बोले मुरादाबाद : प्रोन्नति न प्रोत्साहन, उपेक्षा से आहत है गुरुजनों का मन
Moradabad News - जिले के 50 राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों के शिक्षकों ने अपनी समस्याओं को उठाया है, लेकिन सरकार ने अनदेखी की है। लंबे समय से शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिला है और संसाधनों की कमी भी है। एडेड विद्यालयों...

जिले में कुल 50 राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में शिक्षा दे रहे प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की स्थिति कुछ जुदा ही है। इन लोगों ने अपनी अनगिनत समस्याओं को कई बार उठाया लेकिन निराशा ही हाथ में आई। ये शिक्षक वर्षों से चुपचाप पढ़ा तो रहे हैं, लेकिन उनके अंदर की टीस यही है कि उनके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया। कभी शान माने जाने वाले राजकीय कॉलेज आज उपेक्षित हो रहे हैं और यहां पढ़ाने वाले शिक्षक भी। इन जगहों पर संसाधनों के साथ कर्मचारियों का भी टोटा है। लंबे समय से राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होना भी एक बड़ा मामला है। इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या यह सामने आई कि राजकीय शिक्षकों को लंबे समय से प्रमोशन ही नहीं दिया गया। इसके अलावा बहुत से ऐसे शिक्षक हैं, जिनकी सेवा को काफी वर्ष हो गए और स्थायीकरण ही नहीं किया गया। प्रोबेशन जो एक साल के अंदर ही खत्म होना जाना चाहिए था, वो विभागीय अनदेखी के कारण खत्म ही नहीं हो सका। आज की स्थिति यह है कि राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के साथ ही कर्मचारियों का भी टोटा है। सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो पुराने राजकीय विद्यालयों की स्थिति खराब होती गई। नए राजकीय विद्यालयों को छोड़ दें तो किसी भी विद्यालय का भवन बेहतर नहीं है। शिक्षक और प्रभारी प्रधानाचार्य पदोन्नति की आस में बैठे हैं। एडेड के शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की तरह उनका ध्यान नहीं रखा जा रहा है। राजकीय शिक्षकों से लिए जा रहे तरह-तरह के काम : शिक्षकों की कमी से जूझ रहे राजकीय विद्यालय के शिक्षकों से तरह-तरह के काम भी लिए जा रहे हैं। उनका मानना है कि सभी को यह लगता है कि राजकीय शिक्षकों के पास काम ही नहीं हैं। स्टॉफ हो या सुविधाएं, राजकीय कॉलेजों के नसीब में नहीं है। अब तो राजकीय शिक्षकों की ड्यूटी भी बंडल वाहक में लगा दी गई है, जिसके कारण उन्हें काफी दिक्कतें हो रहीं हैं। साथ ही कई शिक्षकों को डीआईओएस ऑफिस से संबद्ध करने के साथ ही अलग-अलग कार्यक्रमों में उनकी ड्यूटी भी लगा दी जाती है।
राजकीय स्कूलों के प्रधानाचार्यों का वेतन एडेड के प्रधानाचार्यों से कम
राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य वर्तमान में 5400 ग्रेड पे पर काम कर रहे हैं। वहीं एडेड विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को 7600 ग्रेड पे दिया जा रहा है। इस भारी अंतर को लेकर भी राजकीय के प्रधानाचार्यों में निराशा है। उनका कहना है कि एडेड के प्रधानाचार्यों को पदोन्नति के साथ ही ग्रेड पे का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन राजकीय की ओर किसी का ध्यान नहीं है। राजकीय कॉलेजों में प्रधानाचार्य वरिष्ठ प्रवक्ता हो या पीईएस, सभी को एक ही ग्रेड पे मिल रहा है।
28 विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्य नहीं मिल रहा पद का लाभ
जिले के कुल 50 राजकीय हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में मात्र 22 विद्यालयों में ही प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक हैं। बाकी हर जगह प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में वरिष्ठ प्रवक्ता व सहायक अध्यापक ही कार्यभार देख रहे हैं। लंबे समय से प्रभारी प्रधानाचार्य का कार्यभार देख रहे ये सभी जिम्मेदार कहते हैं कि उन्हें पद तो दे दिया गया पर सुविधाएं ही नहीं दी गई। आज तक प्रमोशन की टकटकी लगाए हुए हैं। आरोप है कि सरकार इस ओर जान बूझकर ध्यान नहीं दे रही है।
समय से हो पदोन्नति तो मिले लाभ
जीआईसी मानपुर की प्रधानाचार्य एवं पीईएस डॉ. श्वेता पूठिया ने कहा कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को पदोन्नति नियमित नहीं दी जा रही, जिससे उन्हें पदलाभ नहीं मिल रहा।
प्राजकीय शिक्षक संघ इसको लेकर कई बार मांग तो कर चुका है पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। सहायक अध्यापक (एलटी) से प्रवक्ता, प्रवक्ता से अधीनस्थ राजपत्रित पदों पर प्रतिवर्ष पदोन्नति की मांग कई बार हो चुकी है, लेकिन ये फाइलें भी थोड़ा भी नहीं खिसक पा रहीं हैं। समय से पदोन्नति मिले तो राजकीय प्रवक्ता संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद तक पदोन्नति पा सकता है।पदोन्नति के लिए अपर शिक्षा निदेशक राजकीय के यहां पत्रावलियां भी भेजी गईं तो ये प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हो सकी है।
सुझाव
1. लंबे समय से कार्यरत प्रभारी प्रधानाचार्यों को दी जाए पदोन्नति, मिले सभी सुविधाओं का लाभ
2. इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्यों का ग्रेड पे एडेड विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के बराबर ही होना चाहिए।
3. राजकीय कॉलेजों में सुविधाएं दी जाएं, जिससे विद्यालयों के संचालन में कोई दिक्कत न हो।
4. राजकीय शिक्षकों को पिछले आठ वर्षों से पदोन्नति नहीं दी गई, इसका लाभ दिया जाना चाहिए।
शिकायतें
1. राजकीय शिक्षकों का जल्द प्रमोशन नहीं होता और लंबे समय से उन्हें प्रमोशन भी नहीं मिला।
2. राजकीय के कई शिक्षक व प्रधानाचार्यों का प्रोबेशन खत्म हुआ लेकिन स्थायीकरण नहीं हुआ।
3. एडेड कॉलेजों में मैनेजमेंट पदोन्नति दे देता है डीआईओएस के अनुमोदन पर, यहां ऐसी व्यवस्था नहीं।
4. शासन से पदोन्नति मिलती है। लंबे समय से इसका लाभ शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा।
बोले शिक्षक
एलटी ग्रेड के कई शिक्षकों को एक ही पद पर सेवा देते हुए 25 साल तक हो गए हैं। पदोन्नति का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। उत्तराखंड से आए शिक्षकों को भी वरिष्ठता का लाभ नहीं दिया जा रहा।
-अचल त्यागी, जिलाध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ
राजकीय प्रवक्ता पुरुष की वरिष्ठता सूची ही 10 वर्षों से नहीं बनी है। ये सूची बननी चाहिए और शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए।
-डॉ. अनुज अग्रवाल, प्रभारी प्रधानाचार्य, जीआईसी सलेमपुर कांठ
आठ वर्ष से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब तक पदोन्नति नहीं दी गई। यहीं हाल राजकीय के शिक्षकों का भी है, इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।
-डॉ. अभिषेक मिश्रा, प्रधानाध्यापक, राजकीय हाईस्कूल बेगमपुर
प्रभारी प्रधानाचार्य को प्रधानाचार्य का ग्रेड नहीं दिया जा रहा है। काम उनसे लिया जा रहा है तो सुविधाएं भी उन्हें मिलनी चाहिए। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
-बृजबाला तोमर, प्रधानाध्यापक, राजकीय हाईस्कूल हुसैनपुर छिरावली
विद्यालयों में आवश्यक सुविधाएं दी जाएं। शिक्षक और कर्मचारी मिलें तो कार्य आसानी से चले। इसके अलावा पदोन्नति और वेतनमान को लेकर सरकार को ध्यान देना चाहिए।श्
-अरुण कुमार पाल, प्रभारी प्रधानाचार्य, जीआईसी सिहाली खद्दर
विद्यालयों में शिक्षकों के साथ ही कर्मचारियों की कमी है। परीक्षा के समय काफी दिक्कतें होती हैं। इसके अलावा पदोन्नति तो बड़ा मामला है ही। इस पर अवश्य विचार किया जाना चाहिए।
-जाहिद हुसैन, प्रभारी प्रधानाचार्य, जीआईसी शाहबाजपुर कलां
लंबे समय से पदोन्नति की सूची जारी नहीं की गई है। सभी पदोन्नति की राह देख रहे हैं। ये हमारी मांग भी है और अधिकार भी। इसे हमे देना चाहिए। इसके लिए हम योग्य हैं और हमारा अधिकार भी है।
-डॉ. सुनीता चौधरी, प्रवक्ता व जिला समन्वयक रमसा
लंबे समय से पदोन्नति की राह देख रही हूं। एडेड के साथ के शिक्षक प्रवक्ता बन चुके हैं, लेकिन राजकीय शिक्षकों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-बबिता मेहरोत्रा, एसआरजी विज्ञान व शिक्षक राजकीय हाईस्कूल हुसैनपुर छिरावली
राजकीय शिक्षकों की पदोन्नति न होना एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया भी जटिल कर दी गई है। लंबे समय से शिक्षक ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं।
- विवेक राजपूत, शिक्षक, जीआईसी सलेमपुर कांठ
शिक्षकों को प्रमोट किया जाए। लंबे समय से वे इस इंतजार में हैं। साथ ही शिक्षकों के स्थानांतरण नीति में संशोधन की आवश्यकता है। सरकार को इस बारे में विचार तो करना ही चाहिए।
- महताब आलम, शिक्षक, जीआईसी मानपुर
राजकीय कॉलेजों में हर तरह की सुविधाएं दी जाएं। इसके अलावा शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों की तैनाती की जानी चाहिए। जिम्मेदारों के ध्यान न देने के कारण आज राजकीय कॉलेजों की स्थिति बदहाल हो चुकी है।
-संजीव वर्मा, शिक्षक, जीआईसी सिहाली खद्दर
विद्यालयों में लंबे समय से स्टॉफ नहीं हैं। पढ़ाने के अलावा विद्यालय के कार्यों को शिक्षकों को ही निपटाना पड़ता है, इस कारण काफी परेशानी होती है। कर्मचारियों के साथ ही शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए।
-डॉ. राजकुमार गुप्ता, शिक्षक, राजकीय हाईस्कूल बेगमपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।