बुधादित्य योग और शश पंच महापुरुष राजयोग में महादेव की बरसेगी कृपा
Prayagraj News - महाकुम्भ का अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है। इस दिन करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। शिवालयों में पूजन और जलाभिषेक के लिए भीड़ उमड़ेगी। इस दिन सूर्य बुधादित्य योग के साथ...
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महाकुम्भ का अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि 26 फरवरी, गुरुवार को है। इस दिन देवाधिदेव भगवान शिव का पूजन-अर्चन का श्रद्धालु आशीष प्राप्त करेंगे। महाकुम्भ के अंतिम स्नान पर्व पर करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। शिवालयों में पूजन और जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। संगम से शहर तक हर-हर महादेव की गूंज रहेगी। महाशविरात्रि पर श्रद्धालु भगवान शिव को गंगाजल, दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद, गन्ना, बेर आदि अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। मान्यता है कि महादेव का विधिविधान से पूजन-अर्चन करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। ग्रहों की शुभता होगी फलदायी
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक डॉ़ पंडित दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार, ग्रहीय योग से महाशिवरात्रि पर्व की शुभता अधिक फलदायी होगी। इस दिन सूर्य बुधादित्य योग के साथ अपने पुत्र शनि देव की राशि में विद्यमान रहेंगे। इस दिन स्वगृही शनि शश नामक पंच महापुरुष राजयोग पर्व की महत्ता को बढ़ाने वाला होगा। क्योंकि शनि को न्याय कारक ग्रह माने जाने के साथ-साथ कर्म फल प्रदायक भी माना जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था। भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
महा निशीथ काल में पूजन का विशेष महत्व
पूर्वांचली के अनुसार चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी, बुधवार को सुबह 9:19 शुरू हो जाएगी जो गुरुवार, 27 फरवरी को सुबह 8:09 तक रहेगी। चतुर्दशी तिथि बुधवार को प्राप्त होने कारण महाशिविरात्रि का व्रत-पूजन उसी दिन किया जाएगा। इस दिन श्रवण नक्षत्र सूर्योदय से लेकर शाम 4:10 तक रहेगा। उसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। इस दिन छत्र योग व्याप्त रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर औार महा निशीथ काल में पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है। प्रथम प्रहर शाम 6:17 से, द्वितीय प्रहर रात 9:13 बजे से, तृतीय प्रहार रात 12:21 और चतुर्थ प्रहर रात 3:25 से आरंभ होगा।
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