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बोले रामपुर : ई-कॉमर्स ने तोड़ी व्यापारियों की कमर, बाजार पर असर

Rampur News - ऑनलाइन बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन खुदरा व्यापारियों को इससे भारी नुकसान हो रहा है। व्यापारियों ने सरकार से ऑनलाइन व्यापार में अनियमितताओं को रोकने की मांग की है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो करोड़ों छोटे...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरSat, 15 Feb 2025 08:48 PM
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बोले रामपुर : ई-कॉमर्स ने तोड़ी व्यापारियों की कमर, बाजार पर असर

ऑनलाइन बाजार तेजी पकड़ रहा है लेकिन, सबसे ज्यादा तेजी ऑनलाइन बाजार में मोबाइल से लेकर कपड़े और एसेसरीज के बाजार में देखने को मिल रही है। जबकि कोरोना काल के बाद से खुदरा व्यापारियों को अभी भी ग्राहकों का इंतजार है। खुदरा व्यापारियों का कहना है कि अगर सरकार ने ऑनलाइन व्यापार में चल रही अवैध व्यापारिक गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया तो इससे देश के खुदरा व्यापार को तगड़ा झटका लग सकता है और करोड़ों व्यापारी तबाह हो सकते हैं। इससे करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ने की संभावना भी जताई है। ई-कॉमर्स ने कुछ ऐसी प्रथाओं को जन्म दिया है जो निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को खतरे में डालती हैं। यह व्यापारी, एमएसएमई खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को प्रभावित करती हैं। हिन्दुस्तान की पड़ताल में व्यापारियों ने कहा कि भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग में विनियामक निरीक्षण की आवश्यकता को आकर्षित करना चाहते हैं। ई-कामर्स कंपनियां कानूनों का उल्लंघन करते हुए उसमें बाधक बन रही हैं। इनके व्यापार से खुदरा व्यापारी को काफी नुकसान पहुंच रहा है। या यूं कहें उनका कारोबार बंद होता जा रहा है।

हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान व्यापारियों ने ई-कॉमर्स कंपनियों के बाजार में पचास फीसदी से ज्यादा असर डालने की बात कही। इस दौरान व्यापारियों ने कहा कि ऑनलाइन व्यापार करने वाली कंपनियों पर टैक्स की दरें, एक्सचेंज पॉलिसी पर रोक नहीं लगेगी तब तक समस्याएं बनी रहेंगी। कैश ऑन डिलीवरी पर रोक जरूरी है। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि कभी शहर में रौनक नजर आती थी लेकिन, अब ऑनलाइन के कारण वह खत्म होती जा रही है। यही एक कारण है कि ऑनलाइन खरीदारी से कारोबार प्रभावित हुआ है। दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दूसरे कार्य या फिर इन ऑनलाइन कंपनियों में कार्य करना शुरू कर दिया है। लिहाजा, कई सौ दुकानों-प्रतिष्ठानों से छंटनी हो गई है। जहां कभी दस से 15 लोगों का स्टाफ हुआ करता था। वहां अब उन दुकानों पर पांच से सात लोग ही रह गए हैं। यही स्थिति रही तो वह समय दूर नहीं जब कई और दुकानें बंद हो जाएंगी।

निर्माता करें पहल : व्यापारियों ने कहा कि परंपरागत बाजार बचाने के लिए निर्माताओं को आगे आना होगा। निर्माता या कंपनियां ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अलग उत्पाद मुहैया कराएं। प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध होने वाले उत्पाद ई-कॉमर्स कंपनियों को न दिए जाएं। इसी प्रयोग से बाजार को बचाया जा सकता है।

सरकार लांच करे पोर्टल : व्यापारियों ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के नियंत्रण के लिए ठोस एवं प्रभावी नीति बनानी चाहिए। सरकार एक पोर्टल लांच करे, जिस पर जिलेवार प्रतिष्ठानों की सूची और कपड़ा आदि उपभोक्ता उत्पादों का डिस्प्ले हो। इसके लिए व्यापारियों के लिए एक शुल्क तय कर दें। आमलोगों के बीच उत्पादों की पहुंच बढ़ाई जाए।

जीएसटी में की जाए कमी : व्यापारियों ने कहा कि बाजारों को बढ़ाने और ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने के लिए जीएसटी में भी कमी करनी होगी। इससे लोगों का रुझान और मन बाजारों की ओर बढ़ेगा। इसलिए जीएसटी काउंसिल को एक निर्धारित सीमा तय करनी चाहिए।

ई- कॉमर्स को नियंत्रित किया जाना जरूरी

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि बेलगाम ई-कॉमर्स को नियंत्रित किया जाना बहुत ही जरूरी है। इससे खुदरा कारोबार पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। छोटे और बड़े दोनों वर्ग के कारोबारियों को ई-कॉमर्स नुकसान पहुंचा रहा है। इसने असंगठित 98 प्रतिशत व्यापारियों की कमर तोड़ने का कार्य किया है। इसका एक कारण व्यापारियों का असंगठित रहना भी है।

सरकार को ज्ञापन देकर उठा चुके हैं मांग

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल जिला महामंत्री शाहिद शमसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने बीते दिनों सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी के नाम एक ज्ञापन सौंपा था। जिसमें मांग की थी कि भारतीय ई-कॉमर्स को लेकर नए कानून लाने होंगे। कहा कि ई-कॉमर्स व्यापारी, एमएसएमई खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को प्रभावित करती हैं। छोटे व्यापारियों को बचाना है नए नियम बनाने होंगे।

खुदरा व्यापारियों को भी मिले ऑनलाइन सामान बेचने की सुविधा

खुदरा व्यापारियों की दुकानों के माध्यम से खरीदारी-बिक्री के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से वस्तुओं को बेचने का अवसर मिल सके। इसमें देश के किसी भी हिस्से में खड़ा ग्राहक एक एप के सहारे किसी वस्तु की खरीद के लिए उस वस्तु को बेचने वाली अपने आसपास की सभी दुकानों को देख सकेगा। वह दुकान पर पहुंचकर खरीद कर सकेगा, और चाहे तो ऑनलाइन माध्यम से खरीद भी सकेगा।

सुझाव

1. ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर विक्रेताओं का अनिवार्य केवाईसी किया जाना चाहिए। केवाईसी पारदर्शिता बढ़ाएगा।

2. ई. कॉमर्स कंपनियों ने लगातार भारी वित्तीय घाटे की सूचना दी है। छोटे प्रतिस्पर्धियों को बाहर करने के लिए उत्पादों को अस्थिर दरों पर बेचा जाता है।

3. कई प्लेटफार्म अपनी इन हाउस कंपनियों को विशेष तहरीज देते हैं यह ठीक नहीं है।

4. बड़े प्लेटफार्म द्वारा दी जाने वाली कैश बैक योजनाएं असमान खेल का मैदान बनती हैं।

5. ई. कॉमर्स कंपनी के डिलीवरी कर्मियों को कर्मचारियों के रूप में माना जाए। इन्हें भी अन्य तरह की सुविधा मिले।

शिकायतें

1. ऑनलाइन कंपनियों की एक्सचेंज नीति, कैश ऑन डिलीवरी करने से परेशानी होती है।

2. राज्यकर विभाग के आला अधिकारी अपने अधीनस्थों की कार्यप्रणाली में सुधार लाएं। समय-समय पर व्यापारियों के साथ बैठक कराई जाए।

3. ई-कॉमर्स से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में धोखाधड़ी और ठगी की घटनाएं बढ़ी हैं।

4. ई-कॉमर्स प्लेटफार्म को थोक विक्रेताओं के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए।

5. ई-कॉमर्स पर मिलने वाले सामान के कारण ग्राहक की बारगेनिंग करने की आदद पड़ रही है।

अफसरों से मिलो तो सब ठीक हो जाता है

व्यापारियों ने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम के बाद भी जीएसटी (राज्यकर विभाग) के अधिकारियों की मनमानी जारी है। नोटिसों की बाढ़ आ गई है। नोटिसों का जवाब ऑनलाइन भेज दो तो अधिकारियों को तथ्य सही नहीं लगते। उनके फोन आते हैं। व्यापारियों को मिलने के लिए ऑफिस बुलाया जाता है। उनसे मिलने पर वही आंकड़े सही हो जाते हैं। व्यापारियों ने सवाल उठाया कि सरकार ने इन अधिकारियों को राजस्व बढ़ाने और कर चोरी रोकने के लिए तैनात किया है या व्यापारियों के भयादोहन के लिए।

मिल रहा धोखाधड़ी और ठगी को बढ़ावा

ई-कॉमर्स को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। व्यापारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया से लोगों के साथ धोखाधड़ी और ठगी की घटनाओं को भी बढ़ाया है। ऑनलाइन शॉपिंग करने के नाम पर प्रतिदिन लोगों को ठगा जा रहा है। लोग लिंक को खोलते ही लाखों रुपये गंवा देते हैं। व्यापारियों ने कहा कि अगर धोखाधड़ी और ठगी की घटनाओं को रोकना है तो ई-कॉमर्स पर लगाम लगानी जरूरी है।

व्यापारियों की बात

ई-कॉमर्स से बाजार में धोखाधड़ी और ठगी की घटनाएं भी बढ़ी हैं। ई-कॉमर्स पर रोक लगाने से इस तरह की घटनाएं भी कम हो जाएंगी।

- नजमी खां

ई-कॉमर्स ने खुदरा व्यापारी को बहुत परेशान कर रखा है। लोग बाजार न आकर ऑनलाइन ही सामान खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। -शोएब मोहम्मद खां

ई-कॉमर्स में सामान को सजाया जाता है। लेकिन, सामान की गुणवत्ता और मात्रा का कुछ पता नहीं रहता है। सामान कभी भी खराब निकल जाता है। - नईम अली खां

ई-कॉमर्स छोटे व्यापारी को खत्म करने का काम कर रहा है। सरकार को छोटे व्यापारी को लेकर सख्त कदम उठाना चाहिए।

-हारिश शमसी

ई-कॉमर्स की अधिकांश कंपनियां विदेशी हैं। इनके सामान भी विदेशी ही होते हैं। इनकी बिक्री से भारतीय रुपये विदेश जाते हैं। -प्रदीप खंडेवाल

ई-कॉमर्स से देश के टैक्स और अन्य करों की चोरी हो रही है। इसलिए सरकार को इन पर पैनी नजर रखनी चाहिए।

- शाकेब अहमद शमसी

ई-कॉमर्स ने देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डाला है। इसमें टैक्स की भी चोरी की जा रही है। जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है।- चंद्र प्रकाश रस्तोगी

ई-कॉमर्स पर खुदरा व्यापारियों के उत्पादन की ही बिक्री होनी चाहिए। जिससे उसके कारोबार को बढ़ावा मिल सके।

-फैसल अहमद

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