से अव्यवस्था फैलती है। लोगों ने इस समस्या के निदान की मांग की है। लोगों ने बताया कि कई बार छुट्टा पशुओं को पार्कों में दिक्कत होती है।

सुझाव

1. सफाई कर्मियों की पार्क में डयूटी लगाई जाए।

2. पार्कों में लाइटिंग की व्यवस्था बढ़िया होनी चाहिए।

3. पार्क में पेड़ पौधों और अन्य चीजों का रखरखाव होना चाहिए।

4. पार्क में नियमित साफ-सफाई को सफाई कर्मी लगाए जाएं।

5. पार्क में शराबियों पर अंकुश लगाने को पुलिस चेकिंग करे।

शिकायतें

1. पार्क में गंदगी का अंबार। महीनों से सफाई नहीं हुई है।

2. शाम होते ही पार्कों में शराबियों का जमावाड़ा होता है।

3. शौचालय है, उसमें हमेशा ही ताला लगा रहता है।

4. मॉर्निंग वॉकर्स इधर-उधर मजबूरी में टॉयलेट करते हैं।

5. पार्क में आवारा जानवर और कुत्तों के झुंड रहते हैं। इससे लोगों को परेशानी होती है।

हमारी भी सुनें

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पार्कों को सुंदर बनाना चाहिए। जिससे सुबह सवेरे टहलने वाले लोगों को काफी फायदा पहुंचे। पार्कों के व्यवस्थित होने से मार्निंग वाकर्स को काफी फायदा पहुंचेगा। -डीकेश कुमार

नगर पालिका अपने स्तर से कुछ नहीं कराना चाहती। ज्वाला नगर के पार्क में टहलने को जो ट्रैक बना है, वह ठीक नहीं है। इंटरलॉक ईंट बिछा दी गई। जो ऊबड़खाबड़ है।-रामवीर सिंह

पार्क में पहले वॉकिंग ट्रैक था, जो टहलने के लिए ठीक था। अब इंटरलॉक ईंट डाल दी गई, जो पूरी तरह से टहलने के लिए फिट नहीं है। चलते समय पैर आड़े तिरछे पड़ते हैं। -नरेंद्र

कहने को शहर के पार्कों में कर्मचारियों की डयूटी रहती है। कर्मचारियों का रेस्ट रूम बना है। मैंने यहां किसी को काम करते नहीं देखा। सफाई कराने को प्राइवेट व्यक्ति बुलाते हैं। -सौरभ

पार्क में महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है। कई जगह शौचालय है। जब से शौचालय बना उसका ताला नहीं खोला गया है। ऐसे में महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। -मिथुन दास

ज्वालानगर का पार्क काफी छोटा है और यहां पर पर्याप्त लोग टहल नहीं सकते। शहर में अन्य पार्कों की हालत भी ठीक नहीं है। पार्क पर काफी रुपये खर्च किए गए लेकिन उसका जनता को लाभ नहीं मिल रहा। -सुष्मिता

पार्क में छोटे और नये पौधे लगाए जाएं। बैठने की व्यवस्था भी अच्छी होनी चाहिए। जिससे लोगों को सुकून मिलेगा। इसके लिए जिम्मेदारों को पहल करने की जरूरत है। -चेतराम

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पार्क को हराभरा बनाने को पालिका को हर साल पेड़-पौधे लगाने चाहिए। पालिका पार्कों में पेड़ व्यवस्थित नहीं रह पाते। पार्कों में सफाई, पानी, शौचालय, बेंच आदि की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए। -राजेंद्र प्रसाद

लोग पार्क में खुली हवा के बीच योग व्यायाम करने आते हैं। यहां रनिंग ट्रैक पर दौड़ते समय तमाम गंदगी मिलती है। इससे काफी परेशानी होती है।

-देवेंद्र सिंह

पार्कों में आवारा पशु ,कुत्ते और बंदर घुस जाते हैं। जो अक्सर लोगों पर हमला कर देते हैं। बंदर हाथों से वस्तुएं छीन लेते हैं। यहां सुरक्षा गार्ड भी होने चाहिए।

-पवन

कालोनी के पार्क में ओपन जिम बनाना चाहिए। जिससे यहां आने वाले लोग सुबह-शाम खुली हवा में व्यायाम कर सकें। लोगों को काफी राहत मिलेगी।

-अनुज सक्सेना

गुरुद्वारा पार्क में बैठने की व्यवस्था है। रनिंग ट्रैक की व्यवस्था और होनी चाहिए। इससे लोगों को काफी फायदा पहुंचेगा। जो लोग सड़कों पर जाते हैं, वे पार्क में आकर टहलने लगेंगे।

-प्रशांत दास

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