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बोले मेरठ : संविदा भर्ती पर रोक लगे, सुरक्षा और सुविधाओं का हो इंतजाम

Meerut News - नर्सिंग स्टाफ ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आवाज उठाई है। उन्होंने स्थाई नौकरी, पुरानी पेंशन, और बेहतर वेतन की मांग की है। नर्सों का कहना है कि अस्पतालों में बेड के अनुसार नर्सों की संख्या कम है...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठThu, 10 April 2025 11:02 PM
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बोले मेरठ : संविदा भर्ती पर रोक लगे, सुरक्षा और सुविधाओं का हो इंतजाम

नर्स, यह केवल एक नौकरी नहीं है, बल्कि सेवा, समर्पण और करुणा का भाव है। जब कोई मरीज अस्पताल के बिस्तर पर होता है, तो डॉक्टर की विशेषज्ञता और इलाज जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना ही आवश्यक नर्सों का स्पर्श, उनकी देखभाल और उनका धैर्य भी होता है। राजकीय अस्पतालों में तैनात नर्सेज कई तरह की समस्याएं झेल रही हैं। उन्हें काम के दौरान सुरक्षा के साथ ही केजीएमयू और एसजीपीजीआई जैसी सुविधाएं, पुरानी पेंशन और स्थायी नियुक्ति की दरकार है। ब पूरा देश कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में था, तब नर्सिंग स्टाफ अपने परिवार को छोड़कर अस्पतालों में मरीजों की सेवा में तैनात था। मास्क और पीपीई किट के भीतर घंटों तक बिना पानी पिए, बिना आराम किए वे सेवा में जुटे रहे। कई नर्सों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मानवता को बचाने की भरपूर कोशिश की। इस आत्मभाव और समर्पण के बाद भी आज नर्सें वेतन असमानता के साथ कई अन्य समस्याओं से जूझ रही हैं। जिनकी वर्षों से पदोन्नति नहीं हुई, और स्थाई नियुक्तियों की राह नजर नहीं आ रही है। मेरठ में सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज और प्यारेलाल शर्मा जिला चिकित्सालय मौजूद हैं। जहां रोज 1500 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। मेडिकल कॉलेज में सरदार वल्लभभाई पटेल चिकत्सालय की बात करें तो यहां मरीजों के लिए 1200 बेड हैं और जिला अस्पताल में करीब 250 बेड हैं। कुल मिलाकर दोनों जगहों पर सरकारी नर्सेज 235 मौजूद हैं। यह संख्या बेड के हिसाब से बहुत कम है। राजकीय नर्सेज की बात करें तो वह नई भर्ती के साथ ही पुरानी पेंशन चाहती हैं, ताकि उनका और बच्चों का भविष्य सुगम हो सके।

यूपी की राजकीय नर्सेज संघ अध्यक्ष शर्ली भंडारी, उपाध्यक्ष कौशल्या गौतम और नर्सिंग ऑफिसर अनुज चौहान का कहना है कि नर्सें दिन-रात मरीजों की सेवा करती है, पूरे सेवाभाव से उनकी देखरेख में लगी रहती हैं, ऐसे में सरकारी अस्पतालों में निजीकरण बंद किया जाए। नर्सों की भर्ती स्थाई रूप से की जाए ताकि एक सेवाभाव से काम किया जा सके। नर्सों का ग्रेड पे समय पर नहीं लगता और इसके लिए उन्हें भटकना पड़ता है, उसमें सुधार किया जाना चाहिए। अस्पतालों में मौजूद बैड के अनुसार नर्सों की संख्या बहुत कम है। ठेकेदारी प्रथा से की जाने वाली भर्ती पर रोक लगनी चाहिए, इससे नर्सों का शोषण होता है, उन्हें कम वेतन मिलता है और काम पूरा लिया जाता है। इस व्यवस्था में बदलाव किया जाए, डॉक्टर के बाद नर्स ही मरीजों का ध्यान रखती हैं और उन्हें ही सुविधाएं नहीं मिलेंगी तो काम कैसे चलेगा।

नर्सेज स्टाफ की तैनाती गृह जनपद में भी हो

नर्सेज नीता रानी, रश्मि त्रिवेदी, प्रीति सिंह, नीरज कुमारी, और शिखा का कहना है कि चिकित्सक और अन्य कर्मचारियों की भांति नर्सिंग स्टाफ की तैनाती उनके गृह जनपद में की जाए। ताकि वे अपने परिवार के साथ भी समय बिता सकें। साथ ही एसजीपीजीआई, केजीएमयू, आरएमएल और सैफई की भांति नर्सेज संवर्ग को समस्त भत्ते प्रदान किए जाएं। लखनऊ में रजिस्ट्रार के पद पर नर्सिंग संवर्ग का रजिस्ट्रार नियुक्त किया जाए, ताकि समस्याओं का हल हो सके। भारत सरकार के मानकों को ध्यान में रखकर पदों का पुनर्गठन और नियुक्ति की जाएं।

आउटसोर्सिंग से भर्ती पर लगे रोक

स्टाफ नर्सों का कहना है कि संविदा और आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम कर रही नर्सों को नियमित किया जाए। साथ ही स्थाई भर्ती और नर्सिंग संवर्ग में स्थाई नौकरी को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। नर्सेज का कहना है कि यूपी में करीब 33 जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया गया है। वहां काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ को समायोजित कर समस्या का समाधान किया जाए। नर्सिंग स्टाफ के लिए आवास की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि परिवार संग रह सके।

बेड के हिसाब से हो व्यवस्था

नर्सेज संघ का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बेड के अनुसार नर्सों की संख्या काफी कम है। नर्सों की भर्ती स्थाई और बेड के अनुसार की जाए तो मरीजों को राहत मिलेगी। कई बार नर्सेज मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण सही से देखरेख नहीं कर पाती हैं, ऐसे में स्टाफ की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। अस्थाई और आउट सोर्सिंग पर की जाने वाली भर्ती में नर्सों का वेतन बहुत कम होता है, जो काम पूरा करती हैं। सभी को नियमित कर वेतन विसंगति को दूर किया जाए।

नर्सों को मिले पुरानी पेंशन

नर्सिंग यूनियन के जिलाध्यक्ष पवन कुमार मिश्रा, नर्स ज्योति चन्देल, माधवी अग्रवाल, शिवानी चौधरी, फैरी सपना, आशिका मैसी और हेमलता का कहना है कि नर्सिंग स्टाफ बहुत लंबे समय से पुरानी पेंशन की मांग कर रहा है। नई पेंशन में कई विसंगतियां हैं, जो भविष्य के लिए बेहतर नहीं है। उन्हें पुरानी पेंशन में शामिल कर उसका लाभ दिया जाए। साथ ही सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर नर्सिंग स्टाफ की समस्याओं का निराकरण किया जाए।

सेवा का हो विस्तार, मिले पुरस्कार

नर्सिंग स्टाफ कविता परवालिया, स्नेहलता, मोहित सैमवेल और खुश्बू सक्सेना का कहना है कि नर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमितता हो। साथ ही लंबे समय से लंबित पदोन्नति को शीघ्र लागू किया जाए। संविदा और आउटसोर्सिंग के माध्यम से नर्सों की नियुक्ति के स्थान पर स्थाई समाधान होना चाहिए। वेतन विसंगतियों को दूर कर सम्मानजनक वेतनमान लागू हो और चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में कार्यरत नर्सों को जीपीएफ, कैशलेस चिकित्सा सुविधा, एवं अन्य भत्तों का लाभ मिले। साथ ही सेवा में दो साल का विस्तार किया जाए और अन्य कर्मचारियों की भांति पुरस्कार की व्यवस्था की जानी चाहिए।

नर्सों के बच्चों के लिए बने पालनाघर

मौजूदा नर्सेज का कहना है कि कई नर्सों के बच्चे छोटे हैं, परिवार में अन्य लोग भी नौकरी करते हैं, तो ऐसे में बच्चों के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पालनाघर बनाया जाए। अगर ऐसी व्यवस्था हो जाती है तो नर्सेंज मरीजों के साथ अपने बच्चों का भी पालन पोषण कर सकती हैं। बच्चों की देखभाल के लिए कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर पालनाघर हो तो नर्सों के बच्चों भी पल जाएंगे।

सुझाव

- समस्त प्रकार के भत्ते दिए जाएं, वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए

- संविदा और आउटसोर्सिंग पर रखी नर्सों को नियमित किया जाए

- नर्सिंग स्टाफ के बच्चों के लिए पालनाघर की व्यवस्था की जाए

- संविदा और ठेकेदारी प्रथा की जगह स्थायीकरण किया जाए

- नर्सेज संवर्ग की पुरानी पेंशन की मांग पर सरकार विचार करे

शिकायत

- नर्सिंग स्टाफ को गृह जनपद में नियुक्ति नहीं मिल पाती

- नर्सेज स्टाफ के बच्चों के लिए पालनाघर अस्पतालों में नहीं है

- अस्पतालों में अस्थाई तौर पर भर्ती की जा रही है

- संविदा और ठेकेदारी प्रथा के कारण नर्सेज परेशानी झेलती हैं

- नई पेंशन के कारण भी नर्सिंग स्टाफ परेशान रहता है

मेरी भी सुनो

नर्सिंग स्टाफ की तैनाती उनके गृह जनपद में की जाए, ताकि वे परिवार के साथ रह सकें। - शर्ली भंडारी

निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगनी चाहिए, नर्सेज की स्थाई भर्ती होनी चाहिए। - कौशल्या गौतम

सरकारी मानकों को आधार पर नर्सिंग संवर्ग के पदों का पुनर्गठन कर नियुक्ति की जाए। -अनुजा चौहान

नर्सिंग स्टाफ को एसजीपीजीआई, केजीएमयू, आरएमएल और सैफई की भांति सुविधा मिले। -गीता कश्यप

नई पेंशन नीति को खत्म कर सरकारी कर्मचारी के लिए पुरानी पेंशन लागू होनी चाहिए। -पवन कुमार मिश्रा

नर्सिंग स्टाफ को सभी तरह के भत्ते दिए जाए, गृह जनपद में तैनाती दी जानी चाहिए। -ज्योति चंदेल

वर्षों से चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रही संविदा पर रखी गई नर्सों को नियमित किया जाए। - माधवी अग्रवाल

नर्सिंग स्टाफ के पास सरकारी घर नहीं है, उन्हें सरकारी आवास प्रदान किया जाना चाहिए। -शिवानी चौधरी

अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में नर्सों के बच्चों के लिए पालनाघर की व्यवस्था होनी चाहिए। - फैरी सपना

नर्सिंग स्टाफ के लिए केजीएमयू और एसजीपीजीआई जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। - आशिका मैसी

दिन-रात मरीजों की सेवा करते हैं, मेहनत करते हैं, फिर भी कई समस्याओं का सामना करते हैं। - हेमलता

वेतन विसंगतियों को दूर कर, समान कार्य समान वेतनमान की व्यवस्था की जानी चाहिए। - नीता रानी

निजीकरण को पूर्ण रूप से बंद किया जाना चाहिए, साथ ही ठेकेदारी प्रथा भी खत्म की जाए। - रश्मि त्रिवेदी

अस्पतालों में बैड के अनुसार नर्सेज की भर्ती की जानी चाहिए, वो भी स्थाई होनी चाहिए। - प्रीति सिंह

राजकीय कर्मचारियों के लिए नई पेंशन नीति खत्म कर, पुरानी पेंशन लागू की जानी चाहिए। - नीरज कुमारी

नर्सेज की भर्ती संविदा पर की जा रही है, जबकि नर्सेज की भर्ती स्थाई रूप से होनी चाहिए। - शिखा

संविदा पर भर्ती सभी नर्सेज स्टाफ को स्थाई किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य बेहतर हो। - कविता परवालिया

नर्सेज के बच्चों के लिए अस्पताल में एक पालनाघर जरूर हो, ताकि बच्चों को देख सकें। - स्नेहलता

अस्थाई और आउट सोर्सिंग पर की जाने वाली भर्ती में नर्सों का वेतन बहुत कम होता है। - मोहित सैमवेल

सभी अस्थाई नर्सेज को नियमित कर वेतन विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए।- खुश्बू सक्सेना

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