बोले प्रयागराज : शिक्षा निदेशालय शहर की शान, मिटाने पर आमादा हैं अफसरान
Prayagraj News - प्रयागराज में स्थित शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित करने की कोशिशें 2009 से चल रही हैं। कर्मचारियों का कहना है कि टेक्नोलॉजी के इस युग में ऐसी योजनाएं बेकार हैं। अधिकारियों की अनुपस्थिति और...

संगमनगरी में प्रधान डाकघर से एजी ऑफिस के बीच की सड़क मुख्यालयों की सड़क के नाम से भी जानी जाती रही है। यहीं सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा निदेशालय का भी कार्यालय है। आजादी के पहले से यह निदेशालय ही पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग का नियंत्रण करता है और सरकारी सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने के साथ ही हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई भी यहीं से लड़ी जा रही है। बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग का मुख्यालय अपने परिसर में समेटे और दशकों से प्रयागराज की पहचान रहे शिक्षा निदेशालय को धीरे-धीरे कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। दशकों पहले बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग का कैंप कार्यालय लखनऊ भेजा गया और अब शासन में बैठे रसूखदार अफसर उच्च शिक्षा विभाग समेत अन्य कार्यालयों को चरणबद्ध तरीके से राजधानी ले जाने की कोशिश में लगे हैं। खास बात यह है कि शिक्षा निदेशालय के कर्मचारियों की एकजुटता के आगे हर बार ये कोशिशें कामयाब नहीं हो पा रहीं। कार्यालय शिफ्टिंग के खिलाफ चट्टान की तरह खड़े कर्मचारियों का कहना है कि टेक्नोलॉजी के जमाने पर जब सारा काम ऑनलाइन माध्यम से हो जा रहा है तो फिर बार-बार शिक्षा निदेशालय को कमजोर करने की साजिश क्यों हो रही है। नियुक्ति के समय कर्मचारियों ने शिक्षा निदेशालय का विकल्प इसीलिए दिया था ताकि अपने शहर में रह सकेंगे। अधिकांश अफसरों ने अपने घर लखनऊ में बनवा लिए हैं और प्रयागराज आना नहीं चाहते। वही अफसर समय-समय पर यहां से कार्यालय ले जाने की साजिशें करते रहते हैं।
शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव का कहना है कि 2019 में महानिदेशक स्कूल शिक्षा का पद सृजित होने के बाद से बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशकों को शिक्षा निदेशालय प्रयागराज में बैठना चाहिए था, लेकिन उसके उलट कोई बड़ा अधिकारी यहां नहीं बैठता। हालत यह है कि बेसिक शिक्षा परिषद के पूर्व सचिव प्रताप सिंह बघेल के शिक्षा निदेशालय प्रयागराज में न बैठने पर हाईकोर्ट तक को टिप्पणी करनी पड़ गई थी, लेकिन उसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। 2019 और 2025 के कुम्भ और महाकुम्भ में जब प्रयागराज में प्रदेश कैबिनेट की बैठक हो सकती है तो सचिवालय को ही क्यों नहीं प्रयागराज में शिफ्ट कर देते। आजादी के पहले से शिक्षा निदेशालय प्रयागराज की पहचान है। हम इस पहचान को यूं खत्म नहीं होने देंगे। कर्मचारी संघ के मंत्री सुरेन्द्र कुमार सिंह सवाल करते हैं कि कुछ समय पहले एक करोड़ की लागत से उच्च शिक्षा निदेशालय में हाईटेक स्टूडियो बना है। सारी बैठक ऑनलाइन हो रही है तो फिर उच्च शिक्षा का कैंप कार्यालय लखनऊ में स्थापित करने की क्या जरूरत है।
2009 से निदेशालय शिफ्ट करने के हो रहे प्रयास
शिक्षा निदेशालय को प्रयागराज से लखनऊ स्थानान्तरित करने के प्रयास वर्ष 2009 से ही चल रहा है। 21 मई 2009 को तत्कालीन बसपा सरकार में उच्च शिक्षा निदेशालय को प्रयागराज से लखनऊ स्थानान्तरित करने का आदेश हुआ था। उसके बाद लंबे समय तक इस मसले पर खामोशी बनी रही। फिर 24 फरवरी 2020 को अपर मुख्य सचिव बेसिक रेणुका कुमार ने शिक्षा निदेशालय स्थित बेसिक शिक्षा परिषद व इसके वित्त नियंत्रक कार्यालय के साथ ही खंड शिक्षाधिकारियों व लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों के सेवा प्रकरण संबंधी अनुभाग को साक्षरता निदेशालय स्थानान्तरित करने का आदेश किया था। 12 दिसंबर 2024 को बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने लखनऊ में एकीकृत बहुमंजलीय बिल्डिंग बनाने संबंधी पत्र जारी किया था जिसमें महानिदेशक स्कूल शिक्षा, बेसिक शिक्षा निदेशक, अपर शिक्षा निदेशक बेसिक, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक, राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद और साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा के कार्यालय स्थापित करने की बात लिखी है। 30 दिसंबर 2022 को विशेष सचिव डॉ. अखिलेश कुमार मिश्रा ने उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानान्तरित करने संबंधी पत्र जारी किया था जिस पर बाद में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सफाई देनी पड़ी थी कि कार्यालय स्थानान्तरित नहीं होगा। पिछले महीने 27 फरवरी को जारी 13 दिसंबर की राज्य स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की बैठक के कार्यवृत्त में उच्च शिक्षा निदेशक का कैंप कार्यालय लखनऊ में स्थापित करने का प्रस्ताव है जिसे लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है।
शिकायतें
प्रयागराज की पहचान शिक्षा निदेशालय को मिटाने की कोशिश।
बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों का न बैठना।
बैठकों के नाम पर आए दिन अफसरों का लखनऊ में जमे रहना।
अफसरों की नामौजूदगी से फाइलों के निस्तारण में विलंब।
सुझाव
महानिदेशक का पद सृजन के बाद सभी निदेशक प्रयागराज में बैठें।
शासन की सामान्य बैठकें ऑनलाइन माध्यम से कराई जाएं।
अफसरों के नियमित बैठने से फरियादियों का विश्वास बढ़ेगा।
बेवजह की दौड़धूप नहीं होगी, समय से फाइलें निस्तारित होंगी।
हमारी भी सुनें
शिक्षा निदेशालय आजादी के पहले से प्रयागराज का गौरव और गरिमा बना रहा है। अब शासन के कतिपय अधिकारी लखनऊ स्थानान्तरित करने के कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। इन प्रयासों को किसी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।
-घनश्याम यादव
राजधानी में आवास बनाकर रह रहे कुछ अफसर अपनी सुविधा के लिए शिक्षा निदेशालय को लखनऊ ले जाने की साजिशें कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी के इस दौर में इस तरह की कोशिशों का कोई औचित्य नहीं है।
-सुरेन्द्र कुमार सिंह
शिक्षा निदेशालय के कार्यालय लखनऊ नहीं जाने चाहिए। महानिदेशक का पद सृजित होने के बाद सभी निदेशकों को प्रयागराज में बैठना चाहिए। इसके उलट दो-दो महीने से बड़े-बड़े अधिकारी यहां नहीं बैठ रहे हैं।
-सुरेश पटेल
प्रकरणों के समयबद्ध निस्तारण के लिए 20 दिसंबर को शासन से ई-ऑफिस का पत्र जारी हुआ था। इसके तहत सभी कार्य ऑनलाइन माध्यम से होने हैं तो फिर प्रयागराज के कार्यालय लखनऊ भेजने का क्या औचित्य है।
-आशीष कुमार
भर्ती के समय कई विभागों का विकल्प मिला था, लेकिन हमने प्रयागराज चुना क्योंकि यहां हमारा घर है। अब शिफ्टिंग की बात हो रही है। हाईटेक जमाने में जब सबकुछ ऑनलाइन है तो फिर शिफ्टिंग की क्या जरूरत है।
-आशीष द्विवेदी
माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभागों की पॉलिसी ही इंटरनेट को बढ़ावा देने की है तो कार्यालय स्थानान्तरित करना विरोधाभासी है। बेहतर हो कि अधिकारी शिक्षा निदेशालय में बैठे तो शिकायतकर्ताओं को त्वरित राहत मिले।
-मनीष देव
जब उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन हो रहा था तो इसी आधार पर प्रयागराज में लाया गया क्योंकि यहां शिक्षा निदेशालय है। अब यहां दो बड़े आयोग हैं तो शिक्षा निदेशालय लखनऊ भेजना छात्रों और शिक्षकों के साथ अन्याय होगा।
-मुकुल मिश्रा
शासन और विभागीय अधिकारियों की ओर से निरंतर ये प्रयास किया जाता रहा है कि शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित किया जाए। वर्तमान में संचार के इतने साधन उपलब्ध हैं, जिससे शासकीय कार्यों का त्वरित गति से निस्तारण होता है।
-संपूर्णानंद त्रिपाठी
मुख्यालय में ई-कन्टेंट स्टूडियों का उद्घाटन हुआ है। गूगल मीट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-मेल आदि के माध्यम से सारे शासकीय कार्य तत्काल किए जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित करना औचित्यहीन है।
- दीपक कुमार
आजादी के पहले से निदेशालय का मुख्यालय प्रयागराज में स्थापित है। पूरे प्रदेश की नीतियां यहीं से तैयार होती हैं। लंबे समय से उच्च अधिकारियों का शिक्षा निदेशालय में न बैठना बहुत हानिकारक है। इससे निदेशालय कमजोर हो रहा है।
- शशिकांत सिंह
प्रयागराज शिक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शिक्षा निदेशालय भी उसी की एक कड़ी है। शासन में बैठे अधिकारियों को प्रयागराज न आना पड़े इसलिए वह सरकार को गुमराह कर ऐसे आदेश जारी करा रहे हैं।
- आशीष गौतम
शिक्षा निदेशालय में लगभग 400 कर्मचारी कार्यरत हैं। उनके द्वारा समय पर सभी पत्रावली निस्तारित की जाती है। प्रयागराज शिक्षा के मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुख्यालय को स्थानांतरित करने का कोई औचित्य नहीं है।
- अखिलेश यादव
आजादी के पहले से ही शिक्षा विभाग के सभी कार्यालय प्रयागराज में हैं। जिसके कारण शिक्षा निदेशालय का मुख्यालय यहीं पर रहना चाहिए। यहां पर काम कर रहे कर्मचारियों को आवागमन में भी कठिनाइयां होंगी।
-आलोक उत्तम
लखनऊ में आवास होने के कारण अधिकारी अपनी सुविधा के लिए शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित करवाना चाहते हैं। प्रयागराज की पहचान को खत्म करने की कोशिश की जा रही है जो कि उचित नहीं है।
- पवन कुमार सरोज
लखनऊ में पहले ही शिविर कार्यालय मौजूद है, ऐसे में शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित करने का फिलहाल कोई औचित्य ही नहीं बनता है। यहां पर कार्यरत कर्मचारियों को ढेरों कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
- पल्लवी शर्मा
लखनऊ में निदेशालय स्थानांतरित होने से बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होंगी। वहां पर रहना, खाना-पीना नए तरीके से सब कुछ शुरू करना पड़ेगा। शिक्षा निदेशालय के लिए प्रयागराज से बेहतर स्थान कहीं नहीं हो सकता है।
- प्रगति मौर्य
प्रयागराज की पहचान से खिलवाड़ किया जा रहा है। उच्च अधिकारी सिर्फ अपनी सहूलियत के लिए निदेशालय को लखनऊ ले जाना चाहते हैं। मुख्यालय लखनऊ स्थानांतरित होने से बहुत परेशानी होगी।
- ऐश्वर्या गुप्ता
मुख्यालय लखनऊ स्थानांतरित करना कहीं से भी सही नहीं है। अधिकारियों का मनमाना रवैया है, जो शासन को गुमराह करके यह कार्य करवा रहे हैं। प्रयागराज शुरू से ही शिक्षा का गढ़ रहा है। मुख्यालय यहीं रहना चाहिए।
- आशीष श्रीवास्तव
ज्यादातर उच्च अधिकारी यहां नहीं बैठते हैं। अधिकारियों का ट्रांसफर और तैनाती नियम के विपरीत है। लंबे समय से निदेशालय का मुख्यालय प्रयागराज ही रहा है। जिसकी जगह भी बहुत पर्याप्त है। निदेशालय लखनऊ स्थानांतरित करना बिल्कुल गलत रहेगा।
- सत्य प्रकाश
प्रयागराज की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। निदेशालय लखनऊ स्थानांतरित होने से काफी कठिनाइयां होंगी। वर्चुअल मीटिंग से सारे कार्य अच्छे से हो जा रहे हैं। कार्यालयों का लखनऊ स्थानांतरित किया जाना पूरी तरह अनुचित है।
-आशुतोष शुक्ला
मुख्यालय को लखनऊ स्थानांतरित किया जाना बिल्कुल गलत है। इसके विरोध में लड़ाई लड़ी जा रही है। लखनऊ स्थानांतरित होने का कोई समर्थन नहीं कर रहा।
- राहुल पांडेय
बोले जिम्मेदार
उच्च शिक्षा विभाग का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोलने के शासन ने आदेश दिए हैं। इस दिशा में काम चल रहा है और जल्द लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलेगा।
डॉ. अमित भारद्वाज, उच्च शिक्षा निदेशक
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