शब-ए-बारात आज, दरगाहों के साथ कब्रिस्तानों की हुई साफ सफाई, तैयारी पूरी
Orai News - आज शब-ए-बारात का त्योहार मनाया जाएगा। मुस्लिम समुदाय ने दरगाहों और कब्रिस्तानों की सफाई की। इस दिन लोग अपने पुरखों की कब्रों पर जाकर फातेहा पढ़ते हैं और अल्लाह से माफी मांगते हैं। शब-ए-बारात का पर्व...
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शब-ए-बारात आज, दरगाहों के साथ कब्रिस्तानों की हुई साफ सफाई, तैयारी पूरी शब ए बारात से एक दिन पहले ही झालरों और कुमकुमों से सज गए मजार
पुरखों की कब्रों पर जाकर घर वालों ने की सफाई
फोटो परिचय
कोंच में दाता खुर्रम शाह की दरगाह पर सजावट अंतिम दौर में
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कोंच। संवाददाता
मुस्लिम समुदाय के प्रमुख पर्वो में शामिल शब-ए-बारात का त्योहार आज मनाया जाएगा। मुस्लिम बस्तियों में बुधवार को पर्व के मद्देनजर काफी रौनक रही घरों की साफ सफाई के साथ-साथ दरगाहों कब्रस्तानों को साफ सुथरा करने का काम देर शाम तक जारी रहा।
कारी असलम रजा और हाफिज वाहिद कहते हैं कि इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बारात का त्योहार शाबान महीने की 14वीं तारीख को मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह नजर व नियाज का सिलसिला जारी रहेगा और मुसलमान पूरी रात जाग कर अल्लाह की इबादत करेगा। कब्रों पर फातेहा व चिरागा किया जाएगा। शहरे खमोशा कही जाने वाली सुनसान कब्रस्तानो में लोग पहुंच कर अपने अपने पुरखों की कब्रों पर रोशनी करने के साथ साथ फातेहा पढ़ कर उन की मगफिरत की दुवा मांगेंगे। इस्लामी किताबों व उलेमाओं ने शब-ए-बारात की रात को बहुत अहमियत वाला बताया है।
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शब और बरात के क्या मायने
कोंच।
शब का अर्थ रात होता जबकि बरात के माने बरी होना या निजात पाना होता है। ऐसे में यह खास पर्व की खास रात गुनाहों से छुटकारा पाने की रात है, जिस मौके पर बन्दा अपने रब को राजी करने के लिए पूरी रात रतजगा कर के अपने गुनाहों की माफी के लिए रोता और गिड़गिड़ाता है और अल्लाह की इबादत करता है। इस रात की इतनी फजीलत है। अल्लाह अपने बन्दों की दुवाओं को रद्द नहीं करता, इस तरह शब-ए-बारात इबादत व रियाजत के लिहाज से न केवल अपनी खास अहमियत रखता है बल्कि लोगों के लिए यह आत्म चिंतन का भी पर्व है चूंकि इस महीने के खत्म होते ही मुस्लिम अकीदे का सबसे अफजल और बरकत वाला महीना रमजान शुरू होता है। शाबान महीने के शुरू होते ही हर तरफ रमजान के आमद की खुश्बू बिखरने लगती है और लोग उस की तैयारियों में जुट जाते हैं।
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कौन सी रात है शब-ए-बारात की रात
कोंच। इस्लामी कैलेंडर में सूर्यास्त के साथ ही तिथियां बदल जाती है यानी सूरज के डूबते ही अगले सूर्यास्त तक को एक तिथि माना जाता है इसलिए इस्लामी साल के शाबान महीने की 14 तारीख के दिन गुजरने के बाद आने वाली रात को शब-ए-बारात की रात माना जाता है। अबकी बार 12 और 13 फरवरी के बीच की रात शब-ए-बारात की रात होगी।
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