बोले मुरादाबाद : हद है! मंडी को बना दिया मुश्किलों का मायाजाल
Moradabad News - एक मंडी समिति में सफाई और सुविधाओं की कमी से आढ़तियों और किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां कूड़ा और अवैध ठेले जाम का कारण बनते हैं, जबकि पीने के पानी और रोशनी की व्यवस्था भी ठीक...

शायद किसी शहर में मंडी समिति इस तरह की होगी जहां बीच में आम रास्ता निकलता है। सफाई का ठेका होता पर कूड़ा हर वक्त पड़ा रहता है। आढ़तियों के लाइसेंस यूं तो साढ़े सात सौ दे दिए गए पर दुकानें मिलीं सिर्फ 258 लोगों को। ऐसे में इधर उधर से आढ़ती काम चला रहे हैं। कुछ दुकानों की हालत बेहद जर्जर है। किसानों की सुविधा के लिए कुछ भी नहीं है। पीने के पानी का भी समुचित प्रबंध नहीं है। नालियां चोक हैं नगर निगम से अलग इसका ठेका होता है। मंडी में रोशनी के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। आढ़तियों की पीड़ा है कि यहां ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त हो। मंडी समिति में अवैध ठेलों की भरमार है। इन्हें अवैध वसूली के चक्कर में नहीं हटाया जाता है। इससे जाम की समस्या ज्यादा रहती है। आढ़तियों के लिए किसानों के लिए सहूलियतें नहीं हैं। .मंडी का जो समय निर्धारित है उसका उल्लंघन होता है। सब्जी फलों की नीलामी के बाद यहां साफ सफाई का पर्याप्त इंतजाम नहीं है जिससे हर वक्त यहां कूड़ा दिखाई देता है। मंडी में आवारा पशुओं का बोलबाला है। मंडी समिति के आढ़तियों का कहना है कि सफाई के लिए किसी ऐसी संस्था को ठेका दिया जाए जो प्रॉपर साफ सफाई करे। इसके साथ ही मंडी समिति में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बेकार है। गहराई में मंडी है और आसपास की सड़कें ऊंची कर दी गई हैं। अवैध ठेले वालों से अढ़तियों को नुकसान होता है। जितने लाइसेंस हैं उतनी दुकानें नियमानुसार होनी चाहिए पर अफसरों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। दो तलाब बनने के बाद भी जल भराव, नालियों का चोक रहना, रात में अंधेरा और बाहरी तत्वों का यहां रातभर आना जाना आढ़तियों की नींद हराम किए है। दुकानों की हालत जर्जर, इनके शटर खुले जमाना हो गया। दुकानें जैसे गड्ढे में पहुंच गईं हैं। सुविधा के नाम पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं। किसानों एवं आढ़तियों की सुविधा के लिए बनाई गई मंडी समस्याओं का अंबार है। एक किसान भवन होना चाहिए वह भी नहीं है। यहां 750 लोगों को आढ़त के लाइसेंस भी जारी किये गए। मगर इनके लिए मात्र 258 दुकानें ही मौजूद हैं। यह दुकानें भी गहराई में समाई हुई हैं। इनमें से काफी दुकानें कटरानाज के गलला व्यापारियों को आवंटित हैं जो कभी आते ही नहीं। यदि इन्हें भी आढ़तियों को दे दी जाएं तो भी राहत मिले। तमाम लाइसेंस धारक मंडी में ही स्थान घेर कर काम कर रहे हैं। मंडी शुल्क भी लिया जाता है। मगर इन पर अवैध का ठप्पा लगा है। आढत लाइसेंस धारकों का कहना है कि जिनसे मंडी समिति शुल्क वसूलती है उनके लिए तो बैठने का इंतजाम किया ही जाना चाहिए। सफाई का ठेका बदला फिर पुराना बहाल: मंडी में गंदगी की शिकायत के चलते पूर्व सचिव ज्योति चौधरी ने सफाई ठेकेदार बदला था। मगर समस्या दूर नहीं हो सकी। वर्तमान प्रभारी सचिव महादेवी ने अभी मात्र पंद्रह दिन पहले ठेकेदार का ठेका निरस्त कर दिया था। मगर उच्चाधिकारियों से कुछ दिन की मोहलत लेकर यह पुन: बहाल हो गया। सफाई व्यवस्था ज्यों की त्यों नजर आ रही है। जो भी ठेकेदार काम करे उसकी मानीटरिंग होनी चाहिए जिससे साफ सफाई व्यवस्था प्रॉपर हो और आढ़तियों को किसी तरह गंदगी की समस्या से नहीं जूझना पड़े। अगर नगर निगम की ओर से कूड़ा उठाने का इंतजाम किया जाए तो काफी फायदा होगा।
मंडी की बड़ी समस्या जाम
जाम भी एक प्रमुख समस्या है। इसके लिए कहा जाता है कि यहां की मुख्य सड़क आम रास्ता भी है। मंडी के बीच से जाने वाली सड़क एकता कॉलोनी से बाहर मिनी बाईपास की ओर जाती है। इसे अलग नहीं किया जा सका है। दोनों ओर बाउंड्री बन जाए तो भी इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता। मगर दोनों ओर लगने वाले अवैध फड़े और ठेले खड़े होते हैं जो जाम का सबब बने हुए हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए कोई पहल नहीं की गई है। आढ़ती अब अवैध ठेलों के विरुद्ध हड़ताल की तैयारी में हैं। जाम को लेकर कभी अभियान चलता है तो उस दिन व्यवस्था ठीक रहती है। इसके बाद हालात बिगड़ जाते हैं। जाम की वजह से आढ़तियों को कारोबार करने में दिक्कतें होती हैं। आढ़ती कई बार इसे लेकर आवाज उठा चुके हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
चार करोड़ रुपये खर्च पर फिर भी अंधेरा
पिछले दिनो शासन से लगभग 3 करोड़ 92 लाख का बजट आवंटित हुआ था। इससे बिजली के लिए 32 पोल और लाइटें लगाई गईं। इनमें से काफी लाइटें अभी तक बंद हैं। आढ़तियों की माने तो यह भी पर्याप्त नहीं हैं। मंडी में रोशनी के इंतजाम पर्याप्त होने चाहिए। मुरादाबाद मंडी समिति में ड्रेनेज सिस्टम के लिए नए सिरे से बजट का आवंटन होना चाहिए। इसके लिए व्यवस्था नहीं हो सकी है।
सुझाव
1. मंडी में नीलामी चबूते बनें और कम से कम पांच ऐसे चबूतरे बनाए जाने चाहिए।
2. ड्रेनेज सिस्टम के लिए नए सिरे से प्रोजेक्ट बना कर उसे अमल में लाया जाए।
3. मंडी में अवैध ठेलों को बाहर किया जाए जिससे आढ़तियों को परेशानी नहीं हो।
4. साढ़े सात सौ लाइसेंस हैं इतनी ही दुकानों का इंतजाम मुकम्मल किया जाना चाहिए।
5. मंडी समिति में किसानों के ठहरने के लिए एक किसान भवन का भी इतंजाम हो।
6. आम रास्ता खत्म किया जाए मंडी के समय सीमा को कड़ाई से लागू किया जाए।
7. मंडी समिति में आवारा पशुओं के पकड़ने का अभियान चलाया जाना चाहिए जिससे मंडी में गंदगी आदि की समस्या नहीं होगी। इसके लिए निगम को आगे आना चाहिए।
शिकायतें
1. मंडी समिति में साफ सफाई नहीं होने से कूड़े के ढेर और दुर्गंध से मुश्किल होता है।
2. अवैध ठेलों से मंडी समिति में कभी जाम की समस्या खत्म नहीं होती इसे दूर नहीं किया।
3. जितने लाइसेंस उतनी आढ़तियों को दुकानों का इंतजाम नहीं होने से समस्या हो रही है।
4. पीने का पानी, रोशनी के इंतजाम मंडी समिति मे प्रशासन की ओर से नहीं किए जा सके।
5. मंडी का लेबल नीचे है जिससे जल भराव की समस्या से हर वक्त जूझना मजबूरी बनी है।
6. मंडी समिति में बीच वाली सड़क आम रास्ता है इसे आम रास्ते का कोई इंतजा नहीं हो सका।
7. जिन आढ़तियों से मंडी शुल्क लिया जाता है उनके बैठने के लिए बेहतर इंतजाम होने चाहिए। इसको लेकर मंडी समिति उदासीन बनी हुई है।
बोले जिम्मेदार
मंडी में सफाई बेहतर रखने का प्रयास जारी है। नगर निगम से बात हुई थी पर उनका बजट ज्यादा होने से पुराने ठेकेदार को मोहलत दे दी गई।
-किंशुक श्रीवास्तव, सभापति, मंडी समिति
मंडी में लाइसेंस अधिक होने के कारण कुछ लोग ठीहा लगाकर काम कर रहे हैं। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत इन्हें हटाया जाएगा।
-महादेवी, प्रभारी सचिव मंडी समिति
फल सब्जी विक्रेता कल्याण समिति के व्यापारी और समिति मंडी को स्वच्छ बनाने को प्रयासरत हैं। व्यापारी सुविधाओं से भी वंचित हैं।
-प्रीतम सिंह सैनी, अध्यक्ष ,फल सब्जी विक्रेता कल्याण समिति
यह मंडल मुख्यालय की मंडी है और स्मार्ट सिटी के अंतर्गत भी आती है। खामियों के चलते यहां से थोक का कारोबार लगभग समाप्त हो गया है।
-विनोद कुमार शर्मा, मंडी समिति के प्रशासन मंत्री
हमारी भी सुनें
मंडी समिति में पीने के पानी और सफाई की समस्या है। ज्ञापन भी दिए और आंदोलन भी किया लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
-विज कुमार मिश्रा
मंडी मे अवैध वसूली की जाती है। ठेले और फड़ वाले इनके शिकार बनते हैं। कारोबार में भी दिक्कत आती है। इसे दूर किया जाए।
-मोनू सैनी
मंडी समिति में मुख्य मार्ग के दोनों ओर ठेले और फड़े लगने से जाम की स्थिति रहती है। इससे कारोबार प्रभावित होता है।
-तीरथ सिंह सैनी
मंडी समिति में गंदगी है। लोग बची सब्जी और फल सड़क पर डाल देते हैं। बदबू फैल जाती है और उठान न होने के गंदगी होती है।
-हरपाल सिंह सैनी
मंडी समिति की नीतियां गलत होने के कारण यहां थोक के व्यापारियों ने लगभग आना बंद कर दिया है। इसी लिए मंडल स्तर की मंडी रिटेल का बाजार सा बन कर रह गई है।
-तेजपाल सिंह
मंडी से जल निकासी के लिए दो तालाब और नाले बनाए गए हैं। मगर इनका लेवल सहीं न होने और मंडी में जल भराव है। बरसात में बुरा हाल हो जाता है।
-आसिफ
मंडी में किसानों के ठहरने का इंतजाम नहीं है। आढ़तियों को ही इनके रहने और खाने आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। मंडी में किसान भवन होना चाहिए।
-मोहम्मद अली
मंडी में छुट्टा पश घूमते रहते हैं। आसपास के लोग अपने पशु चरने के लिए मंडी में छोड़ देते हैं। यह शाम को इन जानवरों केा अपने घर ले जाते हैं।
-मनोज कुमार सैनी
नवीन मंडी समिति में आढ़तियों के लिए सुविधाएं नहीं हैं। इन्हें अपने साथ आने वाले किसानों के रहने की व्यवस्था करनी पड़ती है और विभाग को भी सहयोग करना पड़ता है।
-हिमांशु
मंडल की अन्य मंडियों में रात में लोडिंग अनलोडिंग का काम होता है। मगर हमारे यहां से बाहर की मंडियों को माल नहीं जाता जो थोक कारोबार के लिए जरूरी है।
-अवधेश शर्मा
मंडी समिति में आढ़त की बोली लगाने के लिए एक भी चबूतरा नहीं हैं। जबकि कम से कम पांच ऐसे चबूतरों की आवश्यकता है।
-रितिक शर्मा
बिना आवंटन जो लाइसेंस धारी मंडी की जगह पर हैं। उनसे मंडी शुल्क लिया जाता है। फिर भी उन्हें अवैध बाताया जाता है।
-दिनेश आहूजा
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