'वेद कभी भी हिंसा का प्रतिपादन नहीं करते'
Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्रकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग ने 'भारतीय ज्ञान परम्परा एवं महर्षि दयानन्द सरस्वती' विषयक दो दिनी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। विशिष्ट अतिथि सुधीर...
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्रकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग की ओर से 'भारतीय ज्ञान परम्परा एवं महर्षि दयानन्द सरस्वती' विषयक दो दिनी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन बुधवार को हुआ। विशिष्ट अतिथि जेएनयू के सुधीर कुमार आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द के अनुसार वेद कभी भी हिंसा का प्रतिपादन नहीं करते हैं। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने जालन्धर में प्रथमतया महिलाओं के लिए गुरुकुल निर्माण किया। भारत की पहली गोशाला का निर्माण रेवाड़ी में किया। महर्षि दयानन्द समाज में समानता के पक्षधर थे। नन्दिता शास्त्री ने महाकुम्भ की प्रशंसा करते हुए महर्षि दयानन्द के कार्यों को पाथेय बनाने का निवेदन किया। कहा कि व्याकरण पढ़ने का उद्देश्य भी वेदों की रक्षा करना ही है। अध्यक्षता करते हुए इविवि के कुलसचिव प्रो. आशीष खरे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में पराधीनता काल में कई समाज सुधारक आएं परन्तु महर्षि दयानन्द ऐसे थे जो सुधार के लिए शिक्षा को प्रबल बनाने के समर्थक थे। स्वागत संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र, संयोजन डॉ. प्रतिभा आर्या और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निरुपमा त्रिपाठी ने किया। प्रो. ज्वलन्त कुमार शास्त्री, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. धर्मेन्द्र कुमार शास्त्री, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रो. ब्रह्मदेव, डॉ. विनोद कुमार, बीएचयू के प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी, जम्मू विश्वविद्यालय की डॉ. प्रियंका आर्या, वसन्त महिला महाविद्यालय राजघाट वाराणसी के बृहस्पति भट्टाचार्य, सदाशिव कुमार द्विवेदी, डॉ. सन्त प्रकाश तिवारी, डॉ. कल्पना आर्या, डॉ. अमृता आर्या, प्रो. ब्रह्मदेव, प्रो. कुमार वीरेन्द्र आदि ने विचार व्यक्त किए।
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