यूपी में महंगी होगी बिजली? चोरी और घाटे का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने की तैयारी, भेजा गया प्रस्ताव
- उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली दरें तय करने की नई नियामवली का मसौदा जारी किया है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के इस मसौदे में कई खर्चों को बिजली दरों में शामिल करते हुए उपभोक्ताओं पर इसका भार डाले जाने का प्रस्ताव है।
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उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली दरें तय करने की नई नियामवली का मसौदा जारी किया है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के इस मसौदे में बिजली चोरी, वाणिज्यिक हानियां तथा कई अन्य खर्चों को बिजली दरों में शामिल करते हुए उपभोक्ताओं पर इसका भार डाले जाने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित नियमावली के मसौदे में इस बात का जिक्र भी है कि भविष्य में निजी कंपनियां जो आएंगी उन्हें भी आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता (एआरआर) का प्रस्ताव दाखिल करना होगा। आयोग ने इस प्रस्तावित मसौदे पर 13 फरवरी तक आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं।
नियामक आयोग द्वारा जारी प्रस्तावित नियमावली के मसौदे का राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पुरजोर विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि प्रस्तावित मसौदा पूरी तरह निजी घरानों के हक में है। इस मसौदे में बिजली चोरी, वाणिज्यिक हानियां तथा कई अनाप शनाप खर्चों को बिजली दरों में शामिल कर उपभोक्ताओं पर डालने का प्रस्ताव कहीं से भी स्वीकार नहीं है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
बिजली चोरी व हानियां अब तक नहीं डाली जाती थीं उपभोक्ताओं पर
वर्ष 2024 में समाप्त हुई नियमावली में स्पष्ट प्राविधान था कि बिजली चोरी व वाणिज्यिक हानियों का भार उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। वाणिज्यिक हानियां कम करने और बिजली चोरी रोकने के लिए बिजली कंपनियां करोड़ों रुपये विजिलेंस, बिजली थानों आदि पर खर्च करती हैं। उपभोक्ता परिषद के अवधेश वर्मा ने कहा कि इन खर्चों को उपभोक्ताओं पर डालना असंवैधानिक होगा। आयोग अन्य मेंटेनेंस चार्ज, इमप्लाई कास्ट सभी मानकों में ऐसा बदलाव कर रहा है, जिससे उपभोक्ताओं की बिजली दरें लगातार बढ़ेंगी।
निजीकरण के लिए सरकार से निर्देश प्राप्त करने का फार्मूला भी दिया
नियामक आयोग ने मसौदे में भविष्य में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी रूपरेखा तैयार कर दी है। प्रस्तावित कानून में विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-108 को शामिल कर सरकार से निजीकरण के पक्ष में निर्देश प्राप्त करने का फार्मूला निकाला गया है। अवधेश वर्मा ने कहा है कि नियामक आयोग को स्वतंत्र संस्था की गरिमा बनाए रखना चाहिए। परिषद की तरफ से इस प्रस्तावित कानून पर आपत्ति दाखिल करते हुए सुनवाई के दौरान पुरजोर विरोध किया जाएगा। मसौदा निजी घरानों को लाभ पहुंचाने वाला है।
निजी कंपनियों का जिक्र उपभोक्ताओं के साथ धोखा
अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था द्वारा भविष्य में विद्युत वितरण लाइसेंसी के तौर पर दक्षिणांचल-पूर्वांचल में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी इस मसौदे के जरिये रास्ता साफ किया जा रहा है। यह प्रदेश के 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं के साथ धोखा है। आयोग ने इस मसौदे से यह कहने की कोशिश की है कि निजीकरण के मामले में यदि प्रदेश सरकार विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-108 के तहत उनके पास जाएगी तो वह उसका स्वागत करेंगे।