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शिशुओं की देखभाल को घर-घर पहुंचेंगी आशा

Mau News - मऊ में नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक नई योजना बनाई है। लगभग 1700 आशाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे जन्म से 42 दिनों तक नवजात बच्चों की देखभाल कर सकें। ये आशाएं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊMon, 24 Feb 2025 12:19 AM
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शिशुओं की देखभाल को घर-घर पहुंचेंगी आशा

मऊ। आपके यहां बेटी या बेटा पैदा हुआ है तो उसकी देखभाल के लिए अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब आशाएं नवजात और उनकी मां की देखभाल करेंगी। जन्म से लेकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल का जिम्मा संभालने वाली आशाएं घर-घर जाएंगी। नवजातों की देखभाल के लिए आशाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जन्म के बाद होने वाले संक्रमण के चलते कई बार नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। जनपद की बात करें तो पैदा होने वाले एक हजार बच्चों में से करीब पांच से दस नवजात बच्चों की जन्म के कुछ दिनों के भीतर मौत हो जाती है। इसके अलावा देखरेख के अभाव में कई बच्चे डायरिया, निमोनिया, पीलिया, बुखार जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। परिजनों को इन बीमारियों का पता तब चलता है जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। ऐसे में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने नया प्लान बनाया है। इस प्लान के तहत जनपद में तैनात लगभग 17 सौ आशाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में आशाओं को नवजात बच्चों में होने वाली बीमारियों के लक्षण, बचाव और उपचार के तरीकों के बारे में जागरुक किया जा रहा है। प्रशिक्षण लेने के बाद ये आशाएं जिन घरों में बच्चे पैदा हुए हैं, उन घरों का भ्रमण करेंगी और जन्म से लेकर 42 दिन तक बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखेंगी।

देखरेख के अभाव में बीमार होते हैं बच्चे

मऊ। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दोहरीघाट पर तैनात बीपीएम जमील अहमद के मुताबिक ज्यादातर बच्चे पर्याप्त देखरेख के अभाव में बीमार हो जाते हैं। प्रशिक्षण लेने वाली आशाएं जन्म से लेकर 42 दिनों तक बच्चों के घरों में सात दिनों का भ्रमण करेंगी। बच्चों का वजन करेंगी, पोषण क्या मिल रहा है, बच्चा ठीक से दूध पी रहा है, उसे बुखार तो नहीं है, आंखों की रोशनी की क्या स्थिति है, डायरिया, निमोनिया, सर्दी-गर्मी और बरसात के दिनों में होने वाली मौसमी बीमारियों से बच्चों को कैसे बचाया जाए, इसकी जानकारी देंगी। बच्चा बीमार पड़ेगा तो 102 एंबुलेंस की मदद से यही आशा उपचार दिलाने अस्पताल ले जाएंगी।

प्रशिक्षित किया जा रहा

नवजात शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। शासन के निर्देश पर नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए आशाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। आशाएं जन्म लेने वाले बच्चों की 42 दिनों तक देखभाल करेंगी। इसदौरान मां तथा परिवार के अन्य लोगों को भी जागरुक करेंगी।

- संतोष सिंह, डीसीपीएम मऊ।

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