बोले उरई: अन्ना और जलभराव से फल मंडी हलकान
Orai News - उरई की फल मंडी में रोजाना 20 लाख रुपये का व्यापार होता है, लेकिन दुकानदारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां जलभराव, गंदगी और अन्ना जानवरों की समस्या है। साफ-सफाई, पेयजल और शौचालय की...
उरई। जालौन के साथ ही अन्य जिलों को भी रोज फल उपलब्ध कराने वाली फलमंडी के दुकानदार तमाम समस्याओं से घिरे हुए हैं। मंडी में रोज 20 लाख से ऊपर का व्यापार करते हैं, फिर भी इन्हें जरूरी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, मंडी में इतनी दुर्गंध और गंदगी है कि ग्राहक आने से कतराते हैं, जलभराव से मंडी में कीचड़ हो जाता है। यहां पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। सबसे ज्यादा अन्ना जानवर परेशान करते हैं। दूसरों को सेहतमंद रखने वाले फल दुकानदार खुद ‘अस्वस्थ हैं। एक-दो नहीं, बल्कि कई समस्याएं उन्हें काफी समय से परेशान कर रही हैं। फल मंडी में अन्ना जानवरों का आतंक है। शौचालय और प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं है। रास्ते पर खड़ंजा बिछाना तो दूर जल भराव से यहां चलना दूभर हो जाता है। प्यास बुझाने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। यह कहते कहते 45 साल से फल बेच रहे अब्दुल सलाम मायूस हो जाते हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से फल दुकानदारों ने अपनी समस्याएं बताईं।
फल मंडी में 50 दुकानें हैं। फल मंडी से तीन हजार लोगों का परिवार पल रहा है। शिकायतों के बावजूद मंडी से जलभराव और दलदल की समस्या दूर नहीं हो रही है। व्यापारी बाबा ने कहा कि फल मंडी कृषि मंडी समिति की उपेक्षा की शिकार है। कोंच और नदीगांव के लोग वाहन से सुबह तड़के ही मंडी आ जाते हैं, साथ ही दूर-दराज के व्यापारी भी फल खरीदकर ले जाते हैं। यहां प्रतिदिन लाखों रुपये की बिक्री होती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है। व्यापारी ओमप्रकाश ने बताया कि फल मंडी में चारों तरफ कूड़े के ढेर लगे हैं, नालियां टूट चुकी हैं। पानी सप्लाई के लिए टंकी शोपीस बनकर रह गई है। परिसर में दो हैंडपंपों में दूषित पानी आता है,जबकि रोज मंडी में बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना होता है। मंडी से लाखों की आय है पर सुविधाएं नदारद हैं। पप्पू ने बताया कि मंडी में सुबह चार बजे से दुकानें खुल जाती हैं, दुकानदारों को प्यास बुझाने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। गोपाल ने बताया कि मंडी में प्रवेश करते ही सड़कें टूटी हैं। जिससे बारिश में जलभराव होने से कई लोगों को गिरने से चोटें भी आई हैं। मंडी में साफ-सफाई के नाम पर खानापूरी की जाती है। फलों के सड़ने से दुर्गंध आती है। जिससे बीमारियां के फैलने का डर बना रहता है। मंडी आए व्यापारी जगदंबा प्रसाद ने कहा कि परिसर में बारिश होने पर चारों तरफ जलभराव हो जाता है। जगह-जगह नालियों के चोक होने व कूड़े के ढेर से बीमारियों का डर बना रहता है। सड़क से लेकर मंडी गेट तक फैले कचरे की बदबू से लोग परेशान हैं। मंडी में लोगों के बैठने की कोई व्यवस्था नही है।
60 दुकानों में ज्यादातर बदहाल: दुकान नंबर 27 अहमद राईन एंड कंपनी की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। छत से प्लास्टर गिर रहा है। कहते हैं इसी जर्जर छत के नीचे सालों से फल बेच रहेहैं, हमेशा डर बना रहता है कि कब कोई हादसा न हो जाए। इसके साथ ही पूरी फल मंडी में कूड़ा जमा है, इससे दिन भर दुर्गंध आती है। कई बार मंडी में व्यव्स्थाओं को दुरुस्त कराने की मांग की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई, मंडी सफाई कर्मचारी खानापूरी कर चले जाते हैं।
हर माह 610 रुपये किराया देते हैं पर सुविधाएं शून्य
फल मंडी के आढ़तियों ने बताया कि मंडी में पैदल चलना दुश्वार है। साफ-सफाई की व्यवस्था न होने से सड़े फलों की दुर्गंध से काफी परेशानी होती है। ग्राहक भी फलों की दुकान पर नहीं आते हैं, व्यापारियों का कहना है कि यहां 50 दुकानें हैं, हर दुकानदार 610 रुपये प्रति माह किराया देते हैं, इसके बाद भी फल मंडी में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है, फल मंडी में न तो पीने के पानी का इंतजाम है और न ही रोशनी की व्यवस्था है। कहा सबसे ज्यादा परेशान अन्ना जानवर करते हैं, कई बार इन पर रोक लगाने की मांग की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ।
जर्जर दुकानों की छतों से फलों पर गिरता है प्लास्टर
फल मंडी में 50 दुकानें हैं, इनमें ज्यादातर जर्जर हातल में हैं, कई दुकानों की छतों से प्लास्टर गिरता है। जिससे फल खराब हो जाते हैं, सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के मौसम में होती है। छत से पानी टपकने लगता है ऐसे में दुकानों पर बैठना मुश्किल हो जाता है। साथ ही फल भी खराब होते हैं। इसके साथ ही पानी निकासी के उचित प्रबंध न होने से पूरी फल मंडी में जलभराव हो जाता है, इससे दुकानों में पानी भरने लगता है। फल दुकानदारों ने कई बार दुकानों को सही कराने की मांग की लेकिन जिम्मेदारों ने सुनकर अनसुना कर दिया, जिससे परेशानी खत्म नहीं हो रही है।
बोले फल दुकानदार
मंडी में पेयजल और खाने के लिए कोई सुविधा नहीं है जबकि टैक्स शुल्क सुविधा के नाम पर ही लिया जाता है।
- अब्दुल सलाम
परिसर का कूड़ा मंडी में ही फेंका जाता है। जबकि 12 सफाई कर्मियों का ठेका है लेकिन दो-तीन ही दिखते हैं।
- हबीबा
बारिश में जलभराव से काफी दिक्कत होती है। जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। परिसर में बनी नालियां टूट चुकी हैं।
- बाबा
मंडी में पार्किंग न होने से असुविधा होती है। लोग सड़क पर वाहन खड़ा कर देते हैं। मंडी की खाली जगहों पर पार्किंग बनाई जाए।
- अजमेरी
फल मंडी में कई पंजीकृत व्यापारी हैं जबकि सिर्फ एक प्लेटफार्म बना है। जिससे जगह की सबसे बड़ी समस्या है।
- निजामुद्दीन
मंडी में लगी स्ट्रीट लाइटें बंद रहती हैं, इससे रात में अंधेरा छाया रहता हैं। इससे कई बार दुकानों में चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं।
- शहीद
मंडी गेट के आसपास शराबियों का जमघट होने से व्यापारियों को दिक्कत आती है। सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है।
- शाहरुख
फल मंडी में सड़क पर दुकानें लगने से ग्राहकों को दिक्कत होती है, साथ ही मंडी में सफाई कर्मचारी नियमित नहीं आते हैं।
- अख्तर
फल मंडी के दुकानदार सुविधा शुल्क भी अदा करते हैं, इसके बाद भी तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- पप्पू
व्यापारियों के लिए चबूतरा बनाया गया है लेकिन सुविधा नहीं मिलती हैं। कई लोग जमीन पर समान बेचने को मजबूर हैं।
- रिंकू
फल मंडी की नालियां कूड़ा और पॉलीथिन से भरी हुई हैं। इससे मंडी परिसर में जलभराव और कीचड़ होता है।
-राहुल
आए दिन मंडी परिसर में अराजकतत्व हंगामा करते हैं और व्यापारियों के साथ-साथ ग्राहकों को परेशान करते हैं।
- अनुज
सुझाव
1. फल मंडी में कैंटीन का संचालन कराया जाए, साथ ही वाटर कूलर भी लगाया जाए।
1. मंडी की टूटी चहारदीवारी का निर्माण कार्य कराया जाए। नालियां चोक पड़ी हैं जिससे जगह-जगह पानी भर जाता है।
3. मंडी परिसर में राहगीरों और वाहनों के लिए मंडी गेट पर सूचनात्मक बोर्ड लगाए जाएं।
4. मंडी परिसर का निकलने वाला कूड़ा मंडी के बाहर किसी स्थान पर डंप किया जाए, सुबह शाम नियमित सफाई हो
5. मंडी परिसर में प्रकाश की व्यवस्था दुरुस्त की जाए, वहीं खराब पड़े सीसीटीवी कैमरे चालू कराए जाएं।
शिकायतें
1. फल मंडी का कूड़ा मंडी में ही फेंका जाता है। जिससे संक्रमण फैलने की संभावना रहती है।
2. मंडी में कोई कैंटीन नहीं है। इससे दुकानदारों को दिक्कत होती है।
3. मंडी आने वाले वाहन चालक बोर्ड टूटा होने से भटक जाते हैं। इससे सामान लेकर आने वाले वाहनों को दिक्कत होती है।
4. मंडी के चारों तरफ की चारदीवारी टूटी हुई है। जिससे मवेशियों के साथ रात में शातिरोंं के आने से सामान चोरी का भय रहता है।
5. मंडी में व्यापारियों के चबूतरे और मुख्यमार्गों पर प्रकाश की व्यवस्था नहीं है।
बोले जिम्मेदार
फल मंडी में समय-समय पर सफाई कराई जाती है। इसके लिए कर्मचारियों को तैनात किया गया है, अगर कर्मचारी सफाई में मनमानी कर रहे हैं तो पता किया जाएगा, साथ ही फल मंडी में जो दुकानें जर्जर हालत में हैं उनकी जल्द ही मरम्मत कराई जाएगी। साथ ही मंडी में स्ट्रीट लाइटें जो बंद हैं, बिजली विभाग से कह कर सही कराई जाएंगी।
- सोनू सिंह, मंडी सचिव
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