शहर तंबुओं का शहर हो गया है, महाकुम्भ की आस्थाओं में डूबा ये लाखों-करोड़ों का घर हो गया है...
Prayagraj News - हिंदुस्तानी एकेडमी ने रविवार को महाकुंभ मेले में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। डॉ. श्लेष गौतम, कवि अभिजीत मिश्र, देवेंद्र राजभर और राधा शुक्ला ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर एकेडमी के प्रकाशन...
हिंदुस्तानी एकेडमी की ओर से रविवार को मेला क्षेत्र के सेक्टर एक स्थित शिविर में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ. श्लेष गौतम ने ‘शहर तंबुओं का शहर हो गया है, महाकुम्भ की आस्थाओं में डूबा ये लाखों करोड़ों का घर हो गया है पंक्तियों से श्रोताओं की तालियां बटोरी। कवि अभिजीत मिश्र ने ‘दुनिया के प्रश्नों के हल तो नहीं थे पर दुनिया के अधरों पे ताले पड़ गए, लखन जी देख-देख रो रहे थे फूट-फूट इतना कि नयनों में जाले पड़ आए थे का पाठ किया। कवि देवेंद्र राजभर ने ‘चरणों में मां गंगा बहती कंठों में वेदों का गान, अखंड जोत सा जलता दिखे भारत का यह हिन्दुस्तान पंक्तियां सुनाई। कवयित्री राधा शुक्ला ने ‘हर तरफ भीड़ है हर तरफ शोर है, इस महाकुम्भ की बात ही और है पंक्तियां सुनाकर समां बांधा। एकेडमी के प्रकाशन प्रभारी संतोष तिवारी ने कवियों का स्वागत कर उन्हें एकेडमी की पुस्तकें भेंट की। गोष्ठी में डॉ. देवी प्रसाद तिवारी, वैभव अवस्थी, आयुष केसरवानी, अमित कुमार सिंह, राम खेलावन आदि मौजूद रहे।
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