'निराला' छायावादी युग के चार स्तम्भों में से एक
Mau News - मऊ में 'निराला की साहित्य साधना' विषय पर गोष्ठी और काव्य-संध्या का आयोजन हुआ। मनोज सिंह ने निराला को छायावादी युग का स्तंभ बताया। डॉ. धनञ्जय शर्मा ने 'राम की शक्ति पूजा' पर चर्चा की। कार्यक्रम में कई...
मऊ। राहुल सांकृत्यायन सृजनपीठ और जन संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में घोसी में मनोज सिंह की अध्यक्षता में 'निराला की साहित्य साधना' विषय पर गोष्ठी व काव्य-संध्या का आयोजन शनिवार की शाम किया गया। मनोज सिंह ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' छायावादी युग के चार स्तम्भों में से एक हैं। इनकी बाद की कविताएं 'वह तोड़ती पत्थर' व 'कुकुरमुत्ता' कविता प्रगतिशील विचारधारा से प्रभावित है। 'निराला की साहित्य साधना' विषय पर बोलते हुए डॉ.धनञ्जय शर्मा ने कहा कि 'राम की शक्ति पूजा' में निराला ने राम को नवीन मानव के रूप में प्रस्तुत किया है। जो आज के मानव की तरह संघर्ष करते दिखाई देते हैं। डॉ.तेजभान ने कहा कि निराला को साहित्य जगत में स्थापित होने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। काव्य -सत्र में घायल आजमी , डा.धनंजय शर्मा, बृजेश गिरि, कृष्णदेव 'घायल', डॉ.मुशीर अहमद, उपेंद्र 'खामोश', डा.रामशिरोमणि मौर्य ने काव्य-पाठ किया। गोष्ठी का संचालन बृजेश गिरि और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक फखरे आलम ने किया। इस अवसर पर सुशील यादव, नारायण लाल, रूआब आदि उपस्थित रहे।
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