सुनहरे भविष्य का सपना टूटा, अमेरिका से निर्वासित होकर घर लौटे
Pilibhit News - मां-बेटे और युवती का अमेरिका में काम करने का सपना टूट गया, लेकिन वे सकुशल घर लौट आए। पुलिस ने उन्हें परिवार के सुपुर्द कर दिया। तीनों ने बताया कि उन्हें डंकी रूट से अमेरिका भेजा गया था, जहां उन्हें...

परिवार की आर्थिक हालत को बेहतर करने और अमेरिका में काम करने का सपना लेकर गए मां-बेटे व युवती के सपने भले ही टूट गए हैं लेकिन परिजनों को इस बात की खुशी है कि उनके अपने सकुशल घर लौट आए हैं। अमेरिका से निर्वासित होकर पीलीभीत पहुंचे मां-बेटे व युवती को पुलिस ने सोमवार तड़के उनके परिवार के सुपुर्द कर दिया। हालांकि अमेरिका से भेजे गए मां-बेटे व युवती ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। अमेरिका में अवैध तरीके से जाने वाले भारतीयों को डिपोर्ट कर वापस भेजा जा रहा है। अमेरिकी सेना का विमान 116 निर्वासित भारतीयों को लेकर शनिवार देर रात अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा था। अमेरिका से भेजे गए अप्रवासी भारतीयों में पीलीभीत के कोतवाली क्षेत्र के शिवनगर कॉलोनी निवासी श्वेता ढिल्लो व उनका बेटा जसजोत सिंह और गजरौला क्षेत्र के ग्रांट नंबर दो उर्फ विशनपुर निवासी बलजीत कौर भी शनिवार देर रात अमेरिकी सेना के विमान से अमृतसर पहुंचे। यहां पीलीभीत से गई सुनगढ़ी पुलिस की टीम ने लिखापढ़ी के बाद उनको अपनी सुपुर्दगी में ले लिया। पुलिस सोमवार तड़के मां-बेटे व युवती को लेकर सुनगढ़ी थाने पहुंची और थोड़ी देर बाद तीनों को परिजनों को सौंप दिया गया। परिजनों से मिलकर तीनों लोग भावुक हो गए।
पुलिस की पूछताछ में निर्वासित मां-बेटे व युवती ने संयुक्त रूप से बताया कि उन्हें डंकी रूट के जरिये अमेरिका भेजा गया था। सीमा पार करते ही अमेरिकी सेना उन्हें पकड़ लिया और उनको डिटेंशन कैंप में रखा गया। अब पुलिस इन लोगों से पूछताछ कर यह पता लगाने का प्रयाय कर रही है कि उन्हें अवैध ढंग से विदेश भेजने वाले ट्रैवल एजेंट कौन हैं। तीनों ने बताया कि खाने के नाम पर थोड़ा चिप्स, मटर, कभी-कभार थोड़ा चावल और पानी ही मिलता था। निर्वासित किए जाने के बाद उन्हें अमेरिकी सैन्य विमान में हाथों में हथकड़ी, पैरों में बेड़ियां बांधकर भेजा गया। अमृतसर पहुंचने से 15 मिनट पहले उनकी हथकड़ी खोल दी गई।
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