शंकराचार्य शंकर विजयेन्द्र सरस्वती ने लगाई आस्था की डुबकी
Prayagraj News - श्रीकांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेन्द्र सरस्वती का महाकुम्भ नगर में आगमन हुआ। उन्होंने संगम में आस्था की डुबकी लगाई और विशेष अनुष्ठान में भाग लिया। 144 साल बाद हिंदू समाज ने महाकुम्भ में...
श्रीकांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेन्द्र सरस्वती का रविवार को महाकुम्भ नगर में आगमन हुआ। दक्षिण भारत के ब्राह्मणों के दल के साथ आए शंकराचार्य का बमरौली एयरपोर्ट पर शिष्यों ने स्वागत किया। शंकराचार्य शंकर विमान मंडपम में कुछ देर तक रुकने के बाद संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद सेक्टर-20 स्थित शंकराचार्य शिविर में आयोजित विशेष अनुष्ठान में शामिल हुए। शिविर में ब्राह्मणों की ओर से लाए गए स्वर्ण मंदिर को स्थापित करके वीएस सुब्रमण्यम मणि के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया। शिविर में मानव कल्याण व विश्व शांति के निमित्त विविध प्रकार के अनुष्ठान चल रहे हैं। शिविर में मां कामाक्षी देवी की मूर्ति भी स्थापित की गई है।
144 साल बाद महाकुम्भ में निभाई सहभागिता : शंकराचार्य
तिरुमला तिरुपति धर्म संघ के संयोजक राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म को अपनाते हुए हिंदू समाज ने अपनाते हुए 144 साल बाद महाकुम्भ में स्नान और सहभागिता निभाई है। गंगा, यमुना व सरस्वती में स्नान व दर्शन से दस जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है। शंकराचार्य के अनुसार, देश की आध्यात्मिक चेतना ने प्रकृति में पुरुष के दर्शन करने का प्रयास किया। पहाड़, नदियां व पेड़ भौगोलिक दृष्टि से वसुमति की वस्तु संपदा के प्रतीक हैं। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से यह आराधना के प्रतीक हैं। शिविर में अनुष्ठान पूजन के साथ प्रसाद वितरित किया गया। शिविर में पूर्णाहुति 27 को होगा।
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