Hindi NewsUttar-pradesh NewsRampur NewsMid-Day Meal Cooks Struggle for Survival with Low Pay in Government Schools

बोले रामपुर : स्कूलों में भोजन परोसने वाली रसोइयां जीवन में दो वक्त की रोटी के लिए झेल रहीं दुश्वारियां

Rampur News - सरकारी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों में काम करने वाली रसोइयां केवल 2000 रुपये प्रति माह मानदेय पर काम कर रही हैं, जो उन्हें अपने परिवार का पालन करने में मदद नहीं कर रहा है। उनकी मांग है कि सरकार...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरMon, 24 Feb 2025 03:36 AM
share Share
Follow Us on
बोले रामपुर : स्कूलों में भोजन परोसने वाली रसोइयां जीवन में दो वक्त की रोटी के  लिए  झेल रहीं दुश्वारियां

सरकारी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना के तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन परोसने वाली रसोइयां खुद अपने परिवारों को नहीं पाल पा रही हैं। इस समय वे आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। उनकी शिकायत है कि सरकारी स्कूलों में भोजन पकाने के एवज में उन्हें 2000 रुपये प्रति माह मानदेय मिलता है। इस मानदेय का भुगतान भी उन्हें समय से नहीं किया जाता है, जबकि वे 6-7 घंटे काम करती हैं। उन्होंने अपना मानदेय बढ़ाने और इसका समय से भुगतान कराने की मांग की है। इसे लेकर उन्होंने हिन्दुस्तान के साथ अपनी पीड़ा बयां की है। जिलेभर के सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए भोजन तैयार करने वाली रसोइयों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सिर्फ 2000 रुपये प्रतिमाह मानदेय पर काम करने वाली ये रसोइयां अपने परिवारों को नहीं पाल पा रही हैं। इन्हें 100-200 बच्चों के लिए खाना बनाना होता है। उनका कहना है कि सुबह से दोपहर तक उनका पूरा दिन इसी काम में बीत जाता है। इन्हें ही भोजन सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी पड़ती है, सफाई का ध्यान रखना होता है, बच्चों को समय पर भोजन परोसना होता है। इन सभी कार्यों की जिम्मेदारी इन्हें ही निभानी होती है। लेकिन, इतनी मेहनत और जिम्मेदारी के बावजूद उनका मानदेय बहुत कम है। अधिकतर रसोइयों के पास आजीविका का अन्य साधन नहीं है। विद्यालयों में भोजन बनाने की एवज में मिलने वाला मानदेय ही उनकी आय का जरिया है। फिर भी मानदेय का भुगतान उन्हें समय पर नहीं किया जाता है। हालांकि ग्राम शिक्षा समिति के तहत ग्राम प्रधान और विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की जिम्मेदारी इन्हें मानदेय का भुगतान कराने की होती है। इन हालात में रसोइयां बच्चों के लिए भोजन तैयार कर रही हैं। उनकी मांग है कि सरकार उनका मानदेय बढ़ाए, समय पर भुगतान कराए और उनके लिए अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इससे रसोइयों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। महिलाएं सरकारी विद्यालयों में भोजन बनाने के काम में रुचि लेंगी। इससे भोजन की गुणवत्ता बेहतर होगी।

रसोइयां बताती हैं कि हर वर्ष 10 माह के लिए ग्राम प्रधान और प्रधानाचार्य की सहमति से विद्यालय में रसोइया को रखा जाता है। विद्यालयों में छुट्टी के दिनों का मानदेय उन्हें नहीं दिया जाता है। उन्हें खाना बनाने, परोसने, बर्तन धोने की जिम्मेदारी भी निभानी होती है। एक रसोइया का प्रतिदिन का मानदेय करीब 66 रुपये बनता है। इन रुपयों से वे परिवार के लिए राशन तक नहीं कर सकतीं। उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। रसोइयों ने कहा कि सरकार उन्हें चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी का दर्जा दे और न्यूनतम मानदेय 12000 रुपये प्रति माह दिया जाए।

6-7 घंटे काम, मिलते हैं सिर्फ 66 रुपये प्रतिदिन

जिला समन्वयक कोऑर्डिनेटर (मिड-डे मील) राहुल सक्सेना ने बताया कि जिले में 1596 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें 4065 रसोइयां बच्चों के लिए भोजन बनाती हैं। मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत में विद्यालय में बच्चों के लिए खाना बनानी वाली रसोइया को 500 रुपये प्रति माह मिलते थे। हालांकि अब मानदेय बढ़ाकर 2,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है, लेकिन महंगाई में दौरे में इस मानदेय से रसोइयों को गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। रसोइयों का कहना है कि जब भी हम मानदेय बढ़ाने की बात करते हैं तो भरोसा मिलता है, लेकिन कब बढ़ेगा,यह कोई नहीं बताता।

रसोइयों को मिले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा

रामपुर। रसोइयों का कहना है कि समय-समय पर उनका प्रशिक्षण होना चाहिए। रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। प्रत्येक माह रसोइयों को समय से मानदेय दिया जाए। इससे परिवार को पालने में आसानी होगी। शासन रसोइयों की आर्थिक स्थिति को सुधारने पर ध्यान दे। रसोइयों से फार्म भरने वाली व्यवस्था खत्म की जाए। हर साल रसोइयों को परेशानी होती है। रसोइयों को नियमित करने के बाद उनका मानदेय भी बढ़ना चाहिए।

सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए भोजन पकानी वाली रसोइयों को तीन माह के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। इससे वे परेशान हैं। रसोइयों का कहना है कि नियमित मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परिवार चलाने के लिए हर माह किसी न किसी से उधार मांगना पड़ता है। मानदेय का भुगतान नहीं होने से रसोइयों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रसोइयों को स्वास्थ्य बीमा और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए। वे योजनाओं के लाभ के लिए जिम्मेदारों के पास चक्कर लगा रही हैं।

रसोइयों को मिले पेंशन तो सुधरें आर्थिक हालात

छात्र संख्या के आधार पर रसोइयों को न हटाया जाए। साथ ही 25 विद्यार्थियों के लिए 1, 100 पर 3, 200 पर 5, 300 पर 7 रसोइयों को रखा जाए। आकस्मिक व मातृत्व अवकाश स्वीकृत किया जाए। मिड-डे मील में ठेकेदारी प्रथा व निजीकरण समाप्त किया जाए। स्कूल में अप्रिय दुर्घटना होने पर रसोइया के परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद और एक सदस्य को स्थायी नौकरी दी जाए। रसोइया को पेंशन दिया जाए। रसोइया को हटाने पर रोक लगाई।

सुझाव एवं शिकायतें

1. हर रसोइया को प्रतिदिन कम से कम 400 रुपये मिलना चाहिए। इससे उनकी आय बढ़ेगी।

2. रसोइयों को 12 माह का मानदेय मिलना चाहिए। वे दो माह आर्थिक तंगी से नहीं जूझेंगी।

3. रसोइयों को स्थायी कर मानदेय बढ़ाया जाए। तो इन्हें अन्य काम की तलाश नहीं करनी पड़ेगी।

4. सरकार सीधे रसोइयों के खाते में मानदेय का भुगतान भेजने की व्यवस्था कराए।

5. हर साल विद्यालय से हटाए जाने का डर सताता है।

1. 2000 रुपये प्रति माह मानदेय मिल रहा है। इसका समय से भुगतान नहीं किया जाता है।

2. एक साल में सिर्फ 10 माह ही काम मिलता है। उन्हें 12 माह का मानदेय नहीं दिया जाता है।

3. रसोइया से भोजन बनाने के साथ विद्यालय की भी सफाई कराई जाती है। इससे सुधारा जाए।

4. स्वास्थ्य खराब होने पर सरकारी सहायता नहीं मिलती। इससे परेशानी बढ़ जाती है।

5. रसोइयों से सिर्फ भोजन बनवाया जाए। बर्तन धोने से दिक्कत है।

हमारी भी सनें

2000 रुपये प्रति माह मानदेय मिलता है। वह भी समय से मिल नहीं मिल पाता। इस वजह से दिक्कत बहुत ज्यादा होती है। कम मानदेय है। फिर भी हम काम करते हैं। -जावित्री

रसोइया का भी दुर्घटना बीमा और मृत्यु होने पर परिवार के लोगों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। हमें कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए। इससे हमारा सम्मान बढे़गा। - विमलेश

विद्यालय में खाना बनवाने के बाद भी हमें पूरे समय तक रहना पड़ता है। भोजन बनने के बाद हमें तुरंत छुट्टी दी जानी चाहिए। स्कूल में अधिक समय लगने की वजह से हम अन्य काम नहीं कर पाते। -कमलेश

एक तो सरकार इतना कम मानदेय देती है। वह भी समय से नहीं मिलता। मैं आर्थिक समस्या का सामना कर रही हूं। सभी रसोइयों का मानदेय बढ़ाया जाना बहुत जरूरी है। -विमलेश कुमारी

नियमित रूप से मानदेय मिलना चाहिए। मानदेय बढ़ना चाहिए। इससे अपने काम के साथ घर की जिम्मेदारी भी हम पूरी कर सकेंगे। अभी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। -प्रेमा देवी

हमारा मानदेय भी माह की 10 तारीख से पहले मिल जाना चाहिए। इससे हमारी आर्थिक दिक्कत कम होगी। साथ ही रसोइयों का मानदेय जरूर बढ़ाया जाना चाहिए। -अतरकली

परिषदीय स्कूलों में बच्चों के लिए खाना तैयार करते हैं। मगर मानदेय का भुगतान समय पर न मिलने से घर में भोजन नहीं पकने की नौबत आ जाती है। इससे बहुत परेशानी होती है। -पनिया देवी

हमारा मानदेय नियमित रूप से मिले तो कोई बात बने। एक तो इतना कम मानदेय और वह हर माह नहीं मिलता है। रसोइयां आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इस पर ध्यान दिया जाए। -जगवती

शिक्षकों का वेतन हर माह 10 तारीख तक आ जाता है। मगर, हम लोगों का मानदेय नियमित समय पर नहीं आता। महंगाई के दौर में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल है। -रामदेई

सरकार कम से कम 12000 रुपये प्रतिमाह कर देगी तो रसोइयों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो जाएगा। हमारी परेशानी कम होगी। गरीब परिवारों की महिलाएं भी रसोइयां हैं। -सुनीता

रसोइया का प्रतिदिन का मानदेय 66 रुपये बनता, जो दैनिक खर्च के हिसाब से काफी कम है। मानदेय में वृद्धि होनी चाहिए। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। -इंद्रवती

प्रत्येक माह रसोइया को समय से मानदेय दिया जाए। सरकार हमारी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जिम्मेदारी ले। हमें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। -राजवती

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें