PDA क्या PHD नहीं कर सकते? BHU के दलित छात्र के समर्थन में उतरे अखिलेश यादव का BJP से सवाल
जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान लाने के बाद भी बीएचयू में पीएचडी में दाखिला से वंचित दलित छात्र शिवम सोनकर का मामला सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उठाया है। अखिलेश यादव ने बीजेपी से पूछा कि पीडीए को पीएचडी करने का अधिकार नहीं है?

जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान लाने के बाद भी बीएचयू में पीएचडी में दाखिला से वंचित दलित छात्र शिवम सोनकर का मामला अब देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी उसके पक्ष में उतरे हैं और बीजेपी से पूछा कि पीडीए को पीएचडी करने का अधिकार नहीं है? शिवम सोनकर एक हफ्ते से नंगे बदन धूप में अकेले ही वीसी आवास के सामने धरना दे रहे हैं। इससे पहले सपा की विधायक रागिनी सोनकर भी शिवम सोनकर से मिलने बीएचयू पहुंचीं। उन्होंने शिवम की लड़ाई में साथ देने का आश्वासन दिया। रागिनी ने भी भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज एक दलित छात्र सड़क पर है, मगर सरकार के आंख और कान बंद हैं। अब देश के पिछड़ों, दलितों, वंचितों को एक साथ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी।
बीएचयू के विभिन्न विभागों और केंद्रों में शोध प्रवेश परिणाम जारी होने के साथ ही गड़बड़ियों की शिकायतें भी आने लगीं थी। पिछले हफ्ते परिणाम आने के बाद मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च में प्रवेश के लिए छात्र शिवम सोनकर ने कुलपति आवास के सामने अकेले धरना देना शुरू कर दिया। उसका आरोप है कि दूसरा स्थान पाने के बावजूद उसका प्रवेश नहीं लिया जा रहा और सेंटर की तीन सीटें खाली छोड़ दी गई हैं।
मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च भी सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत है। यहीं के सामाजिक समावेशन अध्ययन केंद्र में प्रवेश की गड़बड़ियों को लेकर केंद्रीय कार्यालय पर अन्य छात्र भी आंदोलित हैं। 21 मार्च की दोपहर मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च का छात्र शिवम अपने कागजात और फाइल लेकर कुलपति आवास के सामने पहुंचा और धरने पर बैठ गया। वह जोर-जोर से कुलपति को पुकारने लगा और न्याय की मांग करने लगा।
जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान फिर भी प्रवेश नहीं
छात्र ने आरोप लगाया कि जनरल कैटेगरी में दूसरा स्थान होने पर भी उसे पीएचडी में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। केंद्र की कुल चार सीटों में एक इंटर डिसिप्लिनरी कोर्स से भरी गई है जबकि तीन खाली छोड़ दी गईं। छात्र ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र के प्रोफेसर उसकी जाति के कारण प्रवेश नहीं दे रहे। जबकि नियमानुसार खाली सीटों को रेट एग्जम्प्टेड श्रेणी से रेट श्रेणी में स्थानांतरित किया जा सकता है। प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों ने छात्र को समझाने की कोशिश की मगर वह धरने पर बैठा रहा।
एक हफ्ते बाद भी उसका धरना जारी है। इस बीच उसे राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिलने लगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी उससे मिलने पहुंचे। सपा के चंदौली से सांसद वीरेंद्र सिंह ने भी शिवम से बातचीत की। मामला सोशल मीडिया पर छाया और पूरे देश में चर्चा का विषय बना तो बीएचयू ने भी अपना पक्ष जारी किया।
विश्वविद्यालय ने स्प्ष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि रेट एक्जेम्प्टेड श्रेणी में मुख्य विषय के लिए विज्ञापित तीन सीटें उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के कारण रिक्त हैं। नियमों के अनुसार विज्ञापित सीटों से कम आवेदन प्राप्त होने की स्थिति में सीटों का दूसरी श्रेणी में परिवर्तन काउन्सिलिंग प्रक्रिया आरंभ होने से पूर्व ही संभव है। केंद्र में रेट एग्जम्प्टेड श्रेणी में विज्ञापित सीटों पर आवेदकों की संख्या विज्ञापित सीटों से बहुत अधिक थी।
काउन्सिलिंग आरंभ होने के बाद सीटों का श्रेणी स्थानांतरण संभव नहीं था। आरक्षण के नियमों के अनुपालन में रेट श्रेणी की तीन सीटों में से दो सीटें मुख्य विषय (एक अनारक्षित और एक ओबीसी) और एक सीट एलाइड विषय (अनारक्षित) के लिए थी। जिनपर नियमानुसार प्रवेश सूची जारी हुई।
मामला बढ़ने पर बीएचयू ने बनाई समिति
शिवम सोनकर का मामला देश भर में छाया और राजनीतिक दलों की तरफ से भी छात्र को समर्थन मिलने लगा तो बीएचयू भी दबाव में आ गया। मंगलवार को सामाजिक समावेशन अध्ययन केंद्र में पीएचडी प्रवेश परिणाम की समीक्षा के लिए एक समिति बना दी। यह जल्द ही अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंपेगी। दूसरी तरफ बीएचयू प्रशासन ने छात्रों को भरोसा दिलाया है कि पीएचडी प्रवेश में किसी तरह की अनियमितता नहीं होगी।