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बोले मिर्जापुर : मानदेय-वर्दी और मिले ट्रेनिंग तो बेहतर हो जाए जिंदगी

Mirzapur News - प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान अपने अनुशासन और सेवाभाव के बावजूद उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। उन्हें उचित वेतन, प्रशिक्षण और नेतृत्व की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जवानों ने समान काम के लिए समान...

Newswrap हिन्दुस्तान, मिर्जापुरSun, 23 Feb 2025 12:35 AM
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बोले मिर्जापुर : मानदेय-वर्दी और मिले ट्रेनिंग तो बेहतर हो जाए जिंदगी

धूप में तपे माथ, अनुशासन की लौ से प्रज्ज्वलित आंखें और सेवा की अखंड प्रतिज्ञा- ये हैं प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान। ये जवान कानून-व्यवस्था के प्रहरी हैं परंतु इन्हें उपेक्षा और नेतृत्व का अभाव खलता है। वे पुलिस और होमगार्ड के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं, लेकिन उचित वेतन और प्रशिक्षण की सुविधा नहीं मिलती। कार्यालय में बैठने के लिए उचित स्थान नहीं है। वे नियमित ड्यूटी के साथ समय से वेतन-भत्ते का भुगतान चाहते हैं ताकि अपने परिवार के साथ बेहतर जीवन गुजार सकें। जिले में 476 पीआरडी जवान सेवा के पथ पर अडिग हैं, लेकिन उन्हें अफसोस है कि उनका कोई सक्षम नेतृत्व नहीं है। उनका तर्क है कि वर्दी वालों की समस्याओं को एक वर्दीधारी अधिकारी ही बेहतर ढंग से समझ सकता है। पुलिस लाइन स्थित यातायात शाखा में ‘हिन्दुस्तान से चर्चा में कैलाशनाथ, शिवबहादुर, योगेंद्र कुमार ने कहा कि उन्हें केवल 395 रुपये प्रतिदिन मानदेय दिया जाता है, जो महंगाई के इस दौर में पर्याप्त नहीं है। वे पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, फिर भी उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। जवानों ने कहा कि उन्हें भी होमगार्ड की तरह दैनिक वेतन-भत्ते आदि सुविधाएं दी जाएं। फिलहाल, पीआरडी जवानों की जिम्मेदारी युवा कल्याण विभाग पर है। जवान चाहते हैं कि पीआरडी को गृह विभाग के अधीन लाया जाए और इसका नेतृत्व एक आईपीएस अधिकारी को सौंपा जाए। इसके अलावा जिला स्तर पर कमांडेंट की नियुक्ति हो ताकि जवानों को संगठित ढंग से अपनी जिम्मेदारियां निभाने का अवसर मिले।

पीआरडी जवान कहते हैं कि वे पुलिस-होमगार्ड के साथ मिलकर काम करते हैं लेकिन वेतन और सुविधाओं में भारी अंतर है। उन्होंने एक स्वर में समान कार्य के लिए समान वेतन मांगा। उनका कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। बताया कि उन्हें साल में दो बार वर्दी मिलनी चाहिए लेकिन उन्हें इस बुनियादी सुविधा के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। पीआरडी जवानों ने वेतन बढ़ाकर कम से कम 15,000 रुपये प्रतिमाह करने की मांग की। यह भी मांग रखी कि सेवा के दौरान किसी जवान की मृत्यु हो जाने पर उसके आश्रित को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाए।

...तब आईपीएस करते थे नेतृत्व

प्रांतीय रक्षक दल का गठन 1948 के एक्ट के तहत किया गया था। उस समय विभाग का नेतृत्व एक आईपीएस अधिकारी करता था, लेकिन समय के साथ यह जिम्मेदारी युवा कल्याण विभाग को सौंप दी गई। पीआरडी जवानों के मुताबिक वह गलत निर्णय था और उसे अब बदला जाना चाहिए। इससे पीआरडी के जवानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। उनकी मांगें भी शासन तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंच पा रही हैं।

प्रशिक्षण की कमी से जूझ रहे जवान

पीआरडी जवान उचित प्रशिक्षण के अभाव में अपनी जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाने में कठिनाई महसूस करते हैं। उन्हें नई चुनौतियों से निपटने में दिक्कत होती है। इससे कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। पीआरडी के जवानों को भी शस्त्र प्रशिक्षण की व्यवस्था है। लेकिन यह प्रशिक्षण मात्र दस फीसदी जवानों को दिया जाता है। वहीं उचित मार्गदर्शन और नेतृत्व की कमी से उनका मनोबल को प्रभावित हो रहा है। पीआरडी जवानों का कहना है कि कार्यक्षमता के लिए आधुनिक तकनीक और कार्यप्रणाली के प्रशिक्षण के साथ आवश्यक संसाधन दिए जाएं।

वेतन भुगतान में अनियमितता

पीआरडी जवानों को समय पर मानदेय नहीं मिलता है। इससे उनके आर्थिक हालात प्रभावित होते हैं। उनकी ड्यूटी नियमित नहीं लगती और मानदेय भी बेहद कम है। सेंट्रल या गैर-विभागीय ड्यूटी का भुगतान छह महीने बाद किया जाता है। कोई सहयोग न होने के कारण वे असुरक्षित महसूस करते हैं। दैनिक खर्च के लिए धन का जुगाड़ करना पड़ता है। उनका कहना है कि समय से मानदेय का भुगतान हो तो दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

बैंकिंग सुविधा का लाभ नहीं

पीआरडी जवानों के वेतन भुगतान के लिए दो साल पहले आईसीआईसीआई बैंक में खाते खुलवाए गए थे। उन्हें लोन और बीमा की सुविधाएं दिलाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन इन खातों में मानदेय नहीं भेजा जाता है। जवानों के अन्य खातों में वेतन भेजा जा रहा है, जिससे वे असंतुष्ट हैं। साथ ही बैंक की अन्य सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। यदि सरकार और बैंक ने किसी योजना की घोषणा की है तो उसे प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए।

किसे सुनाएं समस्याएं

पीआरडी के जवानों के ड्यूटी स्थल पर न कोई अधिकारी निरीक्षण करने आता है और न जवानों से संवाद करता है। इससे समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। वे अपनी समस्याएं किसे बताएं, यह बात समझ में नहीं आ रही है। कार्यालय में नियमित संवाद होने से उनकी कार्यशैली में सुधार होगा और वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकेंगे। जिला युवा कल्याण अधिकारी को चाहिए कि वे जवानों से सीधे संपर्क करें और समस्याओं का समाधान निकालें। साथ ही उन्हें नियमित ड्यूटी दिलाने की भी व्यवस्था करें। इससे पीआरडी के जवान बेरोजगार नहीं रहेंगे।

सुझावः

पीआरडी जवानों को उचित मानदेय और सुविधाएं दी जाएं, ताकि वे अपनी ड्यूटी पर ध्यान केंद्रित कर सकें और आर्थिक तनाव से मुक्त रहें।

जवानों को आधुनिक तकनीक और कार्यप्रणाली का प्रशिक्षण मिले ताकि उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि हो और वे नई चुनौतियों का सामना कर सकें।

पीआरडी का नेतृत्व आईपीएस अधिकारी करे। वर्दीधारी अधिकारी जवानों की समस्याओं को समझकर उनके समाधान की उचित पहल करेगा।

पुलिस और होमगार्ड के समान कार्य करने वाले पीआरडी के जवानों को समान वेतन और सुविधाएं दी जाएं। इससे वे बेहतर कार्य करेंगे।

पीआरडी के जवानों के ड्यूटी स्थल पर नियमित निरीक्षण किया जाए और उनसे संवाद किया जाए, ताकि उनकी समस्याएं सही समय पर हल हो सकें।

शिकायतेंः

पीआरडी जवानों को समय पर वेतन नहीं मिलता, जिससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

आवश्यक प्रशिक्षण की कमी से पीआरडी की कार्यकुशलता प्रभावित होती है। वे पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं।

पीआरडी जवानों के पास सक्षम नेतृत्व नहीं है। इस कारण वे अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभा पाते।

आईसीआईसीआई बैंक में खुले बैंक खाते में मानदेय का भुगतान न होने से पीआरडी जवान असंतुष्ट और भ्रमित हैं।

पीआरडी जवानों के ड्यूटी स्थल पर कोई अधिकारी निरीक्षण करने नहीं आता और न ही उनसे कोई संवाद किया जाता है।

बोले जवान

अगर हम कानून और व्यवस्था की रक्षा करते हैं तो हमें उसका उचित प्रतिफल भी मिलना चाहिए।

-कैलाशनाथ

प्रशिक्षण और सही मार्गदर्शन से हम अपने कार्य में सुधार ला सकते हैं, कार्यकुशलता में वृद्धि हो सकती है।

-शिवबहादुर

हम पुलिस और होमगार्ड के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। हमें भी वही सुविधाएं और वेतन मिलें।

-अनिल कुमार सरोज

वर्दीधारी अधिकारी ही हमारे संघर्ष और समस्याओं को समझ सकता है। हमें एक सक्षम नेतृत्व की जरूरत है।

-रामनरेश

ड्यूटी स्थल पर किसी अधिकारी का निरीक्षण नहीं होता तो लगता है कि हमारी मेहनत की कोई कद्र नहीं।

-बृजलाल

मानदेय का समय पर भुगतान न होने से असंतोष बढ़ता है। हमारी मानसिक स्थिति भी कमजोर होती है।

-सुनील तिवारी

हमारे लिए बैंकिंग सुविधाएं उम्मीद बनकर आई थीं, लेकिन वे असफल साबित हुईं। उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।

-सियाराम

अगर बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन मिलें, तो हम अपनी जिम्मेदारियों को और बेहतर तरीके से निभा सकेंगे।

-योगेंद्र कुमार राय

हमारी कोई सुनवाई नहीं होती, समस्याओं की अनदेखी की जाती हैं। लगता है कि हमारी मेहनत का कोई मूल्य नहीं।

-राजकुमार

हमारा काम समाज की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए है। क्या हम अपने अधिकारों के हकदार नहीं हैं?

-विनोद कुमार

समुचित वेतन और सुविधाओं के अभाव में कार्य कुशलता में कमी आ सकती है। हमें यथासंभव सुविधाएं मिलनी चाहिए।

-संजय कुमार

पीआरडी जवानों को कम वेतन और सुविधाएं मिल रही हैं। हम अपनी मेहनत से इसकी बराबरी करना चाहते हैं।

-कन्हैयालाल

बोले जिम्मेदार :

मार्च से 10 तारीख को मिलेगा मानदेय

पीआरडी के जवानों को मार्च से माह की प्रत्येक 10 तारीख को मानदेय भुगतान हो जाएगा। इसके लिए जिन विभागों में उनकी ड्यूटी लगाई जाती है, उनसे मानदेय का अब अग्रिम भुगतान कराया जाएगा। समय-समय पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। कार्यालय में स्थानाभाव के कारण बैठने की दिक्कतें होती है। सीडीओ से विकास भवन परिसर में जगह की मांग की गई है।

-दिनेश कुमार, जिला युवा कल्याण अधिकारी

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